हल्द्वानीः उत्तराखंड के कई हिस्सों में बारिश से हालत खराब हैं. दूसरी तरफ कुमाऊं के कुछ पर्वतीय इलाकों में बारिश नहीं होने के कारण (no rain in some mountainous areas of Kumaon) काश्तकार परेशान हैं. सिंचाई के लिए बनी नहरें बारिश ना होने से सूखी (Canals dry due to no rain in Nainital) पड़ गई हैं. जबकि उन इलाकों के काश्तकार खेती के लिए बारिश (Farmers upset due to lack of rain in Kumaon) पर ही निर्भर रहते हैं.
नैनीताल के धारी, ओखलाकांडा जैसे पर्वतीय हिस्सों में मॉनसून रूठा है. खेती के लिए पानी नही है, सिंचाई की जो नहरें हैं, उनमें पानी नही हैं. कई जगह नहरें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. कॉल गांव के ग्रामीण बताते हैं कि पिछले 4-5 सालों से सिंचाई की नहर में पानी ही नहीं आया. बारिश पर खेती आधारित (rain based farming) हो गई हैं. लिहाजा, अब खेती पर संकट नजर आने लगा है. ग्रामीणों का कहना है कि जहां से सिंचाई की नहर में पानी आता था, वहां से दो पंप सेट लगाकर पानी को कहीं अन्यत्र लिफ्ट कर दिया गया है. लिहाजा नहर अब सूख गई है.
वहीं, इस मामले पर केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट का कहना है कि कुमाऊं के सभी जिलाधिकारी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं. भविष्य में जैसे भी हालात बनेंगे उसको लेकर सरकार की नजर बनी हुई है और उचित कदम उठाए जाएंगे.
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उधर कालाढूंगी की लाइफलाइन कही जाने वाली सिंचाई नेहरों का पानी पिछले 6 दिनों से बंद पड़ा है. नहर के सायफन (कल्मठ) में रेता बजरी फंस जाने की वजह से नहरों के पानी को बौर नदी में छोड़ा गया है. सिंचाई विभाग के अंतर्गत आने वाली नहरों के कलमठ की सफाई का कार्य किया जा रहा है. मगर जल्द कार्य होना असंभव लग रहा है.
विभाग द्वारा बताया गया कि लगभग 90 मीटर सायफन (कलमठ) पूरी तरह से बंद पड़े हुए हैं, जिनकी सफाई का काम चल रहा है. सिंचाई नहरों में पानी बंद हो जाने से खेतों में सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो गई है. इधर काश्तकारों ने सिंचाई विभाग से जल्द ही सफाई कार्य पूरा कराने की मांग के साथ ही, सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है.