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पक्षियों पर कहर बन कर टूटे दीपावली के पटाखे, कई प्रजातियों पर मंडरा रहा खतरा

नैनीताल और उसके आसपास करीब 700 से लेकर 790 तक पक्षियों की प्रजाति पाई जाती हैं. लेकिन, दीपावली पर पटाखों के कारण कई प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

पक्षियों पर कहर बन कर टूट रहे दीपावली के पटाखे.
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Published : Oct 30, 2019, 11:13 AM IST

Updated : Oct 30, 2019, 2:37 PM IST

नैनीताल: एक ओर देश दीपावली के उत्सव में डूबा हुआ था. वहीं, त्योहार की खुशी में लोगों ने इतने बम पटाखे फोड़े कि ये पटाखे कुछ जीवों के लिए जिंदगी और मौत का सबब बन रहे हैं. धमाकों का शोरगुल वन्य जीवन पर आफत बनकर टूटा है. खासकर पक्षियों पर ये दीपावली बेहद भारी पड़ रही है. आलम यह है कि बीते 3 दिनों में पटाखों की धमक से पक्षी शहर और गांव से गायब हो गए हैं.

पक्षियों पर कहर बन कर टूट रहे दीपावली के पटाखे.

साल दर साल दीपावली के मौके पर जिस कदर लोगों में पटाखे छोड़ने का क्रेज बढ़ रहा है. उससे पक्षी जीवन पर खतरा मंडरा रहा है. दीपावली के दौरान पटाखों के धमाके पक्षियों की जान जोखिम में डाल रहे हैं. उत्तराखंड के सभी जंगलों के आसपास विभिन्न प्रकार की दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियां मौजूद हैं. लेकिन, पिछले 3 दिनों में ऐसे कई पक्षी है जो घरों के आसपास और इन क्षेत्रों से गायब हो गए हैं.

ये भी पढ़ें: निजी दौरे पर उत्तराखंड पहुंची उत्तर प्रदेश की राज्यपाल, नैनीताल की वादियों का उठाएंगी लुत्फ

नैनीताल और उसके आसपास करीब 700 से लेकर 790 तक पक्षियों की प्रजाति पाई जाती हैं, जिनको देखने के लिए हर साल देश और विदेश से हजारों लोग नैनीताल का रुख करते हैं. लेकिन, जिस तरह से नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों में बेतहाशा पटाखों का प्रयोग हो रहा है. उससे आने वाले समय में चिड़ियों के अस्तित्व और बर्ड डेस्टिनेशन पर खतरा मंडरा रहा है.

बता दें कि पटाखों का शोर जानवरों और पक्षियों के लिए बेहद खतरनाक होता है. पक्षियों में किसी भी आवाज को सुनने की सबसे अधिक क्षमता होती है. ऐसे में पक्षियों के आवासीय इलाकों में कहीं भी पटाखे की हल्की धमक भी होती है तो इसकी आवाज सीधे पक्षियों के कानों तक पहुंच जाती है. ऐसे में लगातार हो रहे बड़े धमाके पक्षियों को जबरदस्त आघात पहुंचा रहे हैं. इन धमाकों की वजह से पक्षी अपने दिशा भी भटक रहे हैं, जिस कारण पक्षियों की मौत भी हो रही है.

नैनीताल: एक ओर देश दीपावली के उत्सव में डूबा हुआ था. वहीं, त्योहार की खुशी में लोगों ने इतने बम पटाखे फोड़े कि ये पटाखे कुछ जीवों के लिए जिंदगी और मौत का सबब बन रहे हैं. धमाकों का शोरगुल वन्य जीवन पर आफत बनकर टूटा है. खासकर पक्षियों पर ये दीपावली बेहद भारी पड़ रही है. आलम यह है कि बीते 3 दिनों में पटाखों की धमक से पक्षी शहर और गांव से गायब हो गए हैं.

पक्षियों पर कहर बन कर टूट रहे दीपावली के पटाखे.

साल दर साल दीपावली के मौके पर जिस कदर लोगों में पटाखे छोड़ने का क्रेज बढ़ रहा है. उससे पक्षी जीवन पर खतरा मंडरा रहा है. दीपावली के दौरान पटाखों के धमाके पक्षियों की जान जोखिम में डाल रहे हैं. उत्तराखंड के सभी जंगलों के आसपास विभिन्न प्रकार की दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियां मौजूद हैं. लेकिन, पिछले 3 दिनों में ऐसे कई पक्षी है जो घरों के आसपास और इन क्षेत्रों से गायब हो गए हैं.

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नैनीताल और उसके आसपास करीब 700 से लेकर 790 तक पक्षियों की प्रजाति पाई जाती हैं, जिनको देखने के लिए हर साल देश और विदेश से हजारों लोग नैनीताल का रुख करते हैं. लेकिन, जिस तरह से नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों में बेतहाशा पटाखों का प्रयोग हो रहा है. उससे आने वाले समय में चिड़ियों के अस्तित्व और बर्ड डेस्टिनेशन पर खतरा मंडरा रहा है.

बता दें कि पटाखों का शोर जानवरों और पक्षियों के लिए बेहद खतरनाक होता है. पक्षियों में किसी भी आवाज को सुनने की सबसे अधिक क्षमता होती है. ऐसे में पक्षियों के आवासीय इलाकों में कहीं भी पटाखे की हल्की धमक भी होती है तो इसकी आवाज सीधे पक्षियों के कानों तक पहुंच जाती है. ऐसे में लगातार हो रहे बड़े धमाके पक्षियों को जबरदस्त आघात पहुंचा रहे हैं. इन धमाकों की वजह से पक्षी अपने दिशा भी भटक रहे हैं, जिस कारण पक्षियों की मौत भी हो रही है.

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पटाखों की धमक से पक्षियों की जान खतरे में, नैनीताल के बर्ड कंजर्वेशन पर भी पड़ा पटाखों की धमक का असर, गायब हुई कई पक्षियों की प्रजातियां।

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पूरा देश इस वक्त दिवाली के उत्सव में डूबा है जगह-जगह लोग जबरदस्त बम पटाखे छोड़कर दिवाली का त्यौहार मना रहे हैं मगर दिवाली का त्यौहार कुछ जीवो के लिए जिंदगी और मौत का सबब बन रहा है धमाकों का शोरगुल वन्य जीवन पर आफत बनकर टूटा है खासकर पक्षियों पर यह दीपावली बेहद भारी पड़ रही है आलम यह है कि बीते 3 दिनों में पटाखों की धमक से पक्षी शहर और गांव से जैसे गायब हो गए हैं


Body:साल दर साल दीपावली के मौके पर जिस कदर लोगों में पटाखे छोड़ने का क्रेज बढ़ा है उससे बंदी जीवन पर खतरा मंडरा रहा है खाता दीपावली के दौरान पाठकों के धमाके पक्षियों की जान जोखिम में डाल रहे हैं उत्तराखंड के अधिकार सभी जंगलों के आसपास बसे हैं जहां पर विभिन्न प्रकार की दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियां मौजूद है मगर पिछले 3 दिनों में ऐसी कई पक्षी है जो घरों के आसपास और इन क्षेत्रों से गायब है कारण है पाठकों का जबरदस्त और जिससे प्रभावित होकर यह पक्षी ना जाने कहां गायब हो गए खासकर गौरैया पीजेंट ब्राउन वुड एप्पल किंगफिशर समेत पटाखों के शोर से गायब है इस बात से बेहद हैरान हैं कि आखिरी पक्षी गए कहां।
नैनीताल और उसके आसपास करीब 700 से लेकर 790 तक पक्षियों की प्रजाति पाई जाती हैं जिनको देखने के लिए हड़ताल देसी और विदेशी बर्डवाचर नैनीताल का रुख करते हैं लेकिन जिस तरह से नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों में बेतहाशा पटाखों का प्रयोग हो रहा है उससे आने वाले समय में चिड़ियों के अस्तित्व और बर्ड डेस्टिनेशन पर खतरा मंडरा रहा है।


Conclusion:आपको बता दें कि पटाखों का शोर जानवरों और पक्षियों के लिए बेहद खतरनाक होता है खासकर पाठकों का यश और पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है पक्षियों में किसी भी आवाज को सुनने की सबसे अधिक क्षमता होती है ऐसे में पक्षियों के आवासीय इलाकों में कहीं भी पटाखे की हल्की धमक भी होती है तो इसकी आवाज सीधे पक्षियों के कानों तक पहुंच जाती है ऐसे में लगातार हो रहे बड़े धमाके पक्षियों को जबरदस्त आघात पहुंचा रहे हैं और इन धमाकों की वजह से पक्षी अपने दिशा भी भटक रहे हैं जिस वजह से पक्षियों की मौत भी हो रही है इतना ही नहीं पटाखों की धमक से पक्षियों के घोंसले में मौजूद अंडों पर भी असर पड़ा है और पक्षियों की भूल भी खतरे में पड़ रहे हैं।

बाईट- अजय रावत, पर्यावरणविद।
Last Updated : Oct 30, 2019, 2:37 PM IST
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