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गोविंद बल्लभ पंत ने स्वतंत्रता संग्राम में निभाई भी अहम भूमिका, छोटे से गांव से निकलकर पाया 'भारत रत्न'

Pandit Govind Ballabh Pant उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के साथ ही भारत के गृहमंत्री भी रहे. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में काम करते हुए जेल की यात्रा भी की. उन्हें एक अधिवक्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कुशल राजनेता के रूप में याद किया जाता है. आज उनकी 136वीं जयंती है. इस मौके पर आपको उनके राजनीतिक सफरनामा से रूबरू करवाते हैं. Govind Ballabh Pant Birth Anniversary

Govind Ballabh Pant
गोविंद बल्लभ पंत
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 10, 2023, 1:27 PM IST

हल्द्वानीः भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की आज 136वीं जयंती है. इस मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है. सीएम पुष्कर धामी ने भी नई दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित गोविंद बल्लभ पंत को श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं, कुमाऊं के विभिन्न जगहों पर होने वाले समारोह में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की बहू और पूर्व नैनीताल सांसद इला पंत, उनके बेटे सुनील पंत शामिल हो रहे हैं.

गोविंद बल्लभ पंत की बहू इला पंत विभिन्न कार्यक्रमों में करेंगी शिरकतः नैनीताल और अल्मोड़ा में होने वाले जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर इला पंत और सुशील पंत शामिल होंगे. पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती के मौके पर माल्यार्पण और उनकी जीवनी पर आधारित कार्यक्रम के साथ कई जगहों पर सांस्कृतिक प्रोग्राम का भी आयोजन होना है. वहीं, कई जगहों पर पंडित गोविंद बल्लभ पंत को श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया जा रहा है.

  • नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड सदन में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 'भारत रत्न' पं. गोविंद बल्लभ पंत जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। pic.twitter.com/CCgexShDkz

    — Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) September 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उत्तराखंड के खूंट में जन्मे थे पंतः भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ था. ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम मनोरथ पंत और माता का नाम गोविंदी बाई था. उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे. जबकि, उनकी माता गृहणी थी. साल 1899 में 12 वर्ष की आयु में ही उनका विवाह गंगा देवी के साथ हो गया था.
ये भी पढ़ेंः इन बड़े कार्यों के लिए याद किए जाते हैं गोविंद बल्लभ पंत, आजादी के पहले भी दिखायी थी हनक

उनकी प्रारंभिक शिक्षा साल 1897 में रामजे कॉलेज से शुरू हुई. पंत पढ़ाई लिखाई में काफी होशियार थे. यही वजह थी कि वे सभी शिक्षकों के प्रिय भी रहे. इंटरमीडिएट के परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए. जहां उन्होंने साल 1907 में राजनीतिक, गणित और अंग्रेजी साहित्य जैसे विषयों पर बीए किया.

Govind Ballabh Pant
पंडित गोविंद बल्लभ पंत को समर्पित संस्थान

वहीं, साल 1909 में उन्होंने कानून की डिग्री सर्वोच्च हासिल की. इतना ही नहीं कॉलेज की तरफ से उन्हें लम्सडेन अवॉर्ड भी दिया गया. इसके बाद साल 1910 में वे अल्मोड़ा वापस आ गए. जहां उन्होंने वकालत शुरू कर दी. इसी सिलसिले में वे रानीखेत और काशीपुर में भी गए. काशीपुर में उन्होंने एक स्थानीय संस्था प्रेमसभा का गठन किया.

असहयोग आंदोलन में लिया हिस्साः गोविंद बल्लभ पंत के विद्यार्थी जीवन में महात्मा गांधी के संपर्क में आए. जिसके बाद वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और दिसंबर 1921 में उन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया. वहीं, 9 अगस्त 1925 में हुए काकोरी कांड में पकड़े गए दोषियों के समर्थन में उतरे. इतना ही नहीं पंत ने उन्हें छुड़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था.

Govind Ballabh Pant
पंडित गोविंद बल्लभ पंत के साथ इंदिरा गांधी

कई बार जेल गए गोविंद बल्लभ पंतः साल 1930 में ब्रिटिशों के अन्याय के खिलाफ चलाए जा रहे महात्मा गांधी के दांडी मार्च में गोविंद बल्लभ पंत ने हिस्सा. उन्होंने इस आंदोलन को गति को और तेज कर दिया. जिसके बाद उन्हें और कई आंदोलनकारियों को कैद कर लिया गया. साल 1921, 1930, 1932 और 1934 के स्वतंत्रता आंदोलन में 7 सालों तक जेल में रहे.

Govind Ballabh Pant
अपने कार्यालय में पंडित गोविंद बल्लभ पंत

वहीं, साल 1942 में भारत छोड़ो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के कारण गोविंद बल्लभ पंत को गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि, साल 1945 में कई अन्य कांग्रेस समिति के सदस्यों के साथ अहमदनगर किले में पूरे 3 सालों तक जेल में बंद रहे. वहीं, 17 जुलाई 1937 को गोविंद बल्लभ पंत संयुक्त प्रांत के पहले मुख्यमंत्री बने.
ये भी पढ़ेंः भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जन्म स्थली खूंट आज भी उपेक्षित, 40 फीसदी लोग कर गए पलायन

उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और भारत के गृहमंत्री रहे गोविंद बल्लभ पंतः साल 1946 से दिसंबर 1954 तक गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. उनकी भूमि सुधारों में काफी रुचि थी. यही वजह थी कि उन्होंने 21 मई 1952 को जमींदारी उन्मूलन कानून को प्रभावी बनाया. इतना ही नहीं उन्हें गृह मंत्री भी बनाया गया. उन्होंने इस पद पर साल 1955 से लेकर 1961 तक अपना अहम योगदान दिया.

Govind Ballabh Pant
पंडित गोविंद बल्लभ पंत की तस्वीर

साल 1957 को गोविंद बल्लभ पंत को मिला भारत रत्नः पंडित गोविंद बल्लभ पंत देश के लिए समर्पित होने के साथ कला, साहित्य, सार्वजनिक सेवा, खेल और विज्ञान के क्षेत्र में भी उन्होंने अद्वितीय योगदान एवं प्रोत्साहन दिया. जिसके लिए भारत सरकार ने साल 1957 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया. वहीं, 7 मार्च 1961 को हार्ट अटैक के चलते गोविंद बल्लभ पंत का निधन हो गया.

हल्द्वानीः भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की आज 136वीं जयंती है. इस मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है. सीएम पुष्कर धामी ने भी नई दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित गोविंद बल्लभ पंत को श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं, कुमाऊं के विभिन्न जगहों पर होने वाले समारोह में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की बहू और पूर्व नैनीताल सांसद इला पंत, उनके बेटे सुनील पंत शामिल हो रहे हैं.

गोविंद बल्लभ पंत की बहू इला पंत विभिन्न कार्यक्रमों में करेंगी शिरकतः नैनीताल और अल्मोड़ा में होने वाले जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर इला पंत और सुशील पंत शामिल होंगे. पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती के मौके पर माल्यार्पण और उनकी जीवनी पर आधारित कार्यक्रम के साथ कई जगहों पर सांस्कृतिक प्रोग्राम का भी आयोजन होना है. वहीं, कई जगहों पर पंडित गोविंद बल्लभ पंत को श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया जा रहा है.

  • नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड सदन में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 'भारत रत्न' पं. गोविंद बल्लभ पंत जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। pic.twitter.com/CCgexShDkz

    — Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) September 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उत्तराखंड के खूंट में जन्मे थे पंतः भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ था. ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम मनोरथ पंत और माता का नाम गोविंदी बाई था. उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे. जबकि, उनकी माता गृहणी थी. साल 1899 में 12 वर्ष की आयु में ही उनका विवाह गंगा देवी के साथ हो गया था.
ये भी पढ़ेंः इन बड़े कार्यों के लिए याद किए जाते हैं गोविंद बल्लभ पंत, आजादी के पहले भी दिखायी थी हनक

उनकी प्रारंभिक शिक्षा साल 1897 में रामजे कॉलेज से शुरू हुई. पंत पढ़ाई लिखाई में काफी होशियार थे. यही वजह थी कि वे सभी शिक्षकों के प्रिय भी रहे. इंटरमीडिएट के परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए. जहां उन्होंने साल 1907 में राजनीतिक, गणित और अंग्रेजी साहित्य जैसे विषयों पर बीए किया.

Govind Ballabh Pant
पंडित गोविंद बल्लभ पंत को समर्पित संस्थान

वहीं, साल 1909 में उन्होंने कानून की डिग्री सर्वोच्च हासिल की. इतना ही नहीं कॉलेज की तरफ से उन्हें लम्सडेन अवॉर्ड भी दिया गया. इसके बाद साल 1910 में वे अल्मोड़ा वापस आ गए. जहां उन्होंने वकालत शुरू कर दी. इसी सिलसिले में वे रानीखेत और काशीपुर में भी गए. काशीपुर में उन्होंने एक स्थानीय संस्था प्रेमसभा का गठन किया.

असहयोग आंदोलन में लिया हिस्साः गोविंद बल्लभ पंत के विद्यार्थी जीवन में महात्मा गांधी के संपर्क में आए. जिसके बाद वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और दिसंबर 1921 में उन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया. वहीं, 9 अगस्त 1925 में हुए काकोरी कांड में पकड़े गए दोषियों के समर्थन में उतरे. इतना ही नहीं पंत ने उन्हें छुड़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था.

Govind Ballabh Pant
पंडित गोविंद बल्लभ पंत के साथ इंदिरा गांधी

कई बार जेल गए गोविंद बल्लभ पंतः साल 1930 में ब्रिटिशों के अन्याय के खिलाफ चलाए जा रहे महात्मा गांधी के दांडी मार्च में गोविंद बल्लभ पंत ने हिस्सा. उन्होंने इस आंदोलन को गति को और तेज कर दिया. जिसके बाद उन्हें और कई आंदोलनकारियों को कैद कर लिया गया. साल 1921, 1930, 1932 और 1934 के स्वतंत्रता आंदोलन में 7 सालों तक जेल में रहे.

Govind Ballabh Pant
अपने कार्यालय में पंडित गोविंद बल्लभ पंत

वहीं, साल 1942 में भारत छोड़ो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के कारण गोविंद बल्लभ पंत को गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि, साल 1945 में कई अन्य कांग्रेस समिति के सदस्यों के साथ अहमदनगर किले में पूरे 3 सालों तक जेल में बंद रहे. वहीं, 17 जुलाई 1937 को गोविंद बल्लभ पंत संयुक्त प्रांत के पहले मुख्यमंत्री बने.
ये भी पढ़ेंः भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जन्म स्थली खूंट आज भी उपेक्षित, 40 फीसदी लोग कर गए पलायन

उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और भारत के गृहमंत्री रहे गोविंद बल्लभ पंतः साल 1946 से दिसंबर 1954 तक गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. उनकी भूमि सुधारों में काफी रुचि थी. यही वजह थी कि उन्होंने 21 मई 1952 को जमींदारी उन्मूलन कानून को प्रभावी बनाया. इतना ही नहीं उन्हें गृह मंत्री भी बनाया गया. उन्होंने इस पद पर साल 1955 से लेकर 1961 तक अपना अहम योगदान दिया.

Govind Ballabh Pant
पंडित गोविंद बल्लभ पंत की तस्वीर

साल 1957 को गोविंद बल्लभ पंत को मिला भारत रत्नः पंडित गोविंद बल्लभ पंत देश के लिए समर्पित होने के साथ कला, साहित्य, सार्वजनिक सेवा, खेल और विज्ञान के क्षेत्र में भी उन्होंने अद्वितीय योगदान एवं प्रोत्साहन दिया. जिसके लिए भारत सरकार ने साल 1957 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया. वहीं, 7 मार्च 1961 को हार्ट अटैक के चलते गोविंद बल्लभ पंत का निधन हो गया.

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