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Holi 2023: 2 मार्च को है चीर बंधन, जानिए रंगोत्सव में ध्वजा स्थापना का महत्व - उत्तराखंड समाचार

8 मार्च को होली है. होली से पहले चीर बंधन होता है. इस बार चीर बंधन 2 मार्च को होगा. आइए आज हम आपको बताते हैं कि चीर बंधन क्या है और इसका क्या महत्व है.

Holi 2023
होली 2023
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Published : Feb 28, 2023, 9:50 AM IST

Updated : Feb 28, 2023, 11:25 AM IST

2 मार्च को है चीर बंधन

हल्द्वानी: कुमाऊं में होली चरम पर है. जगह जगह खड़ी और बैठकी होली का आयोजन भी हो रहा है. होली के रंग से पहले कुमाऊं में चीर बंधन की परंपरा है. माना जाता है कि चीर बंधन होली भगवान के लिए समर्पित है. उस दिन चीर बंधन यानी ध्वजा स्थापना के साथ रंग की होली का शुभारंभ हो जाता है. चीर बंधन के दिन खासकर मंदिरों में होली गाने की परंपरा है. उस दिन मंदिरों में होली गाने के साथ भगवान शिव, भगवान कृष्ण सहित अन्य देवी-देवताओं और अपने इष्ट देवता के नाम होली गाने की परंपरा है.

2 मार्च को है चीर बंधन: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार 2 मार्च को एकादशी है. इस दिन भद्रा रहित काल में चीर बंधन होली मनाई जाएगी. इस दिन मंदिरों में पूजन के साथ रंग धारण की परंपरा है. आंवला एकादशी का व्रत 3 मार्च को रखा जाएगा. ज्योतिष के अनुसार सूर्यास्त से पहले चीर बंधन की परंपरा है.

ये है चीर बंधन का शुभ मुहूर्त: 2 मार्च को सूर्योदय से दोपहर करीब 2:00 बजे तक चीर बंधन के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा. मंदिरों में ध्वज स्थापना स्थापना और रंग बिरंगे कपड़े के टुकड़े बांधने की परंपरा भी है, जहां से रंग की होली का शुभारंभ होगा. चीर बंधन की तैयारी के साथ ही पहाड़ में अब खड़ी होली की भी शुरूआत हो गई है. लोग अबीर-गुलाल के साथ ही रंग व वस्त्र खरीदने बाजार पहुंचने लगे हैं.

चीर बंधन पर गाए जाते हैं ये होली गीत: कुंमाऊ में होली प्रारंभ होने से पहले प्रत्येक घर से एक-एक नए कपड़े के रंग बिरंगे टुकड़े चीर के रूप में लंबे लट्ठे पर बांधे जाते हैं. उसके बाद राम, कृष्ण, शिव-पार्वती, देशी फुहारों, वेदांत, रसिक, झोड़-झुमटा, सिद्धि को दाता, रघुनंदन राजा, कैलै बांधी चीर, गणपति बांधी चीर होली गाकर होली का शुभांरभ किया जाता है.

चीर बंधन के दिन करते हैं होलिका की स्थापना: चीर बंधन के दिन होलिका की स्थापना की जाती है. जिसके बाद होलिका दहन किया जाता है. बहुत से लोग होलिका दहन के दिन इस चीर को होलिका दहन वाले स्थान पर लाते हैं और बांस में बंधे कपड़ों की कतरन को प्रसाद के रूप में बांटते हैं. इसे लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर बांधते हैं.
ये भी पढ़ें: Holi of Nainital: नैनीताल में चढ़ा फागोत्सव का रंग, होली महोत्सव में झूमीं महिलाएं

ये है बुरी शक्तियों को दूर रखने का नुस्खा: ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद को घर के मुख्य द्वारा पर बांधने से घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है. इसके साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है. चीर बंधन और रंग छिड़कने के साथ पहाड़ में सात दिनी होली पर्व की शुरुआत हो जाएगी. इस मौके पर जगह-जगह खड़ी होली का आयोजन भी किया जाता है.

2 मार्च को है चीर बंधन

हल्द्वानी: कुमाऊं में होली चरम पर है. जगह जगह खड़ी और बैठकी होली का आयोजन भी हो रहा है. होली के रंग से पहले कुमाऊं में चीर बंधन की परंपरा है. माना जाता है कि चीर बंधन होली भगवान के लिए समर्पित है. उस दिन चीर बंधन यानी ध्वजा स्थापना के साथ रंग की होली का शुभारंभ हो जाता है. चीर बंधन के दिन खासकर मंदिरों में होली गाने की परंपरा है. उस दिन मंदिरों में होली गाने के साथ भगवान शिव, भगवान कृष्ण सहित अन्य देवी-देवताओं और अपने इष्ट देवता के नाम होली गाने की परंपरा है.

2 मार्च को है चीर बंधन: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार 2 मार्च को एकादशी है. इस दिन भद्रा रहित काल में चीर बंधन होली मनाई जाएगी. इस दिन मंदिरों में पूजन के साथ रंग धारण की परंपरा है. आंवला एकादशी का व्रत 3 मार्च को रखा जाएगा. ज्योतिष के अनुसार सूर्यास्त से पहले चीर बंधन की परंपरा है.

ये है चीर बंधन का शुभ मुहूर्त: 2 मार्च को सूर्योदय से दोपहर करीब 2:00 बजे तक चीर बंधन के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा. मंदिरों में ध्वज स्थापना स्थापना और रंग बिरंगे कपड़े के टुकड़े बांधने की परंपरा भी है, जहां से रंग की होली का शुभारंभ होगा. चीर बंधन की तैयारी के साथ ही पहाड़ में अब खड़ी होली की भी शुरूआत हो गई है. लोग अबीर-गुलाल के साथ ही रंग व वस्त्र खरीदने बाजार पहुंचने लगे हैं.

चीर बंधन पर गाए जाते हैं ये होली गीत: कुंमाऊ में होली प्रारंभ होने से पहले प्रत्येक घर से एक-एक नए कपड़े के रंग बिरंगे टुकड़े चीर के रूप में लंबे लट्ठे पर बांधे जाते हैं. उसके बाद राम, कृष्ण, शिव-पार्वती, देशी फुहारों, वेदांत, रसिक, झोड़-झुमटा, सिद्धि को दाता, रघुनंदन राजा, कैलै बांधी चीर, गणपति बांधी चीर होली गाकर होली का शुभांरभ किया जाता है.

चीर बंधन के दिन करते हैं होलिका की स्थापना: चीर बंधन के दिन होलिका की स्थापना की जाती है. जिसके बाद होलिका दहन किया जाता है. बहुत से लोग होलिका दहन के दिन इस चीर को होलिका दहन वाले स्थान पर लाते हैं और बांस में बंधे कपड़ों की कतरन को प्रसाद के रूप में बांटते हैं. इसे लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर बांधते हैं.
ये भी पढ़ें: Holi of Nainital: नैनीताल में चढ़ा फागोत्सव का रंग, होली महोत्सव में झूमीं महिलाएं

ये है बुरी शक्तियों को दूर रखने का नुस्खा: ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद को घर के मुख्य द्वारा पर बांधने से घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है. इसके साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है. चीर बंधन और रंग छिड़कने के साथ पहाड़ में सात दिनी होली पर्व की शुरुआत हो जाएगी. इस मौके पर जगह-जगह खड़ी होली का आयोजन भी किया जाता है.

Last Updated : Feb 28, 2023, 11:25 AM IST
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