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नैनीताल: धूमधाम से मनाई गई बीडी पांडे अस्पताल की 125वीं वर्षगांठ, साल 1894 में पड़ी थी नींव - बीडी पांडे अस्पताल नैनीताल

ब्रिटिश शासक एंटिनी मैकडॉवेल के विशेष योगदान से 1896 में अस्पताल का निर्माण पूरा करवाया गया. जिसे बनाने में उस समय करीब 3,3,770 रुपये खर्च आया था. 1960 से पहले तक बीडी पांडे अस्पताल का नाम चार्ल्स फास्फेट अस्पताल था, जिसे 1960 में कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पांडे के नाम पर रख दिया गया.

धूमधाम से मनाई गई बीडी पांडे अस्पताल की 125वीं वर्षगांठ
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Published : Oct 18, 2019, 6:29 AM IST

Updated : Oct 18, 2019, 8:35 AM IST

नैनीताल: सरोवर नगरी में स्थित बीडी पांडे अस्पताल के 125वें स्थापना दिवस को स्थानीय लोगों और डॉक्टरों ने बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया. इस अस्पताल की नींव 1894 में ब्रिटिश शासक और गवर्नर चार्ल्स फास्फेट ने रखी थी. उस दौर में दूर-दूर से लोग इस अस्पताल में अपना इलाज कराने आया करते थे.

धूमधाम से मनाई गई बीडी पांडे अस्पताल की 125वीं वर्षगांठ.

इतिहासकार अजय रावत बताते हैं कि नैनीताल में सबसे पहला अस्पताल 1892 में रैम जे बनाया गया था. यह अस्पताल ब्रिटिश शासक के नाम पर ही था. हिंदुस्तानी आबादी वाले इलाके से काफी दूर होने के कारण अधिकांश लोग इस अस्पताल तक नहीं जा पाते थे. जिसको देखते हुए दूसरे ब्रिटिश शासक एंटिनी मैकडॉवेल के विशेष योगदान से 1896 में एक दूसरा अस्पताल का बनवाया गया. जिसे बनाने में उस समय करीब 3,3,770 रुपये खर्च आया था.

पढे़ं- विजय हजारे ट्रॉफी: उत्तराखंड क्रिकेट टीम टूर्नामेंट से बाहर, चंडीगढ़ टीम ने दी शिकस्त

वे बताते हैं कि अस्पताल के निर्माण के लिए नैनीताल की जनता ने भी बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया. जब इस अस्पताल का निर्माण किया जा रहा था तब रैम जे अस्पताल के द्वारा बड़ी मात्रा में चंदा दिया गया, जिससे अस्पताल का निर्माण संभव हो सका और अस्पताल में आवश्यक चीजें भी लाई गयी.

बता दें कि नैनीताल का ये अस्पताल उस दौर में सबसे ज्यादा प्रचलित अस्पतालों में से एक था. इस अस्पताल में कुमाऊं के सबसे दूरस्थ क्षेत्र पिथौरागढ़ और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगते हुए उधम सिंह नगर, अल्मोड़ा, हल्द्वानी से भी लोग अपना इलाज कराने नैनीताल के बीडी पांडे अस्पताल में आया करते थे.

वहीं 1957 में जब उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत को जब भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया, उसके बाद नैनीताल के रैम जे अस्पताल का नाम बदलकर पंडित गोविंद बल्लभ पंत रख दिया गया. जिसके बाद यहां के लोगों ने 1960 में नैनीताल के चार्ल्स फास्फेट अस्पताल का नाम बदलकर कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पांडे के नाम पर रख दिया. जिसे आज लोग बीडी पांडे अस्पताल के नाम से जानते हैं.

नैनीताल: सरोवर नगरी में स्थित बीडी पांडे अस्पताल के 125वें स्थापना दिवस को स्थानीय लोगों और डॉक्टरों ने बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया. इस अस्पताल की नींव 1894 में ब्रिटिश शासक और गवर्नर चार्ल्स फास्फेट ने रखी थी. उस दौर में दूर-दूर से लोग इस अस्पताल में अपना इलाज कराने आया करते थे.

धूमधाम से मनाई गई बीडी पांडे अस्पताल की 125वीं वर्षगांठ.

इतिहासकार अजय रावत बताते हैं कि नैनीताल में सबसे पहला अस्पताल 1892 में रैम जे बनाया गया था. यह अस्पताल ब्रिटिश शासक के नाम पर ही था. हिंदुस्तानी आबादी वाले इलाके से काफी दूर होने के कारण अधिकांश लोग इस अस्पताल तक नहीं जा पाते थे. जिसको देखते हुए दूसरे ब्रिटिश शासक एंटिनी मैकडॉवेल के विशेष योगदान से 1896 में एक दूसरा अस्पताल का बनवाया गया. जिसे बनाने में उस समय करीब 3,3,770 रुपये खर्च आया था.

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वे बताते हैं कि अस्पताल के निर्माण के लिए नैनीताल की जनता ने भी बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया. जब इस अस्पताल का निर्माण किया जा रहा था तब रैम जे अस्पताल के द्वारा बड़ी मात्रा में चंदा दिया गया, जिससे अस्पताल का निर्माण संभव हो सका और अस्पताल में आवश्यक चीजें भी लाई गयी.

बता दें कि नैनीताल का ये अस्पताल उस दौर में सबसे ज्यादा प्रचलित अस्पतालों में से एक था. इस अस्पताल में कुमाऊं के सबसे दूरस्थ क्षेत्र पिथौरागढ़ और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगते हुए उधम सिंह नगर, अल्मोड़ा, हल्द्वानी से भी लोग अपना इलाज कराने नैनीताल के बीडी पांडे अस्पताल में आया करते थे.

वहीं 1957 में जब उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत को जब भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया, उसके बाद नैनीताल के रैम जे अस्पताल का नाम बदलकर पंडित गोविंद बल्लभ पंत रख दिया गया. जिसके बाद यहां के लोगों ने 1960 में नैनीताल के चार्ल्स फास्फेट अस्पताल का नाम बदलकर कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पांडे के नाम पर रख दिया. जिसे आज लोग बीडी पांडे अस्पताल के नाम से जानते हैं.

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नैनीताल के बीडी पांडे अस्पताल को हुए 125 साल केक काटकर मनाया गया स्थापना दिवस।

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यूं तो किसी ना किसी व्यक्ति के जन्म दिवस के अवसर पर केक काटकर उत्साह मनाया जाता है, लेकिन आज नैनीताल के बीडी पांडे अस्पताल के 125 स्थापना दिवस के अवसर पर नैनीताल के स्थानीय लोगों और डॉक्टर और कर्मचारियों ने अस्पताल का 125 वां स्थापना दिवस बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया नैनीताल के इस अस्पताल की नींव 1894 में ब्रिटिश शासक और गवर्नर चार्ल्स फास्फेट ने की थी और ब्रिटिश काल के दौरान ही लेफ्टिनेंट गवर्नर चार्ल्स फास्फेट के नाम पर इस अस्पताल का नाम रखा गया।


Body:इतिहासकार अजय रावत बताते हैं कि नैनीताल में सबसे पहला अस्पताल 1892 में रैम जे बनाया गया, यह अस्पताल भी ब्रिटिश शासक के नाम पर ही था इस अस्पताल में अधिकांश लोग उच्च वर्ग के जाया करते थे और ये अस्पताल नैनीताल की बसावट वाले क्षेत्र से दूरी पर था जिस वजह से अधिकांश लोग स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा लेने इस अस्पताल तक नहीं जा पाते थे जिसको देखते हुए दूसरे ब्रिटिश शासक एंटिनी मैकडॉवेल के विशेष योगदान से 1894 मैं मल्लीताल मैं बनना शुरू हुआ जिसका कार्य 1896 में पूरा हुआ, और उस समय इस अस्पताल को बनाने में करीब ₹33770 का खर्च आया।


Conclusion:अस्पताल के निर्माण के लिए नैनीताल की जनता ने भी बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया और अस्पताल निर्माण के लिए खुद चंदा भी एकत्र किया,,, जब इस अस्पताल का निर्माण किया जा रहा था तब रैम जे अस्पताल के द्वारा बड़ी मात्रा में चंदा दिया गया, जिससे अस्पताल का निर्माण संभव हो सका और अस्पताल में आवश्यक चीजें भी लाई गयी।
नैनीताल का ये अस्पताल उस दौर में सबसे ज्यादा प्रचलित अस्पतालों में से एक था, इस अस्पताल में कुमाऊ के सबसे दूरस्थ क्षेत्र पिथौरागढ़ और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगते हुए उधम सिंह नगर,अल्मोड़ा,हल्द्वानी, से लोग अपना इलाज कराने नैनीताल आया करते थे।

वहीं 1957 में जब पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया उसके बाद नैनीताल के रैम जे अस्पताल का नाम बदलकर पंडित गोविंद बल्लभ पंत रख दिया गया,, जिसके बाद यहां के लोगो ने 1960 में नैनीताल के चार्ल्स फास्फेट अस्पताल का नाम बदलकर कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पांडे के नाम पर रखा गया जिसे आज लोग बीडी पांडे अस्पताल कहते हैं।

बाईट- अजय रावत, इतिहासकार।
Last Updated : Oct 18, 2019, 8:35 AM IST
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