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Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत पर बन रहा है सर्व सिद्धि योग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

शुक्रवार को वट सावित्री व्रत है. पुराणों के समय से चले आ रहे वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बता रहे हैं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी.

Vat Savitri Vrat 2023
वट सावित्री व्रत
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Published : May 18, 2023, 6:57 AM IST

Updated : May 18, 2023, 7:17 AM IST

वट सावित्री व्रत पर बन रहा है सर्व सिद्धि योग

हल्द्वानी: ज्येष्ठ महीने की अमावस्या पर वट सावित्री व्रत किया जाता है. सुहागिन महिलाएं इस दिन अखंड सौभाग्य के साथ-साथ परिवार की सुख शांति की कामना लेकर व्रत रखती हैं. वट सावित्री व्रत को भी बेहद खास माना जाता है. इस बार वट सावित्री व्रत 19 मई के दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. इसी दिन दर्श अमावस्या भी मनाई जाएगी. नारद पुराण में इसे ब्रह्म सावित्री व्रत भी कहा गया है. यही नहीं 19 मई शुक्रवार के दिन बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है. इस दिन शनि जयंती का शुभ संयोग भी है.

क्या है वट सावित्री व्रत: वट सावित्री के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत के करने से यमराज के प्रकोप और अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता है. ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक सुहागन महिलाओं को विधि विधान से व्रत के साथ इस दिन वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करनी चाहिए, जिससे मां सावित्री और त्रिदेव के आशीर्वाद से अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है.

वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त: अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई गुरुवार की रात्रि 09 बजकर 40 मिनट से ही प्रारंभ होगी. समापन 19 मई की रात्रि 09 बजकर 20 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री का व्रत 19 मई को ही रखा जाएगा.

वट सावित्री व्रत और पूजा विधि: वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद नए या साफ कपड़े पहनें और 16 श्रृंगार करें. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा विधि-विधान से करें. सबसे पहले पेड़ पर जल अर्पित करें. इसके बाद गुड़, चना, फूल अर्पित करें. इसके बाद पेड़ के पास बैठ कर वट सावित्री व्रत कथा का पाठ करें. इसके बाद, हाथ में लाल रंग का कलावा या धागा लेकर, पेड़ की परिक्रमा करें. धार्मिक मान्यता के अनुसार बरगद पेड़ की परिक्रमा करने से सुख-सौभाग्य का प्राप्ति होती है. पति और पुत्र की आयु के साथ-साथ परिवार में धन समृद्धि सुख शांति की प्राप्ति होती है.
ये भी पढ़ें: बाबा केदार के शीर्ष पर जल्द सजेगा भव्य स्वर्ण कलश, भव्यता पर लगेंगे चार चांद

वट सावित्री व्रत को लेकर ये है मान्यता: मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से बचाए थे. इसलिए इस दिन व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यता है कि सावित्री बरगद के पेड़ के नीचे अपने मृत पति के जीवन को वापस लायी थी. यमराज को अपने पुण्य धर्म से प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त किया था. यही कारण है कि वट सावित्री व्रत पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती है. मान्यता है कि सावित्री ने यमराज से 100 पुत्रों की मां होने का वरदान भी मांगा था.

वट सावित्री व्रत पर बन रहा है सर्व सिद्धि योग

हल्द्वानी: ज्येष्ठ महीने की अमावस्या पर वट सावित्री व्रत किया जाता है. सुहागिन महिलाएं इस दिन अखंड सौभाग्य के साथ-साथ परिवार की सुख शांति की कामना लेकर व्रत रखती हैं. वट सावित्री व्रत को भी बेहद खास माना जाता है. इस बार वट सावित्री व्रत 19 मई के दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. इसी दिन दर्श अमावस्या भी मनाई जाएगी. नारद पुराण में इसे ब्रह्म सावित्री व्रत भी कहा गया है. यही नहीं 19 मई शुक्रवार के दिन बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है. इस दिन शनि जयंती का शुभ संयोग भी है.

क्या है वट सावित्री व्रत: वट सावित्री के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत के करने से यमराज के प्रकोप और अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता है. ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक सुहागन महिलाओं को विधि विधान से व्रत के साथ इस दिन वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करनी चाहिए, जिससे मां सावित्री और त्रिदेव के आशीर्वाद से अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है.

वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त: अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई गुरुवार की रात्रि 09 बजकर 40 मिनट से ही प्रारंभ होगी. समापन 19 मई की रात्रि 09 बजकर 20 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री का व्रत 19 मई को ही रखा जाएगा.

वट सावित्री व्रत और पूजा विधि: वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद नए या साफ कपड़े पहनें और 16 श्रृंगार करें. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा विधि-विधान से करें. सबसे पहले पेड़ पर जल अर्पित करें. इसके बाद गुड़, चना, फूल अर्पित करें. इसके बाद पेड़ के पास बैठ कर वट सावित्री व्रत कथा का पाठ करें. इसके बाद, हाथ में लाल रंग का कलावा या धागा लेकर, पेड़ की परिक्रमा करें. धार्मिक मान्यता के अनुसार बरगद पेड़ की परिक्रमा करने से सुख-सौभाग्य का प्राप्ति होती है. पति और पुत्र की आयु के साथ-साथ परिवार में धन समृद्धि सुख शांति की प्राप्ति होती है.
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वट सावित्री व्रत को लेकर ये है मान्यता: मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से बचाए थे. इसलिए इस दिन व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यता है कि सावित्री बरगद के पेड़ के नीचे अपने मृत पति के जीवन को वापस लायी थी. यमराज को अपने पुण्य धर्म से प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त किया था. यही कारण है कि वट सावित्री व्रत पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती है. मान्यता है कि सावित्री ने यमराज से 100 पुत्रों की मां होने का वरदान भी मांगा था.

Last Updated : May 18, 2023, 7:17 AM IST
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