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HC के आदेश के बाद सरकार ने मुनि चिदानंद का अवैध अतिक्रमण किया ध्वस्त

हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश के निकट वीरपुर खुर्द वीरभद्र में मुनि चिदानंद ने रिजर्व फॉरेस्ट की 35 बीघा भूमि पर कब्जा कर वहां पर 52 कमरे, एक बड़ा हाल और गौशाला का निर्माण कर लिया है.

Nainital High Court News
नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Dec 4, 2020, 10:56 PM IST

नैनीताल: हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने अवैध अतिक्रमण मामले पर मुनि चिदानंद पर बड़ी कार्रवाई करते हुए वन भूमि से अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया है. सरकार ने आज अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से नैनीताल कोर्ट में पेश किया.

HC के आदेश के बाद सरकार ने मुनि चिदानंद का अवैध अतिक्रमण किया ध्वस्त.

आज मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में जवाब पेश कर बताया कि उनके द्वारा ऋषिकेश के वीरपुर खुर्द रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन पर कब्जे के मामले में सरकार ने मुनि चिदानंद द्वारा किये गए अवैध निर्माण को तोड़ दिया है और मुनि पर 26 वन अधिनियम (फॉरेस्ट एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज कर चार्जसीट सीजेएम कोर्ट में दाखिल कर दी गयी है. जिसके बाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सरकार के जवाब के बाद याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए सीजेएम को आदेश दिया हैं कि वन अधिनियम 26 एक्ट की सजा के साथ जुर्माने के अलावा 20 साल के कब्जे पर अलग से मुआवजा भी तय करें.

पढ़ें-उत्तराखंड दौरे पर बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, जानें कैसा रहा पहला दिन

बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है ऋषिकेश के निकट वीरपुर खुर्द वीरभद्र में मुनि चिदानंद ने रिजर्व फारेस्ट की 35 बीघा भूमि पर कब्जा कर वहां पर 52 कमरे, एक बड़ा हाल और गौशाला का निर्माण कर लिया है. चिदानंद के रसूखदारों से संबंध के चलते वन विभाग व राजस्व विभाग द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही हैं. लिहाजा उक्त भूमि से अतिक्रमण हटाकर यह भूमि सरकार को सौंपी जाएं.

नैनीताल: हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने अवैध अतिक्रमण मामले पर मुनि चिदानंद पर बड़ी कार्रवाई करते हुए वन भूमि से अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया है. सरकार ने आज अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से नैनीताल कोर्ट में पेश किया.

HC के आदेश के बाद सरकार ने मुनि चिदानंद का अवैध अतिक्रमण किया ध्वस्त.

आज मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में जवाब पेश कर बताया कि उनके द्वारा ऋषिकेश के वीरपुर खुर्द रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन पर कब्जे के मामले में सरकार ने मुनि चिदानंद द्वारा किये गए अवैध निर्माण को तोड़ दिया है और मुनि पर 26 वन अधिनियम (फॉरेस्ट एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज कर चार्जसीट सीजेएम कोर्ट में दाखिल कर दी गयी है. जिसके बाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सरकार के जवाब के बाद याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए सीजेएम को आदेश दिया हैं कि वन अधिनियम 26 एक्ट की सजा के साथ जुर्माने के अलावा 20 साल के कब्जे पर अलग से मुआवजा भी तय करें.

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बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है ऋषिकेश के निकट वीरपुर खुर्द वीरभद्र में मुनि चिदानंद ने रिजर्व फारेस्ट की 35 बीघा भूमि पर कब्जा कर वहां पर 52 कमरे, एक बड़ा हाल और गौशाला का निर्माण कर लिया है. चिदानंद के रसूखदारों से संबंध के चलते वन विभाग व राजस्व विभाग द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही हैं. लिहाजा उक्त भूमि से अतिक्रमण हटाकर यह भूमि सरकार को सौंपी जाएं.

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