हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार ने खास तौर पर महिलाओं के लिए एक कल्याणकारी योजना शुरू की है. जिसका नाम ‘मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना' है. योजना को महिला बाल विकास विभाग ने महिला सशक्तिकरण और जच्चा-बच्चा की बेहतर देखभाल के लिए बनाया है. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री महालक्ष्मी की योजना के तहत अभी तक उत्तराखंड के 7213 लाभार्थियों को इसका फायदा मिला है. योजना के तहत सरकार ने 7 करोड़ 80 लाख 50 हजार का बजट जारी किया था. जिसके तहत महिला बाल विकास विभाग ने अभी तक 5 करोड़ 90 लाख 26534 रुपए खर्च किए गए हैं, जबकि विभाग के पास अभी एक करोड़ 90 लाख 23466 रु बचे हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट को महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध कराएं जिससे कि जच्चा बच्चा स्वस्थ रह सकें. इसके अलावा पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में भी सरकार को इस योजना को पहुंचाएं जिससे कि पहाड़ की महिलाओं को इस योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके.
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गौरतलब है कि इस योजना की घोषणा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में हुई थी. परंतु किसी कारणवश यह योजना तब लागू नहीं हो पाई थी. इस योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की. योजना की शुरुआत उत्तराखंड राज्य में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य की पहल पर हुई है.
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किट में उपलब्ध सामग्री
महालक्ष्मी किट में माताओं के लिए 250 ग्राम बादाम गिरी, अखरोट, सूखे खुमानी, 500 ग्राम छुआरा, दो जोड़ी जुराब, स्कार्फ, दो तौलिये, शाल, कंबल, बेडशीट, दो पैकेट सैनेटरी नेपकिन, 500 ग्राम सरसों तेल, साबुन, नेलकटर आदि सामग्री शामिल है. बालिकाओं की किट में दो जोड़ी सूती व गर्म कपड़े, टोपी, मौजे, 12 लंगोट, तौलिया, बेबी सोप, रबर शीट, गर्म कंबल, टीकाकरण कार्ड, पोषाहार कार्ड होता है.
मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना का उद्देश्य
- संस्थागत प्रसव के दौरान बालिका दर को बढ़ावा देना.
- मातृ मृत्यु दर एवं बालिका मृत्यु दर में कमी लाना.
- प्रसव के समय मां एवं बालिका को आवश्यक सामग्री प्रदान करना, जिससे मां एवं बालिका की अतिरिक्त देखभाल की जा सके.
- स्तनपान के बारे में जानकारी विशेषकर नवजात बालिका को पहले 1 घण्टे के अंदर स्तनपान कराए जाने के संबंध में.
- प्रसव उपरांत स्वच्छता के बारे में जागरूक करना.