हल्द्वानी: ब्रिटिश काल में गुलामी के दिनों की गवाह रही हल्द्वानी जेल की ऐतिहासिक इमारत को अब जेल प्रशासन धरोहर के रूप में संरक्षित करने जा रहा है. हल्द्वानी जेल का निर्माण ब्रिटिश सरकार ने साल 1903 में कराया था, लेकिन अब यह जेल पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुकी है. 1990 में जेल की नई बिल्डिंग बनने के बाद यहां के कैदियों को नई जिले में शिफ्ट कर दिया गया था. तब इस पुरानी बिल्डिंग की किसी ने खबर नहीं ली.
नई जेल बनने बाद ब्रिटिश काल में बनी जेल की बिल्डिंग की पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुकी है. हालांकि आज भी जेल का मुख्य हिस्सा पूरी तरह से खड़ा है और अपना इतिहास की गवाई दे रहा है, लेकिन जेल का पिछला हिस्सा पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. ऐसे में अब जेल प्रशासन जेल के मुख्य हिस्से को धरोहर के रूप में संरक्षित करने जा रहा है. अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले सुल्ताना डाकू को भी ब्रिटिश सरकार ने इसी जेल में बंद किया था और यही पर सुल्ताना डाकू को फांसी दी गई थी.
हल्द्वानी जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि ब्रिटिश सरकार में बनी हल्द्वानी जेल का अपना एक इतिहास रहा है. हालांकि आज उस जेल का भवन अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. पुरानी जेल के इतिहास को देखते हुए जेल मुख्यालय देहरादून ने निर्देश पर अब ब्रिटिश कालीन बिल्डिंग को धरोहर के रूप में संरक्षित करने का काम किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि हल्द्वानी जेल बहुत पुरानी जेल है और इसका अपना एक इतिहास रहा है. यही कारण है कि मुख्यालय ने इस बिल्डिंग को धरोहर के रूप में संरक्षित करने का निर्णय लिया है. जेल अधीक्षक ने बताया कि ब्रिटिश कालीन जेल के मुख्य द्वार पर एक आरमरी जेल का भी 1904 निर्माण किया गया था, जहां पर उस समय जेल के हथियार रखे जाते थे. उस भवन की भी मरम्मत की जाएगी.
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उन्होंने बताया कि कई बार ऐसे बहुत से लोग आते हैं, जिनकी कुड़ली में जेल जाने के योग होते है. ऐसे लोग अपना दोष दूर करने के लिए हवालात में एक रात गुजराना चाहते है. ऐसे लोगों के लिए जेल प्रशासन आरमरी बिल्डिंग में इस तरह का इंतजाम करने जा रहा है. ताकि वो एक रात बिता सके और अपना दोष दूर कर सकें. हालांकि अभी इस व्यवस्था पर विचार ही किया जा रहा है.