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खेती कर बेरोजगारी को मात दे रहे युवा, तैयार कर रहे गन्ने की उन्नत किस्म की पौध - लक्सर न्यूज

लक्सर के इस्माइलपुर गांव के प्रतीक सैनी ऐसे युवा हैं, जिन्होंने खेती को आगे बढ़ाने का जिम्मा संभाला है. साथ ही उन्नत किस्म की गन्ने की पौध भी तैयार कर इसे रोजगार के रूप में अपना रहे हैं. वो नारियल के बुरादे की मदद से ट्रेंच विधि से घर पर ही पौध तैयार कर रहे हैं. इस विधि से खेती करने पर एक बीघा क्षेत्र में 100 क्विंटल तक गन्ने की फसल का उत्पादन किया जा सकता है.

गन्ने की उन्नत किस्म
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Published : Oct 9, 2019, 1:50 PM IST

Updated : Oct 9, 2019, 3:11 PM IST

लक्सरः युवाओं का रुझान धीरे-धीरे खेती की ओर बढ़ रहा है. बेरोजगार युवा खेती में आधुनिक तकनीकी अपनाने के साथ ही नए-नए प्रयोग भी कर रहे हैं. इतना ही नहीं ये युवा घर पर ही उन्नत किस्म की गन्ने की पौध भी तैयार कर रहे हैं. साथ ही खेती को रोजगार के रूप में अपना रहे हैं. इससे किसानों का खेती में लागत कम होने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ रहा है.

लक्सर में युवा तैयार कर रहे गन्ने की उन्नत किस्म.

इस्माइलपुर गांव निवासी प्रतीक सैनी भी ऐसे ही युवा हैं. जिन्होंने खेती को आगे बढ़ाने का जिम्मा संभाला है. इसके लिए वो नई तकनीकों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. साथ ही घर पर ही गन्ने की पौध तैयार कर रहे हैं. प्रतीक ने बताया कि मिल से गन्ने का जो बीज उन्हें उपलब्ध कराया जाता है, वो एक आंख वाला (जहां से गन्ने का नया पौधा निकलता) होता है. जिसे वो तकनीक अपना कर नए तरीके से तैयार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंडः 28 अक्टूबर के बाद 6 महीने मुखबा में होंगे मां गंगा के दर्शन

उन्होंने बताया कि इसके लिए वो नारियल के बुरादे की मदद से ट्रेंच विधि से पौध तैयार करते हैं. इससे कम बीज में ज्यादा क्षेत्रफल में बुवाई हो जाती है. इसके अलावा इस विधि से खेती करने पर एक बीघा क्षेत्र में 100 क्विंटल तक गन्ने की फसल का उत्पादन किया जा सकता है. जबकि, सामान्य विधि से एक बीघा भूमि में 60 से 70 कुंटल ही गन्ने की फसल तैयार होती है. ऐसे में इस तरह की खेती से कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

वहीं, प्रतीक से प्रेरणा लेकर अन्य युवा और किसान भी इस विधि को अपना रहे हैं. इस विधि में गन्ने के बीज (पैड़ी) को 4 से 5 इंच काटा जाता है. इसके बाद फ्रेम में नारियल के बुरादे में उन्हें लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि इस विधि से कम समय और कम स्थान पर ही अधिक बीज उपलब्ध होता है. साथ ही ट्रेंच विधि से एक ही स्थान पर गन्ने के एक से अधिक पौधे उगाने के बजाय सामान्य दूरी पर ही गन्ने की फसल उगती है. इससे उत्पादन भी बढ़ता है.

ये भी पढ़ेंः विश्व डाक दिवस: समय के साथ बदल गई चिट्ठी, आज भी सहेज कर रखे हैं 50 साल पुराने डाक टिकट

प्रतीक सैनी का कहना है कि इस तरह के पैदावार से एक तो किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. उनकी ज्यादा आमदनी भी होगी. उन्होंने किसान भाइयों से अनुरोध करते हुए कहा कि खेती कर वह अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं. वहीं, अन्य युवा ललित धीमान ने बताया कि इस तरह से पौध तैयार करने से किसान को एक बीघे में 100 क्विंटल से ज्यादा की फसल तैयार होगी. किसान को इससे ज्यादा फायदा होगा. ऐसे में किसान ज्यादा से ज्यादा इस तकनीक को अपनाएं.

लक्सरः युवाओं का रुझान धीरे-धीरे खेती की ओर बढ़ रहा है. बेरोजगार युवा खेती में आधुनिक तकनीकी अपनाने के साथ ही नए-नए प्रयोग भी कर रहे हैं. इतना ही नहीं ये युवा घर पर ही उन्नत किस्म की गन्ने की पौध भी तैयार कर रहे हैं. साथ ही खेती को रोजगार के रूप में अपना रहे हैं. इससे किसानों का खेती में लागत कम होने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ रहा है.

लक्सर में युवा तैयार कर रहे गन्ने की उन्नत किस्म.

इस्माइलपुर गांव निवासी प्रतीक सैनी भी ऐसे ही युवा हैं. जिन्होंने खेती को आगे बढ़ाने का जिम्मा संभाला है. इसके लिए वो नई तकनीकों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. साथ ही घर पर ही गन्ने की पौध तैयार कर रहे हैं. प्रतीक ने बताया कि मिल से गन्ने का जो बीज उन्हें उपलब्ध कराया जाता है, वो एक आंख वाला (जहां से गन्ने का नया पौधा निकलता) होता है. जिसे वो तकनीक अपना कर नए तरीके से तैयार कर रहे हैं.

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उन्होंने बताया कि इसके लिए वो नारियल के बुरादे की मदद से ट्रेंच विधि से पौध तैयार करते हैं. इससे कम बीज में ज्यादा क्षेत्रफल में बुवाई हो जाती है. इसके अलावा इस विधि से खेती करने पर एक बीघा क्षेत्र में 100 क्विंटल तक गन्ने की फसल का उत्पादन किया जा सकता है. जबकि, सामान्य विधि से एक बीघा भूमि में 60 से 70 कुंटल ही गन्ने की फसल तैयार होती है. ऐसे में इस तरह की खेती से कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

वहीं, प्रतीक से प्रेरणा लेकर अन्य युवा और किसान भी इस विधि को अपना रहे हैं. इस विधि में गन्ने के बीज (पैड़ी) को 4 से 5 इंच काटा जाता है. इसके बाद फ्रेम में नारियल के बुरादे में उन्हें लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि इस विधि से कम समय और कम स्थान पर ही अधिक बीज उपलब्ध होता है. साथ ही ट्रेंच विधि से एक ही स्थान पर गन्ने के एक से अधिक पौधे उगाने के बजाय सामान्य दूरी पर ही गन्ने की फसल उगती है. इससे उत्पादन भी बढ़ता है.

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प्रतीक सैनी का कहना है कि इस तरह के पैदावार से एक तो किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. उनकी ज्यादा आमदनी भी होगी. उन्होंने किसान भाइयों से अनुरोध करते हुए कहा कि खेती कर वह अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं. वहीं, अन्य युवा ललित धीमान ने बताया कि इस तरह से पौध तैयार करने से किसान को एक बीघे में 100 क्विंटल से ज्यादा की फसल तैयार होगी. किसान को इससे ज्यादा फायदा होगा. ऐसे में किसान ज्यादा से ज्यादा इस तकनीक को अपनाएं.

Intro:लोकेशन--- लक्सर उत्तराखंड
संवाददाता ---कृष्णकांत शर्मा लकसर
सलग-- गन्ने की पौध
एंकर-- लक्सर में युवाओं का खेती के प्रति रुझान बढ़ रहा है शिक्षित युवा खेती में आधुनिक तकनीकी अपनाने के साथ ही नए प्रयोग भी कर रहे हैं इसका लाभ भी उन्हें मिल रहा है ऐसा ही देखने को मिला है लक्सर के इस्माइलपुर गांव में युवा घर पर ही गन्ने की पौध तैयार कर रहे हैं इससे खेती में लागत कम होने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ रहा है
Body:
एक समय नौकरी व दूसरे व्यवसाय के लिए खेती से दूर जाने वाले युवा वापस खेती की ओर लौट रहे हैं पढ़ लिखकर युवा खेती को ही रोजगार के रूप में अपना रहे हैं शिक्षित युवाओं के खेती की तरफ मुड़ने का असर भी साफ देखा जा सकता है युवाओं ने नई तकनीकी को समझकर खेती में उनका इस्तेमाल कर रहे हैं इतना ही नहीं उत्पादन बढ़ने तथा लगातार काम करने के लिए वह नए प्रयोग करने से भी नहीं हिचक रहे हैं इस्माइलपुर गांव निवासी प्रतीक सैनी भी ऐसे ही युवा हैं जिन्होंने खेती को आगे बढ़ाने का जिम्मा संभाला है वह इसके लिए नई तकनीकी का इस्तेमाल भी कर रहे हैं प्रतीक घर पर ही गन्ने की पौध तैयार कर रहे हैं प्रतीक ने बताया कि मिल द्वारा गन्ने का जो बीज उन्हें उपलब्ध कराया जाता है वह एक आंख( जहां से गन्ने का नया पौधा निकलता है) वह नारियल के बुरादे की मदद से ट्रेंच विधि से घर पर ही इसकी पौध तैयार कर रहे हैं इससे कम बीज में अधिक क्षेत्रफल में बुवाई हो जाती है इसके अलावा वह इस विधि से खेती करने पर एक बीघा क्षेत्र में 100 क्विंटल तक गन्ने की फसल प्राप्त की जा सकती है जहां सामान्य विधि से एक बीघा भूमि में 60 से 70 कुंटल ही गन्ने की फसल ही निकलती है इससे खेती में कम लागत से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है प्रतीक की देखा देखी अन्य युवा व किसान भी इस विधि को अपना रहे हैं इस विधि मैं गन्ने के बीज पैड़ी को 4 से 5 इंच में काटा जाता है इसके बाद फ्रेम में नारियल के बरूदे में उन्हें लगाया जाता है उन्होंने बताया कि इस विधि से कम समय में कम स्थान पर ही अधिक बीज उपलब्ध होता है साथ ही ट्रेंच विधि से एक ही स्थान पर गन्ने के एक से अधिक पौधे उगाने के बजाय सामान्य दूरी पर ही गन्ने की फसल उगती है इससे उत्पादन भी बढ़ताहै
Conclusion:वही प्रतीक सैनी का कहना है कि इस तरह पैदावार करने से एक तो किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी उसको ज्यादा आमदनी होगी उन्होंने कहा कि मेरा सभी किसान भाइयों से अनुरोध है कि खेती कर वह अपनी आय दुगनी कर सकते हैं इसी के साथ ललित धीमान ने कहा कि इस तरह से पौध तैयार करने में किसान को एक बिगे में 100 कुंटल से ज्यादा की फसल तैयार होगी किसान को इससे ज्यादा फायदा होगा इसलिए किसान ज्यादा से ज्यादा इस तकनीक को अपनाएं
बाइट--- प्रतीक सैनी युवा किसान
बाइट-- ललित धीमान युवा किसान
Last Updated : Oct 9, 2019, 3:11 PM IST
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