लक्सर: स्थानीय फैक्ट्री के लिए पिटकुल द्वारा 132 केवी की लाइन खींचने का विरोध हो रहा है. स्थानीय ग्रामीण फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ ग्रामीण धरने पर बैठ गए हैं. बुधवार रात से ग्रामीणों का धरना जारी है. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक फैक्ट्री मालिक अपना वादा पूरा नहीं करता है, तब तक उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा.
फैक्ट्री की वादाखिलाफी के खिलाफ ग्रामीणों का धरना: खेड़ीकला और गंनौली गांवों के जंगल के बीच से पिटकुल द्वारा टायर फैक्ट्री के नए प्लांट के लिए 132 केवी की विद्युत लाइन खींची जा रही है. ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा पहले उनसे वादा किया गया था कि वह उनके बेरोजगार बच्चों को नौकरी देंगे. लेकिन अब फैक्ट्री प्रबंधन अपनी बात से मुकर रहा है. इसे लेकर ही पिछले कई दिनों से ग्रामीणों द्वारा गुस्सा जाहिर किया जा रहा है.
बुधवार से जारी है ग्रामीणों का धरना: वहीं ग्रामीणों ने बुधवार की देर रात से लाइन खींची जाने वाले स्थान पर धरना भी शुरू कर दिया था. इस मामले के निपटारे को लेकर लक्सर तहसील मुख्यालय पर एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, फैक्ट्री प्रबंधन, पिटकुल के अधिकारियों व ग्रामीणों के साथ बैठक आयोजित की गई. इस दौरान ग्रामीणों का कहना था कि फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा पहले भी जिन किसानों के खेतों में पोल लगाए गए थे, उनके परिवार वालों को नौकरी दी गई थी. अब फैक्ट्री प्रबंधन अपनी बात से मुकर रहा है.
ग्रामीणों से किया गया था नौकरी देने का वादा! ग्रामीणों का कहना था कि जिस जगह पर पोल लगेंगे, उस जगह को फैक्ट्री द्वारा अपने नाम रजिस्ट्री कर खरीद लिया जाए. उसके बाद उस स्थान पर पोल लगाये जाएं. कहना था कि फैक्ट्री प्रबंधन लाइन से प्रभावित होने वाले सभी किसानों के परिवार वालों को नौकरी दे. लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन के अधिकारियों का कहना था कि वह मुआवजा राशि किसानों को दे सकते हैं. उनके उच्च प्रबंधन द्वारा नौकरी के लिए साफ तौर पर मना किया गया है. इस पर किसानों ने मुआवजा राशि किस स्तर से दी जाएगी, इसकी जानकारी करना चाही. लेकिन फैक्ट्री अधिकारियों द्वारा इसका भी खुलासा नहीं किया गया.
प्रशासन की वार्ता का नहीं निकला हल: एडीएम पीएल शाह का कहना था कि किसान अगर प्रभावित हो रहे हैं तो उन्हें मुआवजा या नौकरी दिया जाना लाजमी है. इसके लिए अधिकारियों ने फैक्ट्री प्रबंधन के अधिकारियों को अपने मैनेजमेंट से बात करने के निर्देश दिए. इसके बाद बैठक खत्म हो गई. लगभग तीन घंटे चली बैठक में कोई भी हल नहीं निकल सका.
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