रुड़की: सिविल लाइन कोतवाली क्षेत्र के बेलड़ा गांव में अनुसूचित जाति के युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में कुछ दिन पहले मौत हो गई थी. युवक के परिजनों ने गांव के ही अन्य समाज के एक युवक पर हत्या का आरोप लगाया था, जिसके बाद गांव में बड़ा बवाल हुआ था. बवाल के बीच पथराव और आगजनी की घटना भी हुई थी. इस मामले के बाद रविवार को उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष व राज्यमंत्री मुकेश कुमार रुड़की के बेलडा गांव पहुंचे और मृतक युवक के परिजनों से मुलाकात की.
मुलाकात के दौरान युवक के परिजनों और गांव के लोगों ने मुकेश कुमार के सामने अपनी पीड़ा रखी और बेटे को न्याय दिलाने की मांग की. मुकेश कुमार ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. घटना के कारणों की जानकारी लेने के लिए आयोग की टीम गांव पहुंची है. उन्होंने कहा कि गांव से अनुसूचित जाति के कुछ लोगों के पलायन की सूचना भी मिली है. मुकेश कुमार ने सभी लोगों को आश्वासन दिया कि दोबारा ऐसी घटना नहीं होगी. साथ ही इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी. दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
ये है पूरा मामलाः 11 जून की रात रुड़की की सिविल लाइन कोतवाली क्षेत्र के बेलड़ा गांव निवासी वर्षीय पंकज रात करीब 11 बजे बाइक से घर जा रहा था. जैसे ही पंकज गांव के पास पहुंचा तो एक ट्रैक्टर-ट्रॉली की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई. 12 जून की सुबह पंकज के परिजन व ग्रामीणों ने सिविल लाइन कोतवाली पहुंचकर कुछ लोगों पर पंकज की हत्या करने का आरोप लगाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. हालांकि, पुलिस ने मौत की वजह हादसा बताया, लेकिन परिजनों ने पुलिस की बात मानने से इनकार कर दिया और कोतवाली में डटे रहे.
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वहीं, बवाल होने की आशंका पर पुलिस अधिकारियों ने कोतवाली में अतिरिक्त पुलिस फोर्स बुला ली. इस बीच परिजन व ग्रामीणों को पुलिस द्वारा समझाने का प्रयास जारी रहा लेकिन परिजन कोतवाली में डटे रहे. इस बीच शव को गांव से कोतवाली लाने की तैयारी की जाने लीग. जैसे ही अन्य गांव वाले शव को लेकर नगर निगम चौक पर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया. इस दौरान दोनों तरफ से धक्का मुक्की और हाथापाई होने लगी. पुलिस को भीड़ पर नियंत्रण पाने के लिए लाठियां चलानी पड़ी. मामला बढ़ा तो ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर दिया. कुछ जगह पर आगजनी भी की. पथराव में कुछ पुलिस कर्मी घायल हो गए. गांव में तनाव देखते भारी पुलिस फोर्स और धारा 144 लगा दी गई. हालांकि, गांव का माहौल सामान्य होने के बाद अब धारा 144 हटा दी गई है.
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