रुड़की: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मंगलवार में रहे. यहां उन्होंने एनआईएच ( नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी) की वार्षिक साधारण सभा की बैठक में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बैठक में कई विषयों पर चर्चा हुई. इसके साथ ही बीते वर्ष जिन विषयों पर काम हुआ है उनकी समीक्षा की गई. और आने वाले समय में किन-किन विषयों पर अध्ययन करना है और किस तरह कार्यों की गति बढ़ानी है, इसको लेकर भी चर्चा हुई. इस दौरान जोशीमठ में हुये भू-धंसाव को लेकर भी बैठक में चर्चा की गई.
वार्षिक कार्ययोजनाओं पर की गई बैठक: बता दें कि 41 वीं एनआईएच की वार्षिक साधारण सभा राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रूड़की मे आयोजित की गई. यह साधारण सभा राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान समिति द्वारा आयोजित की गई. सभी की अध्यक्षता केंद्रीय कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने की. वहीं इसमें संस्थान की वार्षिक कार्य योजनाओं पर समीक्षा बैठक की गई. और आगामी संस्थान कार्यों और प्रतिवेदनों पर विचार विमर्श किया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जल प्रथ्वी पर जीवन का आधार है. और प्रथ्वी पर कुल उपलब्ध पानी सिर्फ चार प्रतिशत ही पीने के उपयोग में लिया जा सकता है.
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पानी की समस्या है बड़ी चुनौती: उन्होंने कहा कि भारत की आबादी की तुलना के हिसाब से बहुत ही कम पानी उपलब्ध है. हमारे देश में आबादी सबसे तेज गति से बढ़ रही है, औद्योगिकरण तेज गति से बढ़ रहा है, और भारत विकसित भारत बनने की ओर अग्रसर है. ऐसे में आने वाले समय में जल की उपलब्धता को निरंतर कैसे बनाए रखें ये एक बड़ी चुनौती देश के सामने खड़ी है. जिसको लेकर बैठक में चर्चा की गई है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान जैसे बहुत से संस्थान इस मुहिम में देश को मुश्किल से निकालने मे अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. जोशीमठ में हुए भू-धंसाव को लेकर अलग-अलग परिपेक्ष्य में उस पर जांच हुई और अब उन जांचों को एक साथ करके गृह मंत्रालय के अधीन चर्चा की गई है. वहीं जोशीमठ के विषय को लेकर सरकारें गम्भीर हैं और उस पर लगातार काम किया जा रहा है.