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क्रांति दिवस: सैकड़ों क्रांतिकारियों के बलिदान का गवाह है ये ऐतिहासिक वटवृक्ष

रुड़की के सुनहरा गांव में एक ऐतिहासिक वटवृक्ष है. जहां पर 1857 में सैकड़ों क्रांतिकारियों को एक साथ फांसी पर लटका दिया गया था. जिनकी याद में यहां एक स्मारक भी बनाया गया है.

शहीदों को किया नमन
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Published : May 11, 2019, 12:09 AM IST

रुड़कीः क्षेत्र के सुनहरा गांव में शहीद स्मारक पर 1857 की क्रांति में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर इसमें झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल सहित कई लोग मौजूद रहे. बता दें कि रुड़की के सुनहरा गांव में एक ऐतिहासिक वटवृक्ष है. जहां पर 1857 में सैकड़ों क्रांतिकारियों को एक साथ फांसी पर लटका दिया गया था. जिनकी याद में यहां एक स्मारक भी बनाया गया है.

क्रांति दिवस पर सुनहरा गांव में क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई.

दरअसल, इस ऐतिहासिक वटवृक्ष पर 1857 की क्रांति के दौरान आज ही के दिन सैकड़ों क्रांतिकारियों को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था. आज भी यह वटवृक्ष यहां पर मौजूद है. हर साल आज ही के दिन इन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और शहीदों के नाम पर दीए जलाकर उन्हें याद किया जाता है.

यह भी पढ़ेंः सीएम त्रिवेन्द्र पहुंचे पार्टी कार्यालय, कहा- अयोध्या में उसी स्थान पर बनेगा राम मंदिर

इस साल भी 1857 की क्रांति में शहीद हुए लोगों के लिए 162वां श्रद्धांजलि दिवस मनाया गया. कार्यक्रम में पहुंचे झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि इस ऐतिहासिक वटवृक्ष के सौंदर्यीकरण का जिम्मा उन्होंने उठाया था और उनके प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने शहीद स्मारक के सौंदर्यीकरण की घोषणा हुई थी.

उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति की शुरुआत मेरठ के साथ-साथ कुंजा बहादुरपुर जिला हरिद्वार से भी हुई थी और ब्रिटिश हुकूमत ने इस वटवृक्ष पर सैकड़ों क्रांतिकारियों को फांसी दे दी थी.


वहीं, स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि शहीद मार्ग पर यह ऐतिहासिक वटवृक्ष सिर्फ एक वटवृक्ष नहीं है. यह हमारे देश के लिए तीर्थ के समान है. देश को ब्रिटिश हुकूमत से मुक्त कराने के लिए शहीद हुए क्रांतिकारियों के बलिदान का यह वटवृक्ष आज भी गवाह है.

रुड़कीः क्षेत्र के सुनहरा गांव में शहीद स्मारक पर 1857 की क्रांति में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर इसमें झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल सहित कई लोग मौजूद रहे. बता दें कि रुड़की के सुनहरा गांव में एक ऐतिहासिक वटवृक्ष है. जहां पर 1857 में सैकड़ों क्रांतिकारियों को एक साथ फांसी पर लटका दिया गया था. जिनकी याद में यहां एक स्मारक भी बनाया गया है.

क्रांति दिवस पर सुनहरा गांव में क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई.

दरअसल, इस ऐतिहासिक वटवृक्ष पर 1857 की क्रांति के दौरान आज ही के दिन सैकड़ों क्रांतिकारियों को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था. आज भी यह वटवृक्ष यहां पर मौजूद है. हर साल आज ही के दिन इन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और शहीदों के नाम पर दीए जलाकर उन्हें याद किया जाता है.

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इस साल भी 1857 की क्रांति में शहीद हुए लोगों के लिए 162वां श्रद्धांजलि दिवस मनाया गया. कार्यक्रम में पहुंचे झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि इस ऐतिहासिक वटवृक्ष के सौंदर्यीकरण का जिम्मा उन्होंने उठाया था और उनके प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने शहीद स्मारक के सौंदर्यीकरण की घोषणा हुई थी.

उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति की शुरुआत मेरठ के साथ-साथ कुंजा बहादुरपुर जिला हरिद्वार से भी हुई थी और ब्रिटिश हुकूमत ने इस वटवृक्ष पर सैकड़ों क्रांतिकारियों को फांसी दे दी थी.


वहीं, स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि शहीद मार्ग पर यह ऐतिहासिक वटवृक्ष सिर्फ एक वटवृक्ष नहीं है. यह हमारे देश के लिए तीर्थ के समान है. देश को ब्रिटिश हुकूमत से मुक्त कराने के लिए शहीद हुए क्रांतिकारियों के बलिदान का यह वटवृक्ष आज भी गवाह है.

Intro:शहीदों को श्रद्धांजलि

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Body:रुड़की के सुनहरा में शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल सहित शहर के लोग मौजूद रहे आपको बता दें कि रुड़की के सुनहरा गांव में एक शहीद स्मारक है जो एक ऐतिहासिक वटवृक्ष है जहां पर 1857 में सैकड़ों क्रांतिकारियों को एक साथ फांसी पर लटका दिया गया था वही आज शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए स्वतंत्रता क्रांति दिवस समारोह का आयोजन किया गया।

दरअसल इस ऐतिहासिक वटवृक्ष पर 1857 की क्रांति के दौरान आज ही के दिन सैकड़ों क्रांतिकारियों को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था आज भी यह वटवृक्ष यहां पर मौजूद है हर वर्ष आज ही के दिन उन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और शहीदों के नाम दीए जलाकर उन्हें याद किया जाता है इस वर्ष भी 162 वाँ श्रद्धांजलि समारोह यहां पर मनाया गया कार्यक्रम में पहुंचे झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि इस ऐतिहासिक वटवृक्ष के सौंदर्य करण का जिम्मा उन्होंने उठाया था और उनके प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने शहीद स्मारक के सौंदर्यीकरण की घोषणा हुई थी साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि 1857 की क्रांति की शुरुआत मेरठ से ना होकर कुंजा बहादुरपुर जिला हरिद्वार से शुरू हुई थी और रुड़की के सुनहरा में वटवृक्ष पर सैकड़ों क्रांतिकारियों को जिंदा लटका कर यहां पर फांसी दे दी गई थी।

बाइट - देशराज कर्णवाल (विधायक झबरेड़ा)


Conclusion:वहीं स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि शहीद समार्ग पर यह ऐतिहासिक वटवृक्ष सिर्फ एक वटवृक्ष नहीं है यह हमारे देश के लिए तीर्थ के समान है देश को ब्रिटिश हुकूमत से मुक्त कराने के लिए शहीद हुए क्रांतिकारियों के बलिदान का यह वटवृक्ष आज भी गवाह है।

बाइट - स्वामी यतींद्रानंद गिरी महाराज

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