हरिद्वार: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज के शिष्य एवं बाघम्बरी पीठाधीश्वर श्रीमहंत बलवीर गिरि महाराज का शहर के विभिन्न संगठनों ने भव्य स्वागत किया. श्रीमहंत बलवीर गिरि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी से बैंड बाजों और सुंदर झांकियों के साथ शोभा यात्रा के रूप में बिल्केश्वर महादेव मंदिर पहुंचे. इस दौरान तुलसी चैक, शिवमूर्ति, आरती होटल, ललतारौ पुल, बिल्केश्वर मंदिर मार्ग पर जगह-जगह शहर व्यापार मंडल, पंजाबी समाज, वाल्मीकि समाज एवं बड़ी संख्या में एकत्र हुए युवाओं ने श्रीमहंत बलवीर गिरि महाराज का फूल माला पहनाकर और पुष्प वर्षा कर स्वागत किया.
इस दौरान पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने शॉल ओढ़ाकर श्रीमहंत बलवीर गिरि का स्वागत किया. उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज के सुयोग्य शिष्य श्रीमहंत बलवीर गिरि विद्वान संत हैं. सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार में योगदान के साथ श्रीमहंत बलवीर गिरि महाराज ने संपूर्ण समाज का मार्गदर्शन करते हुए एकता के सूत्र में बांधा. संत समाज को आशा है कि वे प्रयागराज स्थित बाघम्बरी गद्दी के महंत की जिम्मेदारी संभालने के साथ ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज के अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे.
श्रीमहंत बलवीर गिरि का स्वागत करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि युवा संत श्रीमहंत बलवीर गिरि सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन के साथ युवाओं का मार्गदर्शन करने में भी योगदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि धर्म संस्कृति को देश दुनिया में प्रचारित प्रसारित करने में संत महापुरुषों का अहम योगदान है. मदन कौशिक ने कहा कि पूर्व अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत ब्रह्मलीन नरेंद्र गिरि महाराज दिव्य संत थे. धार्मिक परंपराओं को आगे बढ़ाने में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा.
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श्रद्धालुओं को दिया आशीर्वाद: श्रीमहंत बलवीर गिरि महाराज ने स्वागत करने आए सभी श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म के मार्ग पर अग्रसर करना ही संत महापुरुषों का प्रमुख उद्देश्य है. संत महापुरुषों के सानिध्य में ही भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है. पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज से प्राप्त शिक्षाओं व ज्ञान का अनुसरण करते हुए धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन की मठ की सेवा परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.