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संभल जाओ सरकार! जोशीमठ की तरह हरिद्वार पर भी मंडरा रहा बड़ा खतरा

इस वक्त सभी का ध्यान उत्तराखंड के जोशीमठ शहर को बचाने में लगा हुआ है. लेकिन उत्तराखंड का एक और शहर है, जिस पर पहाड़ी से आसमानी आफत बरसने का अलर्ट जारी हो रखा (big threat to Haridwar) है. हम बात कर रहे हैं भगवान भोलेनाथ की नगरी हरिद्वार की, जिसे धर्मनगरी भी कहते हैं. धर्मनगरी हरिद्वार में मनसा देवी की पहाड़ी कभी दरक सकती (Mansa Devi hills) है, एक्सपर्ट करीब 20 साल पहले ही इसको लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुके (landslide threat to Haridwar) हैं.

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Published : Jan 7, 2023, 7:31 PM IST

Updated : Jan 7, 2023, 9:08 PM IST

शीमठ की तरह हरिद्वार पर भी मंडरा रहा बड़ा खतरा.

हरिद्वार: उत्तराखंड में पर्वतीय शहरों में ही नहीं बल्कि मैदानी क्षेत्रों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. महादेव की नगरी हरिद्वार भी पहाड़ियों की वजह से खतरे की जद में (landslide threat to Haridwar) है. शिवालिक पर्वत पर स्थित मां मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi hills) के आसपास की पहाड़ियां लगातार दरक रही (big threat to Haridwar) हैं, जिसकी वजह से पहाड़ियों के नीचे रहने वाले लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं. दो साल पहले ही मनसा देवी की पहाड़ियों का आईआईटी रुड़की की टीम ने निरीक्षण किया (scientists report hills of Mansa Devi) था. रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया था कि मनसा देवी की पहाड़ियों काफी कमजोर है. इसी वजह से वो पहाड़ी लगातार दरक रही है. आए दिन पहाड़ कमजोर होते जा रहे हैं.

मनसा देवी की पहाड़ियों को लेकर इसी तरह की एक रिपोर्ट करीब 20 साल पहले हरिद्वार के जाने-माने पर्यावरणविद् बीडी जोशी ने भी तैयार की थी. बीडी जोशी ने तभी भी कहा था कि आने वाले समय में यह पहाड़ दिन प्रतिदिन कमजोर होता जाएगा. यदि जल्द ही इसका ट्रीटमेट नहीं किया गया तो हरिद्वार के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है.
पढ़ें- जोशीमठ के बाद अब नरेंद्रनगर के अटाली गांव में भी पड़ने लगी दरारें! दहशत में ग्रामीण

हरिद्वार के भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि मनसा देवी मंदिर के आसपास की पहाड़ियां रेतीले पहाड़ होने की वजह लगातार नीचे झुक रही हैं. इन पहाड़ों पर बिना ट्रीटमेंट के ही कार्य किए जा रहे हैं. मनसा देवी के पहाड़ों के नीचे करोड़ों की लागत से हरिद्वार से मोतीचूर तक सड़क मार्ग का निर्माण किया गया. लेकिन हर मॉनसून सीजन में मलबा आने की वजह से यह सड़क लगातार बंद होती रहती है. इस सड़क के चलते लोगों को हरिद्वार में जाम की समस्या से भी निजात मिलती है. लेकिन बारिश में इस सड़क पर सफर तय करना खतरे से खाली नहीं है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि मनसा देवी के पहाड़ के नीचे से गुजर रही ट्रेनों के कंपन से पहाड़ी कमजोर होती जा रही हैं. भूवैज्ञानिक बीडी जोशी का कहना है कि मनसा देवी के पहाड़ बहुत ही कच्चे हैं. यह चट्टान के ऊपर बने पर्वत नहीं है, बल्कि गंगा की पुरानी मिट्टी से बना हुआ पहाड़ है. ऐसे में इन पहाड़ों में भूमि का कटाव बढ़ रहा है. पहाड़ों से वृक्ष कटाव होने के कारण मनसा देवी के पहाड़ काफी कमजोर हो रहे हैं. अगर सरकार इस पर ध्यान नहीं देती है तो आगे इसके गंभीर परिणाम हरिद्वार की जनता को भुगतना पड़ सकता है.

बीडी जोशी के मुताबिक बिना ट्रीटमेंट के सड़क का उपयोग और चौड़ीकरण का कार्य विनाशक हो सकता है. साथ ही रेलवे का ट्रैक भी डबल किया जा रहा है. इन कार्यों से पहाड़ी पर काफी दबाव पड़ेगा और पहाड़ी तेज बारिश के चलत गिर सकती है.
पढ़ें- जोशीमठ: प्रभावित क्षेत्रों का CM धामी ने किया दौरा, जोशीमठ-मलारी चीन बॉर्डर रोड पर भी दरारें

वहीं, हरिद्वार के निवासी संजीव नैयर बताते हैं कि लगातार मॉनसून में पहाड़ों से गिरकर मिट्टी बाजारों में आ जाती है. निश्चित तौर पर जिस तरह से जोशीमठ में सर्वे और वैज्ञानिकों की बात को दरकिनार किया गया, अगर मनसा देवी पर भी यही रवैया अपनाया गया तो हरिद्वार में एक बड़े हादसे से रोकने के लिए कोई नहीं बचा पाएगा. हमारी सरकार और प्रशासन दोनों से मांगे कि इस पहाड़ का ट्रीटमेंट किया जाए और जोशीमठ जैसे दुर्घटना से सबक लेकर पहले ही हरिद्वार की जनता और हरिद्वार को सुरक्षित कर लिया जाए.

वहीं, हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र चौधरी बताते हैं कि लगातार प्रशासन और सरकारें इस पहाड़ पर शोध करवाती रहती हैं, कई बार इस पहाड़ के कमजोर होने की बात सामने आती रही है, बावजूद इसके सरकार या प्रशासन इस पहाड़ का ट्रीटमेंट नहीं कराता है. अभी 2 साल पहले आईआईटी रुड़की ने भी इस पहाड़ की उम्र को कम बताया था और इसके ट्रीटमेंट की बात कही थी, लेकिन उसके बावजूद भी प्रशासन ने इस पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया. जोशीमठ भू-धंसाव की घटना से सीख लेते हुए सरकार को ऐसे पहाड़ों का ट्रीटमेंट कराना चाहिए.

शीमठ की तरह हरिद्वार पर भी मंडरा रहा बड़ा खतरा.

हरिद्वार: उत्तराखंड में पर्वतीय शहरों में ही नहीं बल्कि मैदानी क्षेत्रों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. महादेव की नगरी हरिद्वार भी पहाड़ियों की वजह से खतरे की जद में (landslide threat to Haridwar) है. शिवालिक पर्वत पर स्थित मां मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi hills) के आसपास की पहाड़ियां लगातार दरक रही (big threat to Haridwar) हैं, जिसकी वजह से पहाड़ियों के नीचे रहने वाले लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं. दो साल पहले ही मनसा देवी की पहाड़ियों का आईआईटी रुड़की की टीम ने निरीक्षण किया (scientists report hills of Mansa Devi) था. रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया था कि मनसा देवी की पहाड़ियों काफी कमजोर है. इसी वजह से वो पहाड़ी लगातार दरक रही है. आए दिन पहाड़ कमजोर होते जा रहे हैं.

मनसा देवी की पहाड़ियों को लेकर इसी तरह की एक रिपोर्ट करीब 20 साल पहले हरिद्वार के जाने-माने पर्यावरणविद् बीडी जोशी ने भी तैयार की थी. बीडी जोशी ने तभी भी कहा था कि आने वाले समय में यह पहाड़ दिन प्रतिदिन कमजोर होता जाएगा. यदि जल्द ही इसका ट्रीटमेट नहीं किया गया तो हरिद्वार के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है.
पढ़ें- जोशीमठ के बाद अब नरेंद्रनगर के अटाली गांव में भी पड़ने लगी दरारें! दहशत में ग्रामीण

हरिद्वार के भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि मनसा देवी मंदिर के आसपास की पहाड़ियां रेतीले पहाड़ होने की वजह लगातार नीचे झुक रही हैं. इन पहाड़ों पर बिना ट्रीटमेंट के ही कार्य किए जा रहे हैं. मनसा देवी के पहाड़ों के नीचे करोड़ों की लागत से हरिद्वार से मोतीचूर तक सड़क मार्ग का निर्माण किया गया. लेकिन हर मॉनसून सीजन में मलबा आने की वजह से यह सड़क लगातार बंद होती रहती है. इस सड़क के चलते लोगों को हरिद्वार में जाम की समस्या से भी निजात मिलती है. लेकिन बारिश में इस सड़क पर सफर तय करना खतरे से खाली नहीं है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि मनसा देवी के पहाड़ के नीचे से गुजर रही ट्रेनों के कंपन से पहाड़ी कमजोर होती जा रही हैं. भूवैज्ञानिक बीडी जोशी का कहना है कि मनसा देवी के पहाड़ बहुत ही कच्चे हैं. यह चट्टान के ऊपर बने पर्वत नहीं है, बल्कि गंगा की पुरानी मिट्टी से बना हुआ पहाड़ है. ऐसे में इन पहाड़ों में भूमि का कटाव बढ़ रहा है. पहाड़ों से वृक्ष कटाव होने के कारण मनसा देवी के पहाड़ काफी कमजोर हो रहे हैं. अगर सरकार इस पर ध्यान नहीं देती है तो आगे इसके गंभीर परिणाम हरिद्वार की जनता को भुगतना पड़ सकता है.

बीडी जोशी के मुताबिक बिना ट्रीटमेंट के सड़क का उपयोग और चौड़ीकरण का कार्य विनाशक हो सकता है. साथ ही रेलवे का ट्रैक भी डबल किया जा रहा है. इन कार्यों से पहाड़ी पर काफी दबाव पड़ेगा और पहाड़ी तेज बारिश के चलत गिर सकती है.
पढ़ें- जोशीमठ: प्रभावित क्षेत्रों का CM धामी ने किया दौरा, जोशीमठ-मलारी चीन बॉर्डर रोड पर भी दरारें

वहीं, हरिद्वार के निवासी संजीव नैयर बताते हैं कि लगातार मॉनसून में पहाड़ों से गिरकर मिट्टी बाजारों में आ जाती है. निश्चित तौर पर जिस तरह से जोशीमठ में सर्वे और वैज्ञानिकों की बात को दरकिनार किया गया, अगर मनसा देवी पर भी यही रवैया अपनाया गया तो हरिद्वार में एक बड़े हादसे से रोकने के लिए कोई नहीं बचा पाएगा. हमारी सरकार और प्रशासन दोनों से मांगे कि इस पहाड़ का ट्रीटमेंट किया जाए और जोशीमठ जैसे दुर्घटना से सबक लेकर पहले ही हरिद्वार की जनता और हरिद्वार को सुरक्षित कर लिया जाए.

वहीं, हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र चौधरी बताते हैं कि लगातार प्रशासन और सरकारें इस पहाड़ पर शोध करवाती रहती हैं, कई बार इस पहाड़ के कमजोर होने की बात सामने आती रही है, बावजूद इसके सरकार या प्रशासन इस पहाड़ का ट्रीटमेंट नहीं कराता है. अभी 2 साल पहले आईआईटी रुड़की ने भी इस पहाड़ की उम्र को कम बताया था और इसके ट्रीटमेंट की बात कही थी, लेकिन उसके बावजूद भी प्रशासन ने इस पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया. जोशीमठ भू-धंसाव की घटना से सीख लेते हुए सरकार को ऐसे पहाड़ों का ट्रीटमेंट कराना चाहिए.

Last Updated : Jan 7, 2023, 9:08 PM IST
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