हरिद्वार: ज्ञानवापी-श्रंगार गौरी केस (Gyanvapi Case Verdict) में वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली है. मामले में फैसला सुनाते हुए जिला जज एके विश्वेश की एकल पीठ ने केस को सुनवाई योग्य माना (Judgment in favor of Hindus in Gyanvapi Case) है. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज (Muslim side petition dismissed in Gyanvapi case) कर दिया है. ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार होने के बाद हर तरफ जश्न का माहौल है. धर्मनगरी हरिद्वार में कोर्ट के फैसले को लेकर संतों में खास उत्साह देखने को मिल रहा है.
हरिद्वार के संतों ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है. उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश ने कहा उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही ऐतिहासिक निर्णय के साथ हिंदुओं को वहां पूजा करने और अन्य अधिकार मिलेगा. निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद ने कहा जिस तरह के तथ्य वहां मिले है, उससे यह जाहिर हो गया था कि उस स्थान पर मंदिर था. जिसे नष्ट करके मस्जिद बनाने का काम किया गया. उन्होंने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा लोगों को संयम से काम लेना होगा. स्वामी कैलाशानंद ने कहा कोर्ट के फैसले का इंतजार करके ही किसी तरह का उत्सव मनाए. उन्होंने माना राम जन्मभूमि से भी कम समय में इसका निर्णय हिंदुओं के पक्ष में आ जायेगा.
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बता दें ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुना दिया. अदालत ने कहा है कि श्रृंगार गौरी से जुड़ी याचिका सुनवाई योग्य है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन और हरिशंकर जैन ने बताया कि कोर्ट ने यह फैसला सबूतों के आधार पर दिया है. अब श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा को लेकर दायर की गई याचिका पर रोजाना सुनवाई होगी.
हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने फैसले के बारे में बताते हुए दावा किया कि ज्ञानवापी पर प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट (places of worship act 1991) लागू नहीं होता है. इस कारण ज्ञानवापी मामले में पूजास्थल का धार्मिक कैरेक्टर बदलने की गुंजाइश है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है.