हरिद्वार: महाकुंभ 2021 को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. महाकुंभ को लेकर एसओपी भी पहले ही जारी हो चुकी है. वहीं, अब उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि महाकुंभ मात्र 30 दिन का होगा. यानी 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा. सरकार के इस फैसले का संत समाज विरोध कर रहा है.
हरिद्वार के संतों का कहना है कि कुंभ कराने की सरकार की इच्छाशक्ति ही नहीं है. हरिद्वार कुंभ से भव्य उत्तर प्रदेश में प्रयागराज माघ मेला और वृंदावन में होली महोत्सव हो रहे हैं. उत्तराखंड शासन और मेला प्रशासन कुंभ को कैसे सीमित कर सकता है. यह कुंभ हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है.
देवेंद्र सिंह शास्त्री, उपाध्यक्ष, अखाड़ा परिषद
- अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह शास्त्री का कहना है कि जब ट्रेनें ही नहीं चलाएंगे, तो हरिद्वार श्रद्धालु कैसे आ पाएंगे. प्रयागराज में वहां की सरकार ने स्पेशल ट्रेनें और बसें चलाई हैं. वहां भव्य तरीके से माघ मेला मनाया जा रहा है.
रविंद्र पुरी, सचिव, महानिर्वाणी अखाड़ा
- महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी का कहना है कि कोरोना महामारी के प्रकोप से शासन भयभीत है. मगर संत अपनी परंपरा के अनुसार ही कुंभ मेले को मनाएंगे. सरकार द्वारा जितनी सख्ती से कोरोना की गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है, इसकी इतनी आवश्यकता नहीं है. क्योंकि भारत में कई राज्यों में बड़ी-बड़ी जनसभाएं की जा रही हैं. आंदोलन हो रहे हैं. वृंदावन में 40 दिवसीय होली महोत्सव और प्रयागराज में माघ मेला किया जा रहा है.
महंत साधनानंद, सचिव, अग्नि अखाड़ा
- अग्नि अखाड़े के सचिव महंत साधनानंद का कहना है कि प्रशासन अपने तरीके से कुंभ तिथि की घोषणा करता है. मगर पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि वो आज से ही कुंभ मेला मना रहे हैं. यह कुंभ मेला कोई कलंक ना बने. कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की अंतर आत्मा ना दुखे. इसको लेकर कार्य करना चाहिए.
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जसविंदर सिंह, कोठारी, पंचायती निर्मल अखाड़ा
- वहीं, पंचायती निर्मल अखाड़े के कोठारी जसविंदर सिंह का कहना है कि स्पेशल ट्रेनों पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए. नहीं तो हरिद्वार कुंभ में श्रद्धालु कैसे आ पाएंगे ? उन्होंने कहा कि कुंभ मेले को समय सीमा में बांधा नहीं जा सकता. हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की भावना का ख्याल रखा जाना चाहिए.
रविंद्रानंद सरस्वती, प्रवक्ता, भारत साधु समाज
- भारत साधु समाज के प्रवक्ता रविंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि सनातन धर्म को मानने वाली सरकार केंद्र और राज्य में है. यह चाहे तो सभी नियमों का पालन कराते हुए भव्य कुंभ का आयोजन कर सकते हैं लेकिन इसमें इच्छा शक्ति का होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि आदेशों को देखकर लगता है कि सरकार मन से कुंभ कराने की इच्छुक नहीं है.