रुड़की: सरकार भले ही प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लाख दावे करती हो, लेकिन धरातल पर सभी दावे खोखले नजर आ रहे हैं. इसकी बानगी रुड़की में देखने को मिल रहा है. जहां प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार सिविल अस्पताल में स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) की सुविधा जच्चा-बच्चा को नहीं मिल पा रही है. इतना ही नहीं तीन साल बीत जाने के बाद भी एसएनसीयू शुरू नहीं हो पाया है. ऐसे में जच्चा-बच्चा को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल, रुड़की के सिविल अस्पताल में डिलीवरी की बढ़ती संख्या को देखते हुए बीते मार्च 2016 को चार बेड के एनबीएसयू को अपग्रेड करने की बात की गई थी, लेकिन इसे अपग्रेड करने की जगह बंद ही कर दिया गया. जिसके बाद 12 बेड का स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) बनाने का काम शुरू किया गया.
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जहां एसएनसीयू के लिए एक हॉल तैयार किया गया, लेकिन साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी अभीतक इसे शुरू नहीं किया गया है. ऐसे में नवजात को रेफर करना पड़ता है. इतना ही नहीं समय पर इलाज न मिल पाने के कारण कई नवजात अपनी जान भी गवां चुके हैं. वहीं, सिविल अस्पताल में एकमात्र बाल रोग विशेषज्ञ है. ऐसे में वो जब छुट्टी पर होते हैं तो बच्चों का चेकअप भी नहीं हो पाता है.
वहीं, इस मामले में अस्पताल के सीएमएस संजय कंसल का कहना है कि एसएनसीयू के लिए ठेकेदार ने जो कंट्रक्शन का कार्य किया था. उसमें खामी पाई गई थी. जिसे उचित ना मानते हुए शासन से और अधिक बजट की मांग की गई है. बजट मिलने के बाद कंट्रक्शन का काम पूरा करवाया जाएगा और एसएनसीयू की सुविधा शुरू कर दी जाएगी.
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बता दें कि जन्म के बाद नवजात के लिए 26 डिग्री से ज्यादा रूम टेंपचर की जरूरत होती है. ठंड में तापमान को बनाए रखने के लिए शिशु को एसएनसीयू में रखा जाता है. जहां शिशु को कम से कम 24 घंटे तक एसएनसीयू में रखने की जरूरत होती है. जिससे शिशु स्थिर हो सके.
इस दौरान नवजात को कोई दिक्कत हो तो एसएनसीयू में उसे पूरा इलाज मिल जाता है. इसके अलावा समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे या फिर कमजोर शिशुओं के लिए एसएनसीयू की जरूरत होती है, लेकिन रुड़की सिविल अस्पताल में ये सुविधा नहीं मिल पा रही है.