हरिद्वार: चमोली में तपोवन में हुई आपदा के बाद पर्यावरणविदों का मानना है कि पहाड़ों को काटकर अगर डैम और रोड बनाकर विकास किया जा रहा है, तो मानव सभ्यता को उसका खामियाजा भुगतना होगा. ऋषिगंगा में हुई तबाही पर पर्यावरणविद रिद्धिमा पांडे ने पहाड़ों में सड़क निर्माण के लिए ब्लास्टिंग, पावर प्रोजेक्ट और डैम के निर्माण को जिम्मेदार बताया है.
रिद्धिमा पांडे ने कहा कि ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट, डैम और बम ब्लास्टिंग की वजह से वहां पर रह रहे के आम लोगों को काफी दिक्कतें आती थीं. स्थानीय लोगों ने मामले में हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी. बावजूद उसके किसी ने उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया.
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रिद्धिमा पांडे ने सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि नंदा देवी का क्षेत्र प्राकृतिक संवेदनशील क्षेत्र है. इसके बावजूद भी सरकार द्वारा वहां पर लगातार निर्माण कराए जा रहे हैं. आपदा के बाद हेलीकॉप्टर से बहुत सारे लोग आए और वहां का निरीक्षण कर चले गए. स्थानीय लोग जानते हैं कि सरकार पहाड़ों पर विकास के नाम पर लोगों की जान लेने का काम कर रही है. उन्होंने चिपको आंदोलन की गौरा देवी को भी एक मिसाल के रूप में पेश करते हुए कहा कि चमोली के जिस जगह से चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई, आज वहीं के लोगों को विकास के नाम पर परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं.