हरिद्वारः सुप्रसिद्ध चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) सुचारू है. देश के कोने-कोने से तीर्थयात्री चारधाम (Chardham Pilgrim) दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. सरकार भी चारधाम यात्रियों को पंजीकरण के साथ आमंत्रित कर रही है. साथ ही तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा स्वच्छता व्यवस्था के लाखों दावे कर रही है. लेकिन सरकार के इन दावों की पोल उस समय खुली जब हरिद्वार में तीर्थयात्रियों के लिए बनाए गए शौचालयों पर ताले लटके मिले. ये कोई सिर्फ एक दिन की बात नहीं थी. बताया जाता है कि रात होते ही हरिद्वार के सार्वजनिक सुलभ शौचालयों में ताले मार दिए जाते हैं. ETV भारत के रियलिटी चेक में कैमरे में कुछ ऐसे ही तस्वीरें कैद हुईं.
हरिद्वार में तीर्थ यात्रियों के लिए व्यवस्था की शासन प्रशासन बड़े-बड़े दावे करता रहा है, लेकिन हकीकत दावों से परे है. दिन में तो यात्रियों को फिर भी कम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन जो यात्री रात में पहुंच रहे हैं, उन्हें ना तो होटल, धर्मशाला में कमरे मिल रहे हैं और ना ही सरकार द्वारा जगह-जगह बनाए गए सुलभ शौचालय मुहैया हो पा रहे हैं. आलम यह है कि रात होते ही इन सुलभ शौचालयों पर ताले लटक जाते हैं जिससे शौच के लिए यात्रियों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने सोमवार रात 12 बजे से 2 के बीच ऐसे ही तमाम सुलभ शौचालयों का रियलिटी चेक किया तो हालात काफी चौंकाने वाले मिले.
शंकराचार्य चौकः रात करीब 12.10 बजे ETV भारत संवाददाता शंकराचार्य चौक पर बने सुलभ शौचालय पर पहुंचे, जहां पर ना तो कोई कर्मचारी था और ना ही सुलभ शौचालय खुला हुआ था. सुलभ शौचालय पर ताले लटके नजर आए. इसके बाद ETV भारत की टीम 12.30 बजे बैरागी कैंप क्षेत्र में बने सुलभ शौचालय पर पहुंची. लेकिन वहां भी हालात जस के तस मिले. यहां सुलभ शौचालय का कर्मचारी शौचालय के गेट पर ताला मार गहरी नींद ले रहा था, जबकि शौचालय के बाहर 2 दर्जन से अधिक यात्री शौचालय खुलने का इंतजार कर रहे थे. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम और कैमरा देख शौचालय के संचालक के होश उड़ गए और वह बगलें झांकने लगा, जिसके बाद उसने शौचालय का ताला खोला.
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बिरला घाट पर कैमरा देख उठा कर्मचारीः वहीं इसके बाद ईटीवी की टीम रात 12.45 बजे बिरला घाट के पास बने भेल (BHEL) द्वारा बनवाए गए सुलभ शौचालय पर पहुंची तो वहां के हालात भी कुछ ऐसे ही थे. यहां भी यात्री परेशान थे, लेकिन सुलभ शौचालय कर्मी ताला डाल नींद ले रहा था. लेकिन कैमरे को देख कर्मचारी को अपनी जिम्मेदारी याद आ गई और ताल खोल दिया.
कैमरा देख खोले ताले: इसके बाद टीम ने हरकी पैड़ी, सीसीआर और सीसीआर रोड पर बने सुलभ शौचालयों का रियलिटी चेक किया, लेकिन वहां के नजारे भी जस के तस मिले. रात 1.10 बजे हर की पैड़ी पर बने सरकारी शौचालय पर पहुंचे तो वहां भी ताला लटका मिला. दूसरी तरफ इतनी रात में भी हर की पैड़ी पर तीर्थ यात्रियों की अच्छी खासी भीड़ दिखी. ऐसे में सुलभ शौचालय का बंद होना स्वच्छता अभियान को पलीता लगाता साबित हुआ.
इसके बाद टीम रात 1.30 बजे सीसीआर और सीसीआर रोड पर बने शौचालयों पर पहुंची, लेकिन वहां के नजारे भी अन्य शौचालयों की तरह मिले. हालांकि कैमरा देख ताले खोल दिए गए. तो ऐसे में बड़ा सवाल यह कि यात्रा सीजन के दौरान भी सुलभ शौचालय जैसी आवश्यक सेवाओं पर ताले क्यों लग रहे हैं? अगर इनका समय निर्धारित है तो फिर ईटीवी भारत का कैमरा देख यहां के संचालकों ने शौचालय पर लगे ताले क्यों खोल दिए.
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वसूले जा रहे मनमाने रुपए: किसी भी सुलभ शौचालय में मूत्रालय का प्रयोग करने पर किसी तरह का कोई पैसा नहीं वसूला जा सकता है. लेकिन यदि कोई शौचालय का प्रयोग शौच के रूप में करता है तो उसे ₹5 देने होते हैं. लेकिन यात्रियों का आरोप है कि रात का फायदा उठाकर सुलभ शौचालय वाले उनसे 2 गुना पैसा वसूल रहे हैं. इतना ही नहीं, मूत्रालय का प्रयोग करने के नाम पर भी उनसे पैसा लिया जा रहा है. बिरला घाट के पास स्थित भेल के सीएसआर फंड द्वारा निर्मित शौचालय में 2 गुना पैसा लेने पर यात्री वहां के संचालक से भिड़ते नजर आए. लोगों का सीधा आरोप था कि उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर शौचालय संचालक उनसे दोगुना पैसा वसूल चुका है.
बस स्टैंड पर खुला मिला शौचालय: भले हर की हरकी पैड़ी के आसपास और हाईवे के आजू बाजू में सुलभ शौचालय पर रात में ताले लटके मिले, लेकिन बस स्टैंड हरिद्वार पर बने सार्वजनिक शौचालय में व्यवस्था बिल्कुल दुरुस्त मिली. जहां साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा गया था, वहीं यहां का अटेंडेंट भी चौकस मिला.
कुंभ मेले के लिए बनाए गए थे शौचालयः दरअसल बीते साल कुंभ के दौरान मेला प्रशासन द्वारा आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शहर में कई स्थानों पर कुंभ निधि और सीएसआर फंड से सुलभ शौचालयों का निर्माण कराया गया था. ताकि आने वाले यात्रियों को जहां एक ओर शौचालय की सुविधा हो, वहीं तीर्थ नगरी में गंदगी कम से कम हो. हालांकि, चारधाम यात्रा खुलने के कारण शासन प्रशासन को उम्मीद थी कि इनका भरपूर लाभ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को मिलेगा. लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते रात को अधिकतर सुलभ शौचालय पर ताले लटके रहते हैं और यात्री इधर-उधर भटकते मिलते हैं.