हरिद्वार: धर्मनगरी में महाकुंभ की शुरूआत हो चुकी है. कुंभनगरी साधु-संतों और श्रद्धालुओं के जयघोष से गुंजायमान है. वहीं, जूना अखाड़े में बनीं छावनी में अद्भूत रामसेतु पत्थर के दर्शन कर श्रद्धालु पुण्य के भागी बन रहे हैं.
यह रामेश्वरम से लाया गया पत्थर पानी पर तैर रहा है. जो लोगों के बीच कौतूहल का विषय बना हुआ है. मान्यता है कि यह रामसेतु पत्थर करीब 9000 वर्ष पुराना त्रेता युग का है, जो आज कलयुग में साधु संतों और गुरुओं की धरोहर है.
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धार्मिक मान्यता है कि जब लंकापति रावण की कैद से मां सीता को मुक्त कराने के लिए प्रभु श्रीराम दक्षिण भारत के समुद्र तट रामेश्वरम पहुंचे तो सामने विशाल समुद्र होने की वजह से उनका लंका पहुंचना मुश्किल था. तब नल और नील नामक दो वानरों ने पत्थरों पर राम नाम लिखकर लंका और रामेश्वरम के बीच सेतु बनाया था, जिसके बाद श्रीराम और वानर सेना लंका पहुंची और रावण का वध कर रामजी माता सीता को लेकर अयोध्या लौटे थे.
नागा संयासी दौलत गिरि का कहना है कि यह पत्थर 21 किलो का है. यह हमारे सनातन धर्म की पहचान और धरोहर है. इस रामसेतु पत्थर के दर्शन मात्र से ही भक्तजनों की मनोकामना पूरी हो होती है. उन्होंने यह भी कहा कि इस पत्थर पर प्रभु श्रीराम के पदचिन्ह हैं और उनका नाम भी लिखा है.