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एक अदद बस अड्डे से महरूम है पिरान कलियर, प्रशासन के दावे हवा-हवाई - रुड़की की खबर

प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पिरान कलियर में बस अड्डे की सुविधा तक नहीं है. लोग अभी भी डग्गामार वाहनों या घोड़ा-बग्गियों से सफर करने को मजबूर हैं. जबकि, देश-विदेश से लाखों जायरीन दरगाह पहुंचते है.

रुड़की में न तो यात्रियों के लिए बस हैं और न ही बस अड्डा
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Published : Aug 23, 2019, 1:21 PM IST

रुड़की: नगर से लगभग 8 किलो मीटर की दूरी पर स्थित विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पिरान कलियर आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इतना ही नहीं आस्था का केंद्र होने के बावजूद यहां एक अदद बस अड्डे तक की सुविधा नहीं है.

रुड़की में न तो यात्रियों के लिए बस हैं और न ही बस अड्डा

बता दें कि पिरान कलियर को पांचवा धाम और विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल धर्मनगरी जैसे अनेकों नामों से जाना जाता है. लेकिन यहां सुविधाओं की बात करें तो ऊंट के मुंह में जीरा नजर आता है. नेशनल हाईवे निर्माण से पहले कलियर मार्ग ही हाईवे कहलाता था.

इतना ही नहीं इसी मार्ग से सभी बसें हरिद्वार और दिल्ली के लिए होकर जाती थीं, लेकिन समय के साथ नेशनल हाईवे डेवलप नहीं हो सका और ये हाईवे तमाम रोडवेज की सुविधाओं से वंचित रह गया. कलियर दरगाह में देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं, लेकिन सुविधाएं न होने के चलते उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

जानकारों की माने तो भारत में पहली बार रेलगाड़ी कलियर और रुड़की के बीच चलाई गई थी, लेकिन आज उसी कलियर में बस अड्डे तक की सुविधा नहीं है, जबकि, पिरान कलियर में देश-विदेश से जायरीन आते हैं, जो रुड़की से घोड़ा बुग्गी या डग्गामार वाहनों से पिरान कलियर पहुंचते हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि पिरान कलियर उत्तराखंड का एक बड़ा धार्मिक स्थल है. जहां प्रशासन यात्री सुविधाओं के लाख दावे करले, लेकिन रोडवेज सुविधा न होने से ये धर्म नगरी प्रशासन के उन तमाम दावों की हवा निकालती नजर आती है.

वहीं, इस मामले में रुड़की की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका खंडेलवाल का कहना है कि कलियर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर रुड़की शहर बसा हुआ है, जहां रोडवेज और रेलवे की तमाम सुविधाएं मौजूद हैं कलियर के लोग ऑटो या अन्य सवारियों के द्वारा रुड़की पहुंच रहे हैं.

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का कहना है कि कलियर में उर्स के दौरान विशेष वाहनों का इंतजाम भी किया जाता है. वहीं, रोडवेज का मामला प्रशासनिक स्तर पर उठा दिया गया है. अगर इससे संबंधित कोई समस्या आती है तो शासन को अवगत करा दिया जाएगा.

रुड़की: नगर से लगभग 8 किलो मीटर की दूरी पर स्थित विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पिरान कलियर आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इतना ही नहीं आस्था का केंद्र होने के बावजूद यहां एक अदद बस अड्डे तक की सुविधा नहीं है.

रुड़की में न तो यात्रियों के लिए बस हैं और न ही बस अड्डा

बता दें कि पिरान कलियर को पांचवा धाम और विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल धर्मनगरी जैसे अनेकों नामों से जाना जाता है. लेकिन यहां सुविधाओं की बात करें तो ऊंट के मुंह में जीरा नजर आता है. नेशनल हाईवे निर्माण से पहले कलियर मार्ग ही हाईवे कहलाता था.

इतना ही नहीं इसी मार्ग से सभी बसें हरिद्वार और दिल्ली के लिए होकर जाती थीं, लेकिन समय के साथ नेशनल हाईवे डेवलप नहीं हो सका और ये हाईवे तमाम रोडवेज की सुविधाओं से वंचित रह गया. कलियर दरगाह में देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं, लेकिन सुविधाएं न होने के चलते उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

जानकारों की माने तो भारत में पहली बार रेलगाड़ी कलियर और रुड़की के बीच चलाई गई थी, लेकिन आज उसी कलियर में बस अड्डे तक की सुविधा नहीं है, जबकि, पिरान कलियर में देश-विदेश से जायरीन आते हैं, जो रुड़की से घोड़ा बुग्गी या डग्गामार वाहनों से पिरान कलियर पहुंचते हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि पिरान कलियर उत्तराखंड का एक बड़ा धार्मिक स्थल है. जहां प्रशासन यात्री सुविधाओं के लाख दावे करले, लेकिन रोडवेज सुविधा न होने से ये धर्म नगरी प्रशासन के उन तमाम दावों की हवा निकालती नजर आती है.

वहीं, इस मामले में रुड़की की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका खंडेलवाल का कहना है कि कलियर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर रुड़की शहर बसा हुआ है, जहां रोडवेज और रेलवे की तमाम सुविधाएं मौजूद हैं कलियर के लोग ऑटो या अन्य सवारियों के द्वारा रुड़की पहुंच रहे हैं.

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का कहना है कि कलियर में उर्स के दौरान विशेष वाहनों का इंतजाम भी किया जाता है. वहीं, रोडवेज का मामला प्रशासनिक स्तर पर उठा दिया गया है. अगर इससे संबंधित कोई समस्या आती है तो शासन को अवगत करा दिया जाएगा.

Intro:आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा की जिस जगह भारत की पहली रेलगाड़ी चलाई गई थी आज उसी स्थान पर बस सुविधा तक नहीं है आज भी वहां के लोग डग्गामार वाहनों या घोड़ा बग्गियों से सफर तय करते हैं डिजिटल इंडिया की यह तस्वीर सरकारी मशीनरी के दावे की हकीकत बयां करती है।

वीओ- 1- रुड़की से लगभग 8 किलो मीटर की दूरी पर बसा विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पिरान कलियर आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित नजर आता है जानकार बताते हैं कि भारत में प्रथम बार रेलगाड़ी कलियर और रुड़की के बीच चलाई गई थी लेकिन आज उसी कलियर में बस अड्डे तक की सुविधा नहीं है जबकि पिरान कलियर में देश-विदेश से जायरीन आते हैं जो रुड़की से घोड़ा बुग्गी या डग्गामार वाहनों से पिरान कलियर पहुंचते हैं इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि जिस नगरी की पहचान विदेशों में भी हो उसी नगरी में बस अड्डे तक की व्यवस्था नहीं है।

वीओ - 2- यूं तो पिरान कलियर को पांचवा धाम विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल धर्मनगरी जैसे अनेकों नाम से जाना जाता है लेकिन अगर यहां सुविधाओं की बात करें तो सुविधाओं के नाम पर ऊंठ के मुंह में जीरा नजर आता है आपको बता दें नेशनल हाईवे निर्माण से पहले कलियर मार्ग ही हाईवे कहलाता था इसी मार्ग से तमाम बसें हरिद्वार और दिल्ली के लिए होकर गुजरती थी लेकिन समय के साथ नेशनल हाईवे डेवलप हुआ और यह हाईवे तमाम रोडवेज की सुविधाओं से वंचित हो गया हाल ही में कलियर में कोई रोडवेज सुविधा नहीं है जबकि पिरान कलियर में हिंदुस्तान के कोने कोने और विदेशों से अकीदत मन लोग आते हैं लेकिन सुविधाएं ना होने के कारण बड़ी दिक्कतों का सामना करने को मजबूर होते हैं।

वीओ -3- बता दें कि शाम ढलते ही सवारियों को वाहन उपलब्ध नहीं होते दिन भर डग्गामार वाहन या घोड़ा बुग्गी से यात्री सफर करते हैं लेकिन जैसे ही शाम ढलती है तो यात्रियों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है ऑटो चालक जायरीनों से मन मुताबिक किराया वसूलते हैं विकल्प ना होने के कारण जायरीन अपनी जेबें ढीली करने पर मजबूर हो जाते हैं जबकि पिरान कलियर उत्तराखंड का एक बड़ा धार्मिक स्थल है जहां दूरदराज से आने वाले जायरीनों की सुख सुविधा के लाख दावे होते हैं लेकिन रोडवेज सुविधा से वंचित यह धर्म नगरी तमाम दावों को चिडाती नजर आती है।




Body:वीओ - 4- वही सूफी संतों की नगरी पिरान कलियर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक मैं बड़े-बड़े रसूखदार नेता और बड़े-बड़े अधिकारी भले ही हाजिरी लगाने आते हो लेकिन पिरान कलियर की तस्वीर बदलने की हवाई बातें करके वह भी लौट जाते हैं मुख्यमंत्रियों से लेकर राज्यपाल तक इस दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं लेकिन कलियर की बदहाली शायद उन्हें भी नजर नहीं आती स्थानीय लोगों ने कई बार संबंधित अधिकारियों को रोडवेज की समस्या से अवगत भी कराया लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकल पाया जिसके चलते आज भी लोग डग्गामार वाहनों और घोड़ा बग्गियों से ही सफर तय करने पर मजबूर हैं।

बाइट - स्थानीय निवासी - 1, 2, 3

वीओ - 5- वही रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका खंडेलवाल बताती है कि कलियर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर रुड़की शहर बसा हुआ है जहां रोडवेज सुविधा से लेकर रेलवे और तमाम सुविधाएं मौजूद हैं कलियर के लोग ऑटो या अन्य सवारियों के माध्यम से रुड़की पहुंच जाते हैं जहां तमाम सुविधाएं मिल जाती है ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने बताया कि कलियर में उर्स के दौरान विशेष वाहनों का इंतजाम भी किया जाता है वहीं उन्होंने बताया की रोडवेज सुविधा का कार्य शासन स्तर पर होगा यदि उनके पास ऐसी कोई समस्या आती है तो वह शासन स्तर पर अवगत करा देंगे।

बाइट - नितिका खंडेलवाल ( ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की)


Conclusion:वीओ - 6- वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो रोडवेज सुविधा के लिए शासन स्तर तक उन्होंने शिकायत की है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई लोगों ने बताया रोडवेज सुविधा ना होने से रोज़मर्रा के कार्यों में काफी दिक्कतें आती हैं इसके साथ ही देर रात को वाहनों की सुविधा ना होना और बड़ी दिक्कतें खड़ी करता है स्थानीय लोगों की माने तो इस धर्म नगरी से भेदभाव हुआ है जबकि कलियर रुड़की के बीच भारत की पहली रेलगाड़ी चली थी आज रेल की पटरियों के निशान भी मौजूद नहीं है और ना ही कोई रोडवेज सुविधा।


फाइनल वीओ -- सुविधाओं से वंचित धर्म नगरी पिरान कलियर की सूरत कैसे और कब बदलेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा बरहाल यह जरूर कहा जा सकता है कि सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा यह धर्म नगरी भुगत रही है।
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