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नई शिक्षा नीति लागू होने पर निशंक के समर्थकों में उत्साह, मां गंगा में किया दुग्धाभिषेक - Education Minister Ramesh Pokhriyal Nishank

नई शिक्षा नीति-2020 को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद से हरिद्वार में डॉ. निशंक के समर्थकों में खासा उत्साह है. शुक्रवार को हरिद्वार के प्रेमनगर घाट पर डॉ. निशंक के समर्थकों ने गंगा में दुग्धाभिषेक कर उनका आभार व्यक्त किया.

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नई शिक्षा नीति लागू होने पर निशंक के समर्थकों में उत्साह
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Published : Jul 31, 2020, 4:24 PM IST

हरिद्वार: 34 साल बाद नई शिक्षा नीति-2020 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इसका एलान किया. जिसके बाद से हरिद्वार में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के समर्थकों में खासा उत्साह है. शुक्रवार को हरिद्वार के प्रेमनगर घाट पर डॉ. निशंक के समर्थकों ने गंगा में दुग्धाभिषेक कर उनका आभार व्यक्त किया.

नई शिक्षा नीति लागू होने पर निशंक के समर्थकों में उत्साह

इस दौरान डॉ. निशंक के समर्थकों ने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू करके उन्होंने ऐतिहासिक काम किया है. पुरानी शिक्षा नीति से देश के छात्रों में हीन भावना पैदा हो रही है, वो डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. अब नई शिक्षा नीति लागू होने से इन सब में बदलाव जरूर होगा. साथ ही नई शिक्षा नीति लागू होने से बच्चों में उत्साह है. इसके साथ ही इसे लेकर अभिभावकों का भी सपोर्ट मिल रहा है.

पढ़ें- हाशिए पर लोक कलाकार: दर-दर ठोकरें खाते संस्कृति के 'रक्षक', लॉकडाउन ने बिगाड़े हालात

समर्थकों ने कहा इस शिक्षा नीति के लागू होने से बच्चों के हुनर को बढ़ावा मिलेगा, जोकि आने वाले समय में हमारे देश के काफी काम आएगा. जिस तरह का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था उसे हमारे कैबिनेट मंत्री ने साकार किया है. उन्होंने कहा आगे आने वाले समय में कैबिनेट मंत्री शिक्षा के क्षेत्र में काफी और सुधार देखने को मिलेंगे यह तो सिर्फ एक ट्रेलर है.

नई शिक्षा की मुख्य बातें

  • ई शिक्षा नीति में पांचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है. इसे कक्षा आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी. हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा.
  • साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर (Gross Enrolment Ratio) के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है.
  • अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा में लाया जाएगा. इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी.
  • स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है. इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है.
  • पढ़ने-लिखने और जोड़-घटाव (संख्यात्मक ज्ञान) की बुनियादी योग्यता पर जोर दिया जाएगा. बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत जरूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए 'एनईपी 2020' में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा 'बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन' की स्थापना किए जाने पर विशेष जोर दिया गया है.
  • एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा.
  • स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच खास अंतर नहीं किया जाएगा.
  • सामाजिक और आर्थिक नजरिए से वंचित समूहों (SEDG) की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाएगा.
  • शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफ़ेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा.

हरिद्वार: 34 साल बाद नई शिक्षा नीति-2020 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इसका एलान किया. जिसके बाद से हरिद्वार में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के समर्थकों में खासा उत्साह है. शुक्रवार को हरिद्वार के प्रेमनगर घाट पर डॉ. निशंक के समर्थकों ने गंगा में दुग्धाभिषेक कर उनका आभार व्यक्त किया.

नई शिक्षा नीति लागू होने पर निशंक के समर्थकों में उत्साह

इस दौरान डॉ. निशंक के समर्थकों ने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू करके उन्होंने ऐतिहासिक काम किया है. पुरानी शिक्षा नीति से देश के छात्रों में हीन भावना पैदा हो रही है, वो डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. अब नई शिक्षा नीति लागू होने से इन सब में बदलाव जरूर होगा. साथ ही नई शिक्षा नीति लागू होने से बच्चों में उत्साह है. इसके साथ ही इसे लेकर अभिभावकों का भी सपोर्ट मिल रहा है.

पढ़ें- हाशिए पर लोक कलाकार: दर-दर ठोकरें खाते संस्कृति के 'रक्षक', लॉकडाउन ने बिगाड़े हालात

समर्थकों ने कहा इस शिक्षा नीति के लागू होने से बच्चों के हुनर को बढ़ावा मिलेगा, जोकि आने वाले समय में हमारे देश के काफी काम आएगा. जिस तरह का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था उसे हमारे कैबिनेट मंत्री ने साकार किया है. उन्होंने कहा आगे आने वाले समय में कैबिनेट मंत्री शिक्षा के क्षेत्र में काफी और सुधार देखने को मिलेंगे यह तो सिर्फ एक ट्रेलर है.

नई शिक्षा की मुख्य बातें

  • ई शिक्षा नीति में पांचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है. इसे कक्षा आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी. हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा.
  • साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर (Gross Enrolment Ratio) के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है.
  • अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा में लाया जाएगा. इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी.
  • स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है. इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है.
  • पढ़ने-लिखने और जोड़-घटाव (संख्यात्मक ज्ञान) की बुनियादी योग्यता पर जोर दिया जाएगा. बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत जरूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए 'एनईपी 2020' में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा 'बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन' की स्थापना किए जाने पर विशेष जोर दिया गया है.
  • एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा.
  • स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच खास अंतर नहीं किया जाएगा.
  • सामाजिक और आर्थिक नजरिए से वंचित समूहों (SEDG) की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाएगा.
  • शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफ़ेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा.
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