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निर्जला एकादशी पर व्यापारियों ने निभाई सनातन परंपरा, राहगीरों को बांटा तरबूज - nirjala ekadshi

सनातन हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी के पावन पर्व पर जो भी मनुष्य दान पुण्य करता है. उसका वह दान पुण्य अक्षय हो जाता है. इसीलिए आज के दिन ऐसा देखने को मिलता है कि लोग तमाम चौराहों, रास्तों, चोकों पर ठंडा पानी शरबत एवं मौसमी फल वितरित करते हैं.

निर्जला एकादशी पर व्यापारियों ने निभाई परंपरा
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Published : Jun 13, 2019, 8:02 PM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में गुरुवार को निर्जला एकादशी के अवसर पर लोगों ने सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया. मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन गर्मी से राहत के लिए पानी पिलाने और फल बांटने से पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसे में में हरिद्वार के कुछ व्यापारियों ने राहगीरों को चिलचिलाती धूप से राहत देने के लिए तरबूज बांटा.

र्जला एकादशी पर व्यापारियों ने निभाई सनातन परंपरा.

पढ़ें- महाकुंभ 2021 की तैयारियां तेज, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ की बैठक

सनातन हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी के पावन पर्व पर जो भी मनुष्य दान पुण्य करता है. उसका वह दान पुण्य अक्षय हो जाता है. इसीलिए आज के दिन ऐसा देखने को मिलता है कि लोग तमाम चौराहों, रास्तों, चोकों पर ठंडा पानी शरबत एवं मौसमी फल वितरित करते हैं. धर्मनगरी हरिद्वार में इसी परंपरा को निभाते हुए आज कुछ स्थानीय व्यापारियों ने लोगों और राहगीरों को फल बांटे.

वहीं, अक्सर देखने को मिलता है कि निर्जला एकादशी को मानने वाले लोग जब राहगीरों को पानी वितरित करते हैं. तो उसमें जल की बहुत बर्बादी होती है. साथ ही प्लास्टिक के ग्लास भी प्रदूषण फैलाता है. ऐसे में धर्मनगरी के व्यापारियों ने इसके बजाय एक नायाब तरीका खोज निकाला है और राहगीरों को बोतल बंद पानी या प्लास्टिक के ग्लास में शरबत देने की बाजाय तरबूज बांटा. जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है और साथ ही शरीर में पानी की कमी की भी पूर्ति करता है.


हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में गुरुवार को निर्जला एकादशी के अवसर पर लोगों ने सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया. मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन गर्मी से राहत के लिए पानी पिलाने और फल बांटने से पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसे में में हरिद्वार के कुछ व्यापारियों ने राहगीरों को चिलचिलाती धूप से राहत देने के लिए तरबूज बांटा.

र्जला एकादशी पर व्यापारियों ने निभाई सनातन परंपरा.

पढ़ें- महाकुंभ 2021 की तैयारियां तेज, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ की बैठक

सनातन हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी के पावन पर्व पर जो भी मनुष्य दान पुण्य करता है. उसका वह दान पुण्य अक्षय हो जाता है. इसीलिए आज के दिन ऐसा देखने को मिलता है कि लोग तमाम चौराहों, रास्तों, चोकों पर ठंडा पानी शरबत एवं मौसमी फल वितरित करते हैं. धर्मनगरी हरिद्वार में इसी परंपरा को निभाते हुए आज कुछ स्थानीय व्यापारियों ने लोगों और राहगीरों को फल बांटे.

वहीं, अक्सर देखने को मिलता है कि निर्जला एकादशी को मानने वाले लोग जब राहगीरों को पानी वितरित करते हैं. तो उसमें जल की बहुत बर्बादी होती है. साथ ही प्लास्टिक के ग्लास भी प्रदूषण फैलाता है. ऐसे में धर्मनगरी के व्यापारियों ने इसके बजाय एक नायाब तरीका खोज निकाला है और राहगीरों को बोतल बंद पानी या प्लास्टिक के ग्लास में शरबत देने की बाजाय तरबूज बांटा. जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है और साथ ही शरीर में पानी की कमी की भी पूर्ति करता है.


Intro:एंकर- धर्मनगरी हरिद्वार में आज निर्जला एकादशी के अवसर पर हजारों साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए लोगों ने बांटा तरबूज, ऐसी मान्यता है कि एकादशी ओं में सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली निर्जला एकादशी के दिन गर्मी से राहत के लिए पानी पिलाने, फल बांटने की मान्यता है, इसी के मद्देनजर आज हरिद्वार के कनॉट प्लेस नाम से मशहूर रानीपुर मोड़ बाजार में हरिद्वार के कुछ स्थानीय व्यापारियों ने चिलचिलाती धूप से राहत देने के लिए लोगों और राहगीरों में तरबूज बांटा।


Body:VO1- सनातन हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी के पावन पर्व पर जो भी मनुष्य दान पुण्य करता है उसका वह दान पुण्य अक्षय हो जाता है, इसीलिए आज के दिन ऐसा देखने को मिलता है कि लोग तमाम चौराहो, रास्तों, चोकों पर ठंडा पानी शरबत एवं मौसमी फल वितरित करते हैं। धर्मनगरी हरिद्वार में इसी परंपरा को निभाते हुए आज कुछ स्थानीय व्यापारियों ने लोगों और राहगीरों में तरबूज बांटा, साथ ही यह संदेश दिया कि अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि निर्जला एकादशी की इस पौराणिक मान्यता को निभाने के लिए लोग जब पानी वितरित करते हैं तो उसमें जल की बहुत बर्बादी होती है साथ ही प्लास्टिक के ग्लास भी प्रदूषण फैलाते है, इसीलिए इसके बजाय हरिद्वार में स्थानीय व्यापारियों ने एक नायाब तरीका खोज निकाला और तरबूज का वितरण किया जो की आयुर्वेद के अनुसार सेहत के लिए भी बड़ा फायदेमंद होता है साथ ही शरीर में पानी की कमी की भी पूर्ति करता है।


Conclusion:बाइट- अनिल भास्कर, स्थानिय व्यापारी

बाइट- संजय शर्मा, स्थानीय नागरिक


वाक थ्रू
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