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डॉली रेंज में घायल-बीमार वन्य जीवों के लिए बना प्राकृतिक उपचार केंद्र

तराई पूर्वी वन विभाग की डॉली रेंज के जंगल में वन्य जीवों के लिए प्राकृतिक उपचार केंद्र बनाया गया है. इसमें घायल या बीमार वन्य जीवों को उपचार दिया जाता है.

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Published : Mar 16, 2021, 1:42 PM IST

हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन विभाग की डॉली रेंज के जंगल में वन्य जीवों के लिए प्राकृतिक उपचार केंद्र बनाया गया है. इसमें घायल व बीमार वन्यजीवों का उपचार किया जाएगा. वन्य जीवों उपचार के साथ-साथ वन्य जीव प्राकृतिक वनस्पतियों का भी आनंद ले सकेंगे.


वन क्षेत्राधिकारी अनिल जोशी ने बताया कि डॉली रेंज के जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों में अक्सर आपसी संघर्ष होने की घटनाएं सामने आती हैं. इसमें कई बार वन्यजीव घायल हो जाते हैं. इसके अलावा बीमार वन्यजीव उपचार नहीं मिलने के कारण कई बार दम तक तोड़ देते हैं. जिसको देखते हुए विभाग ने ग्रास लैंड के अंदर ओपन रेस्क्यू सेंटर बनाया है. जिसमें प्राकृतिक जंगल के साथ-साथ कई तरह की घास लगाई गई हैं. साथ ही जाली के माध्यम से बाड़ा भी तैयार किया गया है. इसमें वन्यजीवों को सुरक्षित रखकर इलाज किया जा सकेगा. इलाज के दौरान वे खुले में रह सकेंगे.

पढ़ें: ऋषिकेश में कुंभ कार्यों से हाईकोर्ट की टीम नाखुश, सौंपेगी अनियमितताओं की रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि वन्यजीव जब पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे तो उसके बाद उन्हें जंगलों में छोड़ दिया जाएगा. प्राकृतिक उपचार केंद्र में वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था भी की गई है. ताकि घायल और बीमार वन्यजीवों को आसानी से पानी उपलब्ध किया जा सकेगा. साथ ही ग्रास लैंड में वन्यजीवों के लिए चारा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.

हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन विभाग की डॉली रेंज के जंगल में वन्य जीवों के लिए प्राकृतिक उपचार केंद्र बनाया गया है. इसमें घायल व बीमार वन्यजीवों का उपचार किया जाएगा. वन्य जीवों उपचार के साथ-साथ वन्य जीव प्राकृतिक वनस्पतियों का भी आनंद ले सकेंगे.


वन क्षेत्राधिकारी अनिल जोशी ने बताया कि डॉली रेंज के जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों में अक्सर आपसी संघर्ष होने की घटनाएं सामने आती हैं. इसमें कई बार वन्यजीव घायल हो जाते हैं. इसके अलावा बीमार वन्यजीव उपचार नहीं मिलने के कारण कई बार दम तक तोड़ देते हैं. जिसको देखते हुए विभाग ने ग्रास लैंड के अंदर ओपन रेस्क्यू सेंटर बनाया है. जिसमें प्राकृतिक जंगल के साथ-साथ कई तरह की घास लगाई गई हैं. साथ ही जाली के माध्यम से बाड़ा भी तैयार किया गया है. इसमें वन्यजीवों को सुरक्षित रखकर इलाज किया जा सकेगा. इलाज के दौरान वे खुले में रह सकेंगे.

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उन्होंने बताया कि वन्यजीव जब पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे तो उसके बाद उन्हें जंगलों में छोड़ दिया जाएगा. प्राकृतिक उपचार केंद्र में वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था भी की गई है. ताकि घायल और बीमार वन्यजीवों को आसानी से पानी उपलब्ध किया जा सकेगा. साथ ही ग्रास लैंड में वन्यजीवों के लिए चारा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.

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