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मोहर्रम पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत पर मातम, निकाला जाएगा ताजिया

शिया समुदाय के लोगों ने मोहर्रम पर हजरत इमाम हुसैन को उनकी शहादत के लिए याद कर मातम किया. वहीं, मंगलवार को मातम-अजादारी के ताजिए निकाले जाएंगे.

मोहर्रम पर हजरत इमाम हुसैन की याद में लोगों ने किया मातम
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Published : Sep 10, 2019, 3:35 PM IST

रुड़की: सैकड़ों वर्ष बीत गए लेकिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत सभी के दिलों में आज भी जिंदा है. मंगलवार को पूरे देश में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर मोहर्रम मनाया जाएगा. ऐसे में रुड़की, मंगलौर और आसपास के क्षेत्रों में देर रात दहकते अंगारों पर हजरत इमाम को याद किया गया. वहीं, शिया समुदाय के लोगों ने मातम किया.

मोहर्रम पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत पर लोगों ने किया मातम

कहा जाता है कि, दहकते अंगारे भी हजरत इमाम हुसैन के चाहने वालों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते और सालों से ये रस्म चली आ रही है कि, जब हजरत इमाम हुसैन को मानने वाले दहकते अंगारों पर नंगे पांव ऐसे दौड़ते हैं, जैसे कि नीचे फूलों का दरिया हो. इस दौरान इमाम हुसैन को चाहने वाले जरा भी उफ तक नहीं करते और उनका नाम लेते हुए इन जलते अंगारों को पार कर जाते हैं.

हुसैन को मानने वाले लोगों का कहना है कि, इमाम हुसैन की इराक के कर्बला मैदान में जहां शहादत हुई थी, वहां की मिट्टी यानी कर्बला की मिट्टी इतनी पाक होती है कि, जिस्म पर लगाने के बाद मरहम का काम करती है.

वहीं, मंगलवार को हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 वफादार साथियों की शहादत को लेकर पूरे देश में मातम-अजादारी के ताजिए निकाले जाएंगे. देश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी भी हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत से बहुत प्रेरित थे और उन्होंने हुसैन को लेकर कई ऐसी बातें लिखीं हैं जिन्हें लोग आज भी देश की बड़ी-बड़ी लाइब्रेरियों में पढ़ते हैं.

रुड़की: सैकड़ों वर्ष बीत गए लेकिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत सभी के दिलों में आज भी जिंदा है. मंगलवार को पूरे देश में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर मोहर्रम मनाया जाएगा. ऐसे में रुड़की, मंगलौर और आसपास के क्षेत्रों में देर रात दहकते अंगारों पर हजरत इमाम को याद किया गया. वहीं, शिया समुदाय के लोगों ने मातम किया.

मोहर्रम पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत पर लोगों ने किया मातम

कहा जाता है कि, दहकते अंगारे भी हजरत इमाम हुसैन के चाहने वालों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते और सालों से ये रस्म चली आ रही है कि, जब हजरत इमाम हुसैन को मानने वाले दहकते अंगारों पर नंगे पांव ऐसे दौड़ते हैं, जैसे कि नीचे फूलों का दरिया हो. इस दौरान इमाम हुसैन को चाहने वाले जरा भी उफ तक नहीं करते और उनका नाम लेते हुए इन जलते अंगारों को पार कर जाते हैं.

हुसैन को मानने वाले लोगों का कहना है कि, इमाम हुसैन की इराक के कर्बला मैदान में जहां शहादत हुई थी, वहां की मिट्टी यानी कर्बला की मिट्टी इतनी पाक होती है कि, जिस्म पर लगाने के बाद मरहम का काम करती है.

वहीं, मंगलवार को हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 वफादार साथियों की शहादत को लेकर पूरे देश में मातम-अजादारी के ताजिए निकाले जाएंगे. देश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी भी हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत से बहुत प्रेरित थे और उन्होंने हुसैन को लेकर कई ऐसी बातें लिखीं हैं जिन्हें लोग आज भी देश की बड़ी-बड़ी लाइब्रेरियों में पढ़ते हैं.

Intro:एक्सक्लूसिव

रुड़की

रुड़की: सैकड़ों बरस बीत गए हजरत इमाम हुसैन की शहादत को लेकिन आज भी जिंदा है हुसैन सभी के दिलों में, आज मोहर्रम है और पूरे मुल्क में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर हर कोई गमजदा है, रुड़की मंगलौर और आसपास के इलाकों में देर रात दहकते अंगारों पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए शिया समुदाय के लोगों के द्वारा मातम किया गया इसी दौरान कुछ लोगों की गोद में मासूम बच्चे भी दहकते अंगारों में चलते हुए दिखाई दिए।

Body:कहा जाता है कि दहकते अंगारे भी हजरत इमाम हुसैन के चाहने वालों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते और वर्षों से यह रस्म चली आ रही है कि जब हजरत इमाम हुसैन के मानने वाले अपने शरीर को लहूलुहान कर देते हैं यही नहीं दहकते शोलों पर नंगे पांव ऐसे दौड़ते हैं जैसे कि मानो कि नीचे फूलों का दरिया हो और बड़े ही आसानी से फूलों पर चल रहे हैं, हजरत इमाम हुसैन के चाहने वाले जरा भी उफ तक नहीं करते और हुसैन का नाम लेते हुए या हुसैन या हुसैन करके इन जलते अंगारों को पार कर देते हैं, बताया जाता है कि हजरत इमाम हुसैन की इराक के कर्बला मैदान में जहां शहादत हुई थी वहां की मिट्टी यानी कर्बला की मिट्टी इतनी पार्क है कि जिस्म पर लगाने के बाद मरहम का काम करती है पांव पर लगा दो तो मरहम का काम करती है, आज हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 वफादार साथियों की शहादत को लेकर पूरे देश में मातम अजादारी ताजिए निकाले जाएंगे, देश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी भी हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत से बहुत ही प्रेरित थे और उन्होंने हुसैन को लेकर कई ऐसी बातें लिखी जिन्हें आज लोग देश की बड़ी बड़ी लाइब्रेरी में पढ़ते हैं।

बाइट - मौलाना सैयद अहमद रजाConclusion:
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