हरिद्वार: कांवड़ मेला कड़ी सुरक्षा के बीच आज से शुरू हो चूका है. हालांकि कई दिन पहले से ही शिव भक्तों का हरिद्वार से गंगा जल लेने आने का सिलसिला शुरू हो गया था. मगर श्रावण मास आज से शुरू हुआ है. धर्म कर्म के जानकार मानते हैं रि सावन का यह महीना आराधना के लिए सबसे महत्वपूर्ण है.
सावन में दक्षेश्वर महादेव में विराजते हैं भगवान शिव: श्रावण माह में भगवान शिव दक्षेश्वर महादेव में विराजते हैं. यहीं से पूरी सृष्टि का संचालन करते हैं. क्योंकि भगवान विष्णु इस दौरान शयन में होते हैं. इस वर्ष तो श्रावण मास दो माह का होने वाला है. क्योंकि श्रावण मास में भगवान नारायण का पुरुषोत्तम मास भी पड़ रहा है. इसमें 8 सोमवार तक शिव भक्तों को भगवान शिव का जलाभिषेक कर उनको प्रसन्न करने का अवसर प्राप्त होगा.
गंगाजल लेने हर की पैड़ी पहुंच रहे कांवड़िए: देश के अलग अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में शिवभक्त कांवड़िये अपने शिवालयों में गंगा जल चढ़ाने के लिये गंगाजल लेने के लिए हर की पैड़ी पहुंच रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को जल अर्पित कर उनको प्रसन्न कर मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना भक्त करते हैं. जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है, तो अगले वर्ष कांवड़ में जल ले जाकर भगवान शंकर का अभिषेक किया जाता है.
हरिद्वार में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: कांवड़ियों के चलते धर्मनगरी धीरे-धीरे केसरिया रंग में रंगने लगी है. यह शिवभक्त पैदल चलकर शिव भक्ति में लीन होकर अपने शरीर के सारे कष्टों को भूलकर अपने गंतव्य से पवित्र हर की पैड़ी से गंगाजल लेने पहुंच रहे हैं. यहां से जल ले जाकर शिवरात्रि को अपने शिवालयों में भगवान शंकर का अभिषेक करेंगे. कांवड़ मेले को लेकर जिला प्रशासन सतर्क है. जिला प्रशासन द्वारा कांवड़ मेला क्षेत्र को 12 सुपर जोन, 33 जोन और 153 सेक्टर में बांटकर अधिकारियों की तैनाती की है. एयर पैरामिलिट्री फोर्स और पीएसी को भी तैनात किया है. साथ ही सभी गतिविधियों पर सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी जा रही है.
क्या कहते हैं पंडित जी: पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि हमारे सनातन धर्म में भोलेनाथ ही एक ऐसे देव हैं जिनको प्रसन्न करना सबसे ज्यादा आसान है. श्रावण मास उनका प्रिय मास है. इसी सावन मास में भगवान की दक्षेश्वर महादेव के रूप में स्थापना हुई थी. पूरे श्रावण मास वह धरती पर हरिद्वार में दक्षेश्वर महादेव के रूप में निवास करते हैं. 4 जुलाई से आरंभ हुआ श्रावण मास इसलिए विशेष पुण्यदाई हो जाता है कि भगवान नारायण का ये सबसे प्रिय मास है. पुरुषोत्तम मास जिसे स्वयं भगवान ने अपना नाम दिया है वह भी श्रावण मास में ही पड़ रहा है. करीबन 19 वर्ष बाद पढ़ने वाला यह सौभाग्य दायक समय ऐसा है कि 4 जुलाई से 31 अगस्त तक लोगों को भगवान शिव की सेवा और साधना करने का अवसर मिलेगा.
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संतों ने की कावड़ियों से अपील: धर्मनगरी हरिद्वार में आ रहे कांवड़ियों से साधु-संतों ने अपील की है कि वह तीर्थ की मर्यादा व गंगा की अविरल व निर्मलता का ध्यान रखें. इतना ही नहीं हरिद्वार में आने वाले कांवड़ियों का स्वागत करते हुए साधु-संतों ने कहा है कि उनका धर्मनगरी हरिद्वार में स्वागत है. इसी के साथ संतों ने शिवभक्त कांवड़ियों से अपील की है कि वह धर्म नगरी में आकर हुड़दंग बाजी ना करें. गंगा और हरिद्वार में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें. इसी के साथ साधु संतों ने सावन मास की सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिव भक्त कांवड़िए शासन प्रशासन का पूर्णतया सहयोग करें, ताकि हरिद्वार में एक उचित व्यवस्था स्थापित हो सके.