हरिद्वार: निर्जला एकादशी के दिन बिना जल ग्रहण किए ही व्रत रखकर पूरा किया जाता है, साथ ही इस दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व है. आज के दिन पितरों के निमित्त पूजा अर्चना और पिंडदान आदि किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन दान और पूजा करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसी पुण्य को पाने के लिए हरिद्वार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. श्रद्धालुओं ने गंगा के निर्मल जल में स्नान कर पूजा अर्चना की. हरकी पैड़ी समेत तमाम घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. देर शाम तक करीब 8 लाख 50 हजार श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी समेत मां गंगा के विभिन्न घाटों पर गंगा स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया.
ऐसा माना जाता है कि आज के दिन यानी निर्जला एकादशी पर जो व्यक्ति जल का दान करता है, अनंत काल के लिए उसके पितरों को इसकी तृप्ति होती है. साथ ही इस दिन को सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला बताया गया है. हरिद्वार पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना था कि गंगा स्नान कर उन्हें सुख की अनुभूति होती है. मोक्ष का मार्ग खुलता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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ज्यादा जानकारी देते हुए तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित ने बताया कि इस दिन बिना जल ग्रहण किए इस व्रत को किया जाता है. एकादशी व्रतों का राजा माना जाता है. इस दिन जल दान, घटदान और वस्त्र दान करने का भी विशेष फल मिलता है. उज्जवल पंडित ने पूजा की विधि बताते हुए कहा कि सबसे पहले सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. भगवान विष्णु के निमित्त व्रत का संकल्प करें. पूरे दिन निर्जल व्रत रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें.
उज्जवल पंडित ने बताया कि भगवान विष्णु को लाल फूलों की माला, धूप, दीप, नैवेद्य और पीले फल अर्पित करने और ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करने से पुण्य लाभ मिलता है. हो सके तो इस दिन गरीबों को दान भी करें. इस दिन के दान का विशेष महत्व है. वहीं, निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान करने हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुलिस प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे.