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इस शिवधाम में पश्चिम दिशा की ओर बहती है गंगा, स्वयं प्रकट हुआ था शिवलिंग - लक्सर न्यूज

मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है. पौराणिक मान्यता है  पंचलेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना अज्ञात वास के दौरान पांडवों ने की थी. जिसकी शिव महापुरण में वर्णन भी मिलता है. वहीं यह तीर्थ ऐसा स्थान है, जहां गंगा पश्चिम दिशा की ओर बहती है.

लक्सर के पंचलेश्वर महादेव मंदिर.
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Published : Jun 8, 2019, 12:04 PM IST

Updated : Jun 8, 2019, 4:48 PM IST

लक्सर/ हरिद्वार: भगवान शिव के धाम के अलौकिक सौंदर्य को शब्दों में वर्णित करना संभव नहीं है. भगवान शिव का हर धाम किसी न किसी चमत्कार से जुड़ा होता है. जिसे लोग आस्था की नजर से देखते हैं. देवभूमि में भगवान शिव का कण-कण में वास माना जाता है. इसीलिए तो देश ही विदेशों से भी श्रद्धालु यहां शिवत्व की अनुभूति के लिए पहुंचते हैं और श्रद्धालु हर शिवालय और देवालय में आस्था के रंग में रंगे दिखाई देते हैं.

ऐसा ही एक शिवधाम लक्सर के पंचलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. जिस मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है. पौराणिक मान्यता है पंचलेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना अज्ञात वास के दौरान पांडवों ने की थी. जिसकी शिव महापुरण में वर्णन भी मिलता है. वहीं यह तीर्थ ऐसा स्थान है, जहां गंगा पश्चिम दिशा की ओर बहती है. पौराणिक मान्यता है कि श्रावण मास में देवों के देव महादेव दिन में एक बार इस मंदिर में अवश्य आते हैं. इसलिए इस शिवलिंग का श्रवण मास में विशेष महात्म्य से जोड़कर देखा जाता है.

पढ़ें- गुलदार को भी मात देता है ये हिमालयन शीपडॉग, डाक टिकट भी हो चुका है जारी

जहां दूर-दूर से लोग शीष नवाने और जलाभिषेक करने आते हैं. मंदिर में महाशिवरात्रि, गंगा स्नान तथा गंगा दशहरा पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें श्रद्धालु बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. साथ ही इस मंदिर को पंचलेश्वर तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है. वहीं लोगों द्वारा मंदिर का शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ बताया जाता है. जिससे इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था दोगुनी हो जाती है.

वहीं विडंबना देखिए आज ये पौराणिक महत्व का मंदिर उपेक्षा का दंश झेल रहा है. सरकार की उदासीनता से ये मंदिर अपनी पहचान खोता जा रहा है. वहीं, नदी तट पर स्टोन क्रशर स्थापित होने से नदी का जल भी दूषित होता जा रहा है. आज जरूरत है तो इस ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर को सहेज कर रखने की जिससे इसका महत्व बरकरार रह सकें.

लक्सर/ हरिद्वार: भगवान शिव के धाम के अलौकिक सौंदर्य को शब्दों में वर्णित करना संभव नहीं है. भगवान शिव का हर धाम किसी न किसी चमत्कार से जुड़ा होता है. जिसे लोग आस्था की नजर से देखते हैं. देवभूमि में भगवान शिव का कण-कण में वास माना जाता है. इसीलिए तो देश ही विदेशों से भी श्रद्धालु यहां शिवत्व की अनुभूति के लिए पहुंचते हैं और श्रद्धालु हर शिवालय और देवालय में आस्था के रंग में रंगे दिखाई देते हैं.

ऐसा ही एक शिवधाम लक्सर के पंचलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. जिस मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है. पौराणिक मान्यता है पंचलेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना अज्ञात वास के दौरान पांडवों ने की थी. जिसकी शिव महापुरण में वर्णन भी मिलता है. वहीं यह तीर्थ ऐसा स्थान है, जहां गंगा पश्चिम दिशा की ओर बहती है. पौराणिक मान्यता है कि श्रावण मास में देवों के देव महादेव दिन में एक बार इस मंदिर में अवश्य आते हैं. इसलिए इस शिवलिंग का श्रवण मास में विशेष महात्म्य से जोड़कर देखा जाता है.

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जहां दूर-दूर से लोग शीष नवाने और जलाभिषेक करने आते हैं. मंदिर में महाशिवरात्रि, गंगा स्नान तथा गंगा दशहरा पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें श्रद्धालु बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. साथ ही इस मंदिर को पंचलेश्वर तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है. वहीं लोगों द्वारा मंदिर का शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ बताया जाता है. जिससे इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था दोगुनी हो जाती है.

वहीं विडंबना देखिए आज ये पौराणिक महत्व का मंदिर उपेक्षा का दंश झेल रहा है. सरकार की उदासीनता से ये मंदिर अपनी पहचान खोता जा रहा है. वहीं, नदी तट पर स्टोन क्रशर स्थापित होने से नदी का जल भी दूषित होता जा रहा है. आज जरूरत है तो इस ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर को सहेज कर रखने की जिससे इसका महत्व बरकरार रह सकें.

Intro: दम तोडता पंचेलेष्वर तीर्थ

ANCHOR--लक्सर के पंचलेश्वर तीर्थ स्थान पर लोगो की अटूट आस्था और विष्वास है इसके पीछे कई कारण है मान्यता है कि इस शिव मन्दिर को पौराणिक काल मे पांडवो ने बनवाया था । बताया जाता हे कि पांडवो के बुजूर्ग चित्र विचित्र ने इस स्थान पर अपने प्राण अग्नि मे दग्ध होकर त्यागे थे ।दूसरा कारण यह बताया जाता है कि इस जगह पर गंगा पूरब से पष्चिम की ओर बहती हे जिसके कारण इस स्थान को तीर्थ स्थान के रूप मे माना जाता है । जबकि पूरी दुनिया मे गंगा पूरब से पष्चिम की ओर नही बहती देश के सभी तीर्थ स्थानो मे इस जगह का अपना स्थान है । Body: पंचलेश्वर तीर्थ सरकार की अनदेखी और बदलते वक्त ने इस जगह कोअपनी  पहचान खोने को मजबूर कर दिया है ।
इतिहास के पन्नो मे दर्ज यह तीर्थस्थान अपना  दम तोड रहा है वही पश्चिम बहने गंगा के बीचो-बीच एक स्टोन क्रेशर का निर्माण होने से जहां गंगा दूषित हो रही है वहीं पंचालेश्वर मंदिर के अस्तित्व को भी खतरा मंडराने लगा है जहां शासन-प्रशासन का भी इस और ध्यान नहीं है आज इसे लेकर हमने लोगो की राय जानना चाहा हमने लोगो से इसके बारे मे बातचीत की 
जब हमने इस मन्दिर के पूजारी से बात की तो पूजारी जी ने बताया कि यह मन्दिर बहुत ही प्राचीन मन्दिर है । यह वनवास के समय मे पांडवो ने अपनी पूजा के लिये तपस्थल बनाया था । कुछ लोगो ने बताया की इस जगह पर पांडवो के पूर्वज चित्र विचित्रने अपने मन के पाप से मुक्ति पाने के लिये इस जगह की खोज की थी  और इसी जगह पर अपने प्राण त्याग दिये थे  इस जगह पर ब्रहमवृश के पॉच पेड एक साथ होने से इस जगह की महत्ता और भी बढ जाती है ।पुराने समय मे अपने आप मे तीर्थ स्थान माने जानेवाला यह स्थान अपनी पहचान खोने लगा है । नीलधारा गंगा से निकल कर आने वाले स्रोत को सरकार ने बांध के जरिये बंद कर दिया और इस स्थान पर पानी का कम  होना इसकी पहचान के खोने का एक मुख्य कारण बन गया ।लेकिन लोगो की आस्था और विष्वास आज भी बरकरार है । इसजगह पर करीब डैढ करोड रूप्ये की लागत से गंगा घाट बनवाये गये लेकिन इस जगह की सफाई पर कोई घ्यान नही दिया गया है ।
 जब हमने इस तीर्थ स्थान को लेकर लकसर विधायक संजय गुप्ता से बात की तो उन्होने इस स्थान को सिद्व पीठ बताया और कहा कि आज इसकी पहचान लुप्त होने लगी है । संजय गुप्ता ने कहा कि यह स्थान महाभारत काल मे पांडवो की तपस्थल रहा । यह एक सिद्वपीठ है । यह एक एैसी जगह है जहां मां गंगा पूरब से पष्चिम की ओर बहती है तबकि देष के किसी भी हिस्से मे गंगा पूरब से पष्चिम की ओर नही बहती संजय गुप्ता ने बताया कि मेरे द्वारा इस स्थान पर पूर्व सी एम विजय बहुगूणा से मंजूर कराकर करीब डेढ करोड रूप्ये खर्च किये गये लेकिन नीलधारा गंगा से निकल कर आने वाले सो्रत के बन्द किये जाने कारण यह सिद्वपीठ अपना अस्तित्व खोने लगा है । जबकि इस बाणगंगा पर और भी सिद्वपीठ है जो आज अपना अस्तित्व खोने जा रहै है बिषनपुर कुंडी से करीब 90किलोमीटर के दायरे मे बहने वाली यह बाणगंगा आज बन्द होने की कगार पर है । संजय गुप्ता ने कहा कि में इस गंगा के मिटते अस्तित्व को बचाने लिये आवाज सरकार मे उठाऊंगा
 Conclusion:- दम तोड रहा यह तीर्थ स्थान आज अपनी पहचान खोने लगा है मगर लोगो की आस्था आज भी बनी हुई है जिसके कारण आज भी लोग देश के कोने कोने से यहां आते है । इस स्थान पर वर्ष मे कई मेले भी लगते जिनमे भारी संख्या मे श्रद्वालू आते  है आज भी पंचलेष्वर महादेव मन्दिर और पष्चिम बहनी गंगा मे लोगो का अटूट विष्वास और श्रद्वा बनी हुई है । लेकिन गंगा मे साफ सफाई का न होना आज एक मुख्य समस्या बन चूकी है । जिससे आने वाले पर्यटको को भी परेषानी हो रही है

Byet--बावनगिरी महाराज पुजारी पचलेश्वर मन्दिर
Byte-- राहुल अग्रवाल स्थानीय निवासी
Byte-- संजय गुप्ता विधायक लक्सर
रिपोर्ट-- कृष्णकांत शर्मा लक्सर
Last Updated : Jun 8, 2019, 4:48 PM IST
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