हरिद्वार: आज गणपति विसर्जन पूरे देश में एक साथ किया जाएगा. वहीं, हरिद्वार के केशव आश्रम के मंदिर में स्थापित गणपति देश के ऐसे इकलौते गणपति हैं जो विदेश की यात्रा भी कर चुके हैं. करीब 160 साल पहले यह गणपति लंदन चले गए थे और बाद में वापस लाया गया था. जो हरिद्वार के सिद्ध पीठ केशव आश्रम में स्थापित है. जिसके पीछे की कहनी काफी रोचक हैं.
धर्मनगरी में इस मंदिर में स्थापित गणपति को फॉरेन रिटर्न गणपति के नाम से ही जाना जाता है. देश -विदेश से यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु गणपति के साथ भगवान शिव मां पार्वती और मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां हर मुराद पूरी होती है. लोगों का मानना है कि इस मंदिर में गणपति के दर्शन से दिव्य अनुभूति होती है. हरिद्वार में कई देशों के लोग भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने आते हैं. लंदन की एक अंग्रेज अफसर की बीवी को तो हरिद्वार के एक आश्रम में स्थापित गणपति इस कदर भा गए था, कि वह उन्हें अपने साथ ही लंदन ले गई थी. वहीं गौरी मैम के गणपति को लंदन ले जाने और फिर भारत वापस लाने का किस्सा बहुत ही दिलचस्प है.
पढ़ें-उत्तराखंड सरकार पर बढ़ता कर्ज, वायु सेना के पत्र से तेज हुई हलचल
हरिद्वार के इस फॉरेन रिटर्न गणपति के बारे में ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि सन 1858 में अंग्रेज हरिद्वार से कानपुर तक नहर का निर्माण करा रहे थे तो यहां पर अंग्रेज अफसरों का अपने परिवार के साथ आना- जाना लगा रहता था. अंग्रेज नहर निर्माण स्थल से कुछ ही दूरी पर स्थित सूरज गिरी बंगले में रहा करते थे. जहां पर हरिद्वार से नहर का निर्माण हो रहा था वह मायापुर क्षेत्र में प्रखंड सिद्ध योगी स्वामी केशवानंद का आश्रम था, जो नहर के रास्ते में पढ़ रहा था. नहर के निर्माण के मुख्य अभियंता कर्नल प्रोबी कोटली ने कई बार आश्रम को हटाना चाहा मगर हर बार उनकी कोशिश विफल रही. इसी आश्रम में स्थापित मां कात्यानी और मां पार्वती के साथ मंदिर में गणपति भी स्थापित थे. प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि यह सिद्ध मंदिर है और मान्यता है कि यहां पर मां पार्वती साक्षात गणपति के साथ विराजती है.
ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि एक बार एक अंग्रेज अफसर अपने परिवार के साथ आए तो यहां उनकी पत्नी को मंदिर में स्थापित गणपति की प्रतिमा इतनी भा गई थी कि वह वापस जाते वक्त गणपति की प्रतिमा को अपने साथ लंदन ले गई और उसने अपने घर में उस प्रतिमा को रख लिया प्रतिमा अंग्रेज अफसर के घर में जाने के बाद से ही उनका बेटा बीमार रहने लगा और तमाम डॉक्टरों के इलाज के बाद भी उसकी बीमारी ठीक नहीं हो पा रही थी. कहा जाता है कि एक दिन अंग्रेज अफसर की बीवी को सपने में हाथी का बच्चा दिखाई दिया. सपने में उसने उससे कहा कि मुझे मेरी मां के पास वापस ले चलो मुझे मेरी मां से मत अलग करो उस सपने की बात उस वक्त अंग्रेज अफसर की बीवी ने हरिद्वार में नहर निर्माण के काम में लगे अपने पति को किसी तरह से सूचना देकर बताई.
अंग्रेज अफसर केशव आश्रम में स्वामी केशवानंद के शिष्य योगी श्यामाचरण लाहिरी महाराज ने उन्हें बताएं कि यहां से आपकी पत्नी गणपति जी को अपने साथ ले गई हैं और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. उन्होंने गणपति की मूर्ति को भारत लाने को कहा. इसके बाद अंग्रेज अफसर ने किसी तरह से अपने घर लंदन से गणपति की उस प्रतिमा को वापस भारत मंगवाया फिर केशव आश्रम मंदिर में गणपति की मूर्ति को स्थापित करवाया. उसके बाद उनका बेटा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया था तभी से इस गणपति की प्रतिमा को फॉरेन रिटर्न गणपति कहा जाता है. केशव आश्रम के सेवक ज्ञान प्रकाश बताते हैं कि यहां मां कात्यानी और मां पार्वती के साथ गणपति स्थापित है यह आश्रम और यहां का मंदिर सिद्ध पीठ है. यहां विदेशों से बहुत लोग दर्शन करने के लिए आते हैं यहां आने वाले कई विदेशियों ने बताया कि उन्हें यहां दर्शन करने के बाद अलग तरह की अनुभूति होती है.