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कांवड़ यात्रा: तीन करोड़ शिव भक्तों के आने का अनुमान, लक्ष्मण झूला पुल ने खड़ी की चुनौती

सावन शुरू होते ही कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो गई है. जिसको देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं. डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि कांवड़ मेले को लेकर सारी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं. लगभग 10 हजार पुलिसकर्मी कांवड़ मेले के दौरान ड्यूटी में तैनात किए गए हैं.

शुरू हुई देश की सबसे बड़ी यात्रा
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Published : Jul 17, 2019, 8:54 PM IST

Updated : Jul 18, 2019, 3:42 AM IST

हरिद्वार: सावन का महीना शुरू हो गया है और इसी के साथ श्रद्धा और आस्था की सबसे अनूठी कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो गई है. इस यात्रा के दौरान कांवड़िये कई किमी. पैदल चलकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. हर साल कांवड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इस बार प्रशासन के अनुसार लगभग तीन करोड़ कांवड़िये हरिद्वार पहुंचेंगे. जिसके लिए पुलिस प्रशासन द्वारा सभी तैयारियों को पूरा कर देने का दावा किया गया है.

मान्यता है कि गुरू द्रोणाचार्य ने सबसे पहले हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल भरकर पैदल मेरठ के पास पुरा महादेव पर जलाभिषेक किया था. इसके अलावा कावड़ को श्रवण कुमार के साथ भी जोड़ा जाता है, जिसने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थयात्रा करवाई थी.

शुरू हुई देश की सबसे बड़ी यात्रा.

हरिद्वार उपनगरी कनखल भगवान शिव की ससुराल मानी जाती है. भगवान शिव एक महीने कनखल में अपने ससुराल दक्ष महादेव मंदिर में विराजते हैं. पुराणों के अनुसार जब माता सती ने अपने पिता के यहां शिव का अपमान सुना तो उन्होंने राजा दक्ष द्वारा किए जा रहे हवन कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. जिसके बाद शिव ने क्रोधित होकर राजा दक्ष के सिर को धड़ से अलग कर दिया था. लेकिन देवी देवताओं के निवेदन के बाद भगवान शिव ने दक्ष के मस्तक पर बकरे का सिर लगा दिया.

पढे़ं- शुरू हुई प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा, सुरक्षा को लेकर मुस्तैद पुलिस प्रशासन

इसके बाद राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव से अपनी भूल की माफी मांगने पर शिव ने उन्हें माफ किया और दक्ष को वचन दिया कि वह एक महीने दक्ष महादेव मंदिर में ही वास करेंगे. मान्यता है कि इसी कारण सावन की शुरुआत से ही भगवान शंकर दक्ष प्रजापति मंदिर में विराजमान हो गए हैं.

वहीं ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि भगवान शिव को जल अति प्रिय है. सावन मास में जल से ही पूजा की जाती है. वे बताते है कि इस सावन मास में जो कोई व्यक्ति व्रत रखता है और जमीन पर सोता है तो उसे शिव कृपा प्राप्त होती है. भगवान शिव ऐसे देव हैं, जो छोटी सी साधना से ही प्रसन्न हो जाते हैं.

सावन मास शुरू होते ही शिव भक्त हरिद्वार पहुंच रहे हैं. जहां से वे भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए गंगा जल भरकर रवाना होने लगे हैं. कांवड़ियों का कहना है कि भगवान शिव में उनकी अटूट आस्था है. वे पैदल कांवड़ ले जाते हैं, भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं और भगवान शिव उनकी हर मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. वे कहते हैं कि कांवड़ ले जाते समय उन्हें पूरे रास्ते किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होती क्योंकि भगवान शिव उनकी हर कठिनाई को दूर करते हैं.

पढे़ं- जागेश्वर मंदिर में शुरू हुआ श्रावण मेला, भक्तों का लगा तांता

इस कांवड़ मेले में करोड़ों की संख्या में शिवभक्त हरिद्वार पहुंचेंगे. जिसको देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हुए हैं. डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि कांवड़ मेले को लेकर सारी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं. लगभग 10 हजार पुलिसकर्मी कांवड़ मेले के दौरान ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं. कांवड़ियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वे तीर्थनगरी की मर्यादा का ख्याल रखें. किसी भी प्रकार का हुड़दंग ना किया जाए. उन्होंने कांवड़ियों से किसी भी प्रकार का नशा ना करने की अपील की है.

उन्होंने बताया कि कांवड़ मेले की सुरक्षा को देखते हुए 12 सुपर जोन, 31 जोन और 133 सेक्टर में मेला क्षेत्र को विभाजित किया गया है. साथ ही कांवड़ मेले में केंद्रीय सुरक्षा बल की छह कंपनियां भी तैनात की गई हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान गंगा में कांवड़ियों के बह जाने की घटनाओं को देखते हुए जल पुलिस भी पूरी तरह से मुस्तैद कर दी गई है. पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. साथ ही ड्रोन के जरिए भी मेला क्षेत्र की निगरानी की जा रही है. इसके अलावा बम स्क्वायड और डॉग स्क्वायड की टीम भी मेला क्षेत्र में तैनात रहेगी.

डीजी अशोक कुमार ने कहा कि ऋषिकेश का लक्ष्मण झूला पुल के बंद हो जाने से पुलिस के लिए चुनौती बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि पहले कांवड़िये हरिद्वार पहुंचने के बाद ऋषिकेश नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन के लिए जाते थे. जिसमें लक्ष्मण झूला पुल एक महत्वपूर्ण मार्ग था. जिसके बाद अब कावड़ियों को इस बार राम झूला पुल से वापस भेजा जाएगा और बैराज के रास्ते वापस हरिद्वार की तरफ रवाना किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस बार लगभग तीन करोड़ से ऊपर कांवड़ियों के आने की उम्मीद है.

हरिद्वार: सावन का महीना शुरू हो गया है और इसी के साथ श्रद्धा और आस्था की सबसे अनूठी कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो गई है. इस यात्रा के दौरान कांवड़िये कई किमी. पैदल चलकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. हर साल कांवड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इस बार प्रशासन के अनुसार लगभग तीन करोड़ कांवड़िये हरिद्वार पहुंचेंगे. जिसके लिए पुलिस प्रशासन द्वारा सभी तैयारियों को पूरा कर देने का दावा किया गया है.

मान्यता है कि गुरू द्रोणाचार्य ने सबसे पहले हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल भरकर पैदल मेरठ के पास पुरा महादेव पर जलाभिषेक किया था. इसके अलावा कावड़ को श्रवण कुमार के साथ भी जोड़ा जाता है, जिसने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थयात्रा करवाई थी.

शुरू हुई देश की सबसे बड़ी यात्रा.

हरिद्वार उपनगरी कनखल भगवान शिव की ससुराल मानी जाती है. भगवान शिव एक महीने कनखल में अपने ससुराल दक्ष महादेव मंदिर में विराजते हैं. पुराणों के अनुसार जब माता सती ने अपने पिता के यहां शिव का अपमान सुना तो उन्होंने राजा दक्ष द्वारा किए जा रहे हवन कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. जिसके बाद शिव ने क्रोधित होकर राजा दक्ष के सिर को धड़ से अलग कर दिया था. लेकिन देवी देवताओं के निवेदन के बाद भगवान शिव ने दक्ष के मस्तक पर बकरे का सिर लगा दिया.

पढे़ं- शुरू हुई प्रसिद्ध कांवड़ यात्रा, सुरक्षा को लेकर मुस्तैद पुलिस प्रशासन

इसके बाद राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव से अपनी भूल की माफी मांगने पर शिव ने उन्हें माफ किया और दक्ष को वचन दिया कि वह एक महीने दक्ष महादेव मंदिर में ही वास करेंगे. मान्यता है कि इसी कारण सावन की शुरुआत से ही भगवान शंकर दक्ष प्रजापति मंदिर में विराजमान हो गए हैं.

वहीं ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि भगवान शिव को जल अति प्रिय है. सावन मास में जल से ही पूजा की जाती है. वे बताते है कि इस सावन मास में जो कोई व्यक्ति व्रत रखता है और जमीन पर सोता है तो उसे शिव कृपा प्राप्त होती है. भगवान शिव ऐसे देव हैं, जो छोटी सी साधना से ही प्रसन्न हो जाते हैं.

सावन मास शुरू होते ही शिव भक्त हरिद्वार पहुंच रहे हैं. जहां से वे भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए गंगा जल भरकर रवाना होने लगे हैं. कांवड़ियों का कहना है कि भगवान शिव में उनकी अटूट आस्था है. वे पैदल कांवड़ ले जाते हैं, भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं और भगवान शिव उनकी हर मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. वे कहते हैं कि कांवड़ ले जाते समय उन्हें पूरे रास्ते किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होती क्योंकि भगवान शिव उनकी हर कठिनाई को दूर करते हैं.

पढे़ं- जागेश्वर मंदिर में शुरू हुआ श्रावण मेला, भक्तों का लगा तांता

इस कांवड़ मेले में करोड़ों की संख्या में शिवभक्त हरिद्वार पहुंचेंगे. जिसको देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हुए हैं. डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि कांवड़ मेले को लेकर सारी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं. लगभग 10 हजार पुलिसकर्मी कांवड़ मेले के दौरान ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं. कांवड़ियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वे तीर्थनगरी की मर्यादा का ख्याल रखें. किसी भी प्रकार का हुड़दंग ना किया जाए. उन्होंने कांवड़ियों से किसी भी प्रकार का नशा ना करने की अपील की है.

उन्होंने बताया कि कांवड़ मेले की सुरक्षा को देखते हुए 12 सुपर जोन, 31 जोन और 133 सेक्टर में मेला क्षेत्र को विभाजित किया गया है. साथ ही कांवड़ मेले में केंद्रीय सुरक्षा बल की छह कंपनियां भी तैनात की गई हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान गंगा में कांवड़ियों के बह जाने की घटनाओं को देखते हुए जल पुलिस भी पूरी तरह से मुस्तैद कर दी गई है. पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. साथ ही ड्रोन के जरिए भी मेला क्षेत्र की निगरानी की जा रही है. इसके अलावा बम स्क्वायड और डॉग स्क्वायड की टीम भी मेला क्षेत्र में तैनात रहेगी.

डीजी अशोक कुमार ने कहा कि ऋषिकेश का लक्ष्मण झूला पुल के बंद हो जाने से पुलिस के लिए चुनौती बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि पहले कांवड़िये हरिद्वार पहुंचने के बाद ऋषिकेश नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन के लिए जाते थे. जिसमें लक्ष्मण झूला पुल एक महत्वपूर्ण मार्ग था. जिसके बाद अब कावड़ियों को इस बार राम झूला पुल से वापस भेजा जाएगा और बैराज के रास्ते वापस हरिद्वार की तरफ रवाना किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस बार लगभग तीन करोड़ से ऊपर कांवड़ियों के आने की उम्मीद है.

Intro:फीड मेल ऑन ftp

uk_har_desh_ki_sabse_badi_kawad_yatra_shuru_pkg_01_uk10006


आज से शुरू हो गया है सावन का महीना और इसी के साथ शुरू हो रही है एक पखवाड़े तक चलने वाली कावड़ यात्रा भोले शिव के प्रति अटूट आस्था श्रद्धा और विश्वास किए दुनिया में अनूठी यात्रा है शिव के प्रति उनके भक्तों की आस्था ही तो है जो शिवभक्त कावड़िए सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर हरिद्वार से गंगाजल लेकर जाते हैं और अपने इलाकों के शिवालयों में त्रयोदशी के दिन शिव का जलाभिषेक करते हैं कांवड़ मेला शुरू होने के साथ ही बड़ी संख्या में कावड़ियों का आगमन शुरू हो गया है कावड़ यात्रा को देखते हुए प्रशासन ने भी कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने का दावा किया है


Body:श्रद्धा और आस्था की सबसे अनूठी यात्रा शुरू हो गई है इसी के साथ शुरू हो रहा है सावन का महीना मान्यता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने सबसे पहले हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल भरकर पैदल यात्रा कर मेरठ के पास पुरा महादेव पर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था इसके अलावा कावड़ को श्रवण कुमार के साथ भी जोड़ा जाता है जिसने अपने अंधे मां-बाप को कावड़ में बैठाकर तीर्थ यात्रा कराई थी

हरिद्वार उपनगरी कनखल भगवान शिव की ससुराल है भगवान शिव 1 महीने कनखल में अपने ससुराल में दक्ष महादेव मंदिर में विराजते हैं भोले शंकर हिमालय के कैलाश पर्वत से आज सावन शुरू होते ही कनखल पहुंच चुके हैं ज्योतिषाचार्य प्रतीक पुरी का कहना है कि भगवान विष्णु इन 4 महीने सृष्टि का संचालन नहीं करते हैं क्योंकि भगवान विष्णु ने बाली को वचन दिया था इसलिए भगवान विष्णु इस वक्त पताल लोक में निवास करते हैं वहीं जब माता सती ने अपने पति भगवान शिव का अपमान सुना तब उन्होंने राजा दक्ष द्वारा किए जा रहे हवन कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी उसके बाद शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा दक्ष के सर को धड़ से अलग कर दिया था मगर सभी देवी देवताओं के आगरे के बाद भगवान शिव ने दक्ष के मस्तक पर बकरे का सर लगा दिया था राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव से अपनी भूल की माफी मांगने पर भगवान शिव ने उन्हें माफ किया था और भगवान शिव ने राजा दक्ष को वचन दिया था कि वह 1 महीने दक्ष महादेव मंदिर में ही वास करेंगे इसलिए आज से भगवान शंकर दक्ष प्रजापति मंदिर में विराजमान हो गए हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन करेंगे

बाइट-- प्रतिक मिश्रपुरी--ज्योतिषाचार्य

ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि भगवान शिव को जल अति प्रिय होता है इसलिए सभी लोग यहीं से जल ले जाकर शिव को चढ़ाते हैं यह मान्यता सदियों से चली आ रही है सावन मास में जल से ही पूजा की जाती है जल ही देवता होता है इसलिए जल के द्वारा ही भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है जो भगवान शिव को अतिथि दिया होता है इस सावन मास के अंदर अगर कोई व्यक्ति व्रत रखता है और जमीन पर सोता है तो यह सर्वोत्तम फलदाई होता है क्योंकि भगवान शिव ऐसे देव है जो छोटी सी साधना से ही प्रसन्न हो जाते हैं जब कर्क राशि में सूर्य रहते हैं श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा के कारण इसको सावन मास बोला जाता है

बाइट-- प्रतिक मिश्रपुरी--ज्योतिषाचार्य

सावन मास शुरू होते ही शिव के भक्त शिव को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार पहुंच रहे और भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए मां गंगा से जल ले जाकर अपने गंतव्य की ओर रवाना होने लग गए हैं कावड़ियों का कहना है कि भगवान शिव में हमारी अटूट आस्था है इसलिए हम पैदल कावड़ ले जाते हैं भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं भगवान शिव हमारी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं हम जो भी मन्नत मांगते हैं वह हमारी पूरी होती है कावड़ ले जाते हुए हमें पूरे रास्ते किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होती है क्योंकि भगवान शिव हमारी हर कठिनाई को दूर कर देते हैं

बाइट-- कावड़िये

कांवड़ मेले में करोड़ों की संख्या में शिवभक्त हरिद्वार पहुंचेंगे इसी को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि कांवड़ मेले को लेकर हमारी सारी तैयारियां पूरी हो गई है और तकरीबन 10 हजार पुलिसकर्मी कांवड़ मेले की ड्यूटी में तैनात किए गए हैं हम पूरा प्रयास करेंगे कावड़ मेला सकुशल संपन्न कराया जा सके और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न घटित हो हम कावड़ियों से भी अपील करते हैं कि तीर्थ नगरी की मर्यादा का ख्याल रखें किसी भी प्रकार का हुड़दंग ना करें क्योकि कावड़िये धार्मिक आस्था से आते हैं यहां पर किसी प्रकार का नशा ना करें कांवड़ मेले की सुरक्षा को देखते हुए हमारे द्वारा 12 सुपर ज़ोन 31 ज़ोन और 133 सेक्टर में मेला क्षेत्र को विभाजित किया गया है जिसमें 10 हजार पुलिसकर्मी मेला ड्यूटी में लगाए गए हैं साथ ही कावड़ मेला में केंद्रीय सुरक्षा बल की छह कंपनियां भी तैनात की गई है कावड़ यात्रा में गंगा में कांवरियों के बह जाने की घटनाएं भी होती है इसको देखते हुए जल पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद कर दी गई है मेले की सुरक्षा को देखते हुए पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और ड्रोन से मेला क्षेत्र की निगरानी की जा रही है साथ ही बम स्क्वायड की टीम और डॉग स्क्वायड की टीम मेला क्षेत्र में तैनात की गई है

बाइट-- अशोक कुमार--एडीजी लॉ एंड ऑर्डर

कांवड़ मेले में सबसे ज्यादा परेशानी जाम की वजह से बन जाती है और इस बार ऋषिकेश का लक्ष्मण झूला पुल को सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है इस वजह से पुलिस के लिए यह सर दर्द बन गया है क्योंकि कांवरिया हरिद्वार पहुंचने के बाद ऋषिकेश नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन करने जाते हैं लक्ष्मण झूला पुल उसमें एक महत्वपूर्ण मार्ग था अशोक कुमार का कहना है कि कावड़िया लक्ष्मण झूला पुल से नीलकंड जाते थे और राम झूला पुल से वापस आते थे इस बार लक्ष्मण झूला पुल बंद होने से हमारे सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है क्योंकि पीडब्ल्यूडी द्वारा अचानक इससे अवगत कराया गया था हमारे द्वारा इसको लेकर दूसरा प्लान भी तैयार कर लिया गया है कावड़ियों को इस बार राम झूले पुल से भेजा जाएगा और बैराज के रास्ते वापस हरिद्वार की तरफ रवाना किया जाएगा आखरी के तीन-चार दिन हमें इस वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि हमारा अनुमान है कि इस बार 3 करोड़ से ऊपर कावड़िए गंगा जल भरने हरिद्वार आएगी

बाइट-- अशोक कुमार--एडीजी लॉ एंड ऑर्डर


Conclusion:कांवड़ मेले को श्रद्धा की यात्रा भी कहा जाता है क्योंकि कई किलोमीटर पैदल चलकर कावड़िया भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं और रास्ते में आने वाली हर कठिनाइयों को भगवान शिव को समर्पित कर देते हैं भगवान शिव भी अपने भक्तों की हर कठिनाइयों को दूर करते हैं तभी तो हर साल कांवड़ियों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है सरकार और प्रशासन दावा कर रहा है कि इस बार कांवड़ मेले में लगभग तीन करोड़ से ज्यादा शिवभक्त हरिद्वार पहुंचेंगे जिस वजह से 10 दिन तक हरिद्वार शिव मय नजर आएगा
Last Updated : Jul 18, 2019, 3:42 AM IST
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