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Niranjani Akhara: निरंजनी अखाड़े के संतों के लिए कैलाशानंद गिरि का फरमान, 'पठान' को लेकर कही ये बात

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने निरंजनी अखाड़े के सभी साधु संतों के लिए फरमान जारी किया है. कैलाशानंद गिरि ने कहा कि निरंजनी आखाड़े के किसी भी साधु संत का अगर गृहस्थ जीवन से रिश्ता पाया गया तो उसे तत्काल प्रभाव से अखाड़े से बाहर निकाल दिया जाएगा. वहीं, कैलाशानंद गिरि ने पठान फिल्म को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

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Published : Jan 27, 2023, 11:08 AM IST

निरंजनी अखाड़े के साधु-संतों के लिए कैलाशानंद गिरि का फरमान.

हरिद्वार: सनातन परंपरा के ग्रंथों और साधु-संतों पर देश में कुछ लोगों द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही हैं, जिसे सनातन परंपरा से जुड़े लोगों की भावना आहत हो रही है. इसी को देखते हुए सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए 13 अखाड़ों में प्रमुख निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने निरंजनी अखाड़े के सभी साधु संतों के लिए फरमान जारी किया है. कैलाशानंद गिरि ने अपने फरमान में कहा है कि अखाड़े के किसी भी साधु का गृहस्थ जीवन से रिश्ता ना रहे. अगर ऐसा पाया जाता है, तो उन्हें अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि का कहना है कि संन्यासियों का परम धर्म राष्ट्रधर्म है. संन्यास परंपरा में आने के बाद घर परिवार से कोई नाता नहीं रखा जाता. निरंजनी अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर होने के नाते अखाड़े के सभी साधु संतों को मेरा आदेश है कि अपने घर से हमारा कोई नाता नहीं रहेगा और अपना पूरा जीवन संन्यासी की तरह बिताएंगे. इनका कहना है कि यह निर्णय इसलिए लेना पड़ा कि कई साधु-संत संन्यास जीवन में आने के बाद भी अपने परिवार से नाता रखते हैं. इस आदेश का अखाड़े से जुड़े सभी साधु संतों को पालन करना होगा.

सनातन परंपरा से जुड़े साधु-संतों के आचरण और राष्ट्र धर्म को निभाने के लिए निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने अखाड़े के तमाम साधु-संतों को आदेश दिया है कि संन्यास धर्म अपनाने के बाद उनका दायित्व सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने का है. अगर वह इस धर्म को निभाने की बजाए अपने परिवार के धर्म को निभाएंगे, तो उनको संन्यास परंपरा में रहने का अधिकार नहीं है.
ये भी पढ़ें- Recruitment in Uttarakhand: उत्तराखंड में अभी नहीं होगी 2648 पदों पर शिक्षकों की भर्ती, महकमे ने फिलहाल भर्ती कराने से किया इनकार

पठान जैसी फिल्मों से संकट में धर्म: पठान मूवी के रिलीज होने के बाद फिल्म को काफी सफलता मिल रही है. इसको लेकर कैलाशानंद गिरि का कहना है कि फिल्म को सफलता जरूर मिल रही होगी मगर इससे धर्म घट रहा है. इस फिल्म के गाने में भगवा रंग को बेशर्म रंग कहा गया है. यह रंग नारायण का रंग है. मैं इस फिल्म से जुड़े सभी लोगों से कहना चाहूंगा कि आपको शर्म जरूर आनी चाहिए कि भारत में रहते हुए फिल्म के माध्यम से जो भाव रखा वह गलत है.

फिल्म के माध्यम से युवाओं को अच्छे मार्ग पर ले जाने का कार्य करना चाहिए ना कि सनातन परंपरा का अपमान. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड बनाया है. लगता है कि सनातन धर्म खतरे में है, तो सनातन धर्म से जुड़े धर्म आचार्यों का भी अधिकार बनता है कि वह भी सेंसर बोर्ड में हस्तक्षेप करें.

निरंजनी अखाड़े के साधु-संतों के लिए कैलाशानंद गिरि का फरमान.

हरिद्वार: सनातन परंपरा के ग्रंथों और साधु-संतों पर देश में कुछ लोगों द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही हैं, जिसे सनातन परंपरा से जुड़े लोगों की भावना आहत हो रही है. इसी को देखते हुए सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए 13 अखाड़ों में प्रमुख निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने निरंजनी अखाड़े के सभी साधु संतों के लिए फरमान जारी किया है. कैलाशानंद गिरि ने अपने फरमान में कहा है कि अखाड़े के किसी भी साधु का गृहस्थ जीवन से रिश्ता ना रहे. अगर ऐसा पाया जाता है, तो उन्हें अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि का कहना है कि संन्यासियों का परम धर्म राष्ट्रधर्म है. संन्यास परंपरा में आने के बाद घर परिवार से कोई नाता नहीं रखा जाता. निरंजनी अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर होने के नाते अखाड़े के सभी साधु संतों को मेरा आदेश है कि अपने घर से हमारा कोई नाता नहीं रहेगा और अपना पूरा जीवन संन्यासी की तरह बिताएंगे. इनका कहना है कि यह निर्णय इसलिए लेना पड़ा कि कई साधु-संत संन्यास जीवन में आने के बाद भी अपने परिवार से नाता रखते हैं. इस आदेश का अखाड़े से जुड़े सभी साधु संतों को पालन करना होगा.

सनातन परंपरा से जुड़े साधु-संतों के आचरण और राष्ट्र धर्म को निभाने के लिए निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने अखाड़े के तमाम साधु-संतों को आदेश दिया है कि संन्यास धर्म अपनाने के बाद उनका दायित्व सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने का है. अगर वह इस धर्म को निभाने की बजाए अपने परिवार के धर्म को निभाएंगे, तो उनको संन्यास परंपरा में रहने का अधिकार नहीं है.
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पठान जैसी फिल्मों से संकट में धर्म: पठान मूवी के रिलीज होने के बाद फिल्म को काफी सफलता मिल रही है. इसको लेकर कैलाशानंद गिरि का कहना है कि फिल्म को सफलता जरूर मिल रही होगी मगर इससे धर्म घट रहा है. इस फिल्म के गाने में भगवा रंग को बेशर्म रंग कहा गया है. यह रंग नारायण का रंग है. मैं इस फिल्म से जुड़े सभी लोगों से कहना चाहूंगा कि आपको शर्म जरूर आनी चाहिए कि भारत में रहते हुए फिल्म के माध्यम से जो भाव रखा वह गलत है.

फिल्म के माध्यम से युवाओं को अच्छे मार्ग पर ले जाने का कार्य करना चाहिए ना कि सनातन परंपरा का अपमान. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड बनाया है. लगता है कि सनातन धर्म खतरे में है, तो सनातन धर्म से जुड़े धर्म आचार्यों का भी अधिकार बनता है कि वह भी सेंसर बोर्ड में हस्तक्षेप करें.

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