रुड़की: कोविड काल के बाद मिली छूट के बाद देश की नामचीन संस्था आईआईटी रुड़की ने 175वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया. इस दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाले संस्थान के पूर्व छात्रों को सम्मानित भी किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान वर्चुअली जुड़े.
25 नवंबर को अपना 175वां स्थापना दिवस मना रहे आईआईटी रुड़की संस्थान के इस कार्यक्रम में देश-विदेश में सेवाएं दे रहे कई पूर्व छात्रों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया. इस मौके पर अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 14 पूर्व छात्रों को आईआईटी ने सम्मानित भी किया.
इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आईआईटी रुड़की का 175 वर्ष का ये सफर बहुत शानदार रहा है. आईआईटी तमाम क्षेत्रों में शिखर पर पहुंची है और आगे भी बेहतर करने की कोशिश जारी रहेगी.
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आईआईटी रुड़की का इतिहास: रुड़की कॉलेज की स्थापना साल 1847 में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी. 1854 में थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के रूप में इस कॉलेज का फिर से नामकरण हुआ. इस कॉलेज की कार्यकुशलता और क्षमता को सम्मानित करते हुए स्वतंत्र भारत में संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) के 1948 के अधिनियम संख्या IX के द्वारा इसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया.
नवंबर 1949 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंड़ित जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्वतंत्र भारत के प्रथम इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के रूप में उच्चीकृत करते हुये इसे चार्टर प्रदान किया. 21 सितंबर 2001 को रुड़की विश्वविद्यालय से इसका दर्जा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की में बदलते हुये संसद में एक बिल पास करते समय इस संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का एक संस्थान घोषित किया गया.