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IIT रुड़की की पूर्व छात्रा ने बनाया कंप्यूटर प्रोग्राम, सोशल प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक पोस्ट की करेगा रिपोर्ट - Algorithm on Social Media

IIT रुड़की की पूर्व छात्रा रिची नायक ने नया एल्गोरिथ्म (कंप्यूटर प्रोग्राम) बनाया है. जो सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर गलत पोस्टों की पहचान और उन्हें रिपोर्ट करता है.

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IIT रुड़की की पूर्व छात्रा ने बनाया कंप्यूटर प्रोग्राम
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Published : Sep 18, 2020, 8:00 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 8:44 PM IST

रुड़की: ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर विज्ञान की प्रोफेसर और मशीन लर्निंग एक्सपर्ट रिची नायक ने एक नया एल्गोरिथ्म (कंप्यूटर प्रोग्राम) विकसित किया है, जो स्वचालित रूप से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर गलत पोस्टों की पहचान और रिपोर्ट करता है. सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए किए गए इस शोध में साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) का उपयोग किया गया है. जो सोशल मीडिया में महिलाओं को सुरक्षित रखने में मददगार साबित हो सकता है.

रिची नायक का कहना है कि मुझे हमेशा से कम उम्र में गणित में दिलचस्पी रही है. मैं अपने अनुभव का इस्तेमाल किसी सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए करना चाहती थीं. रिची का कहना है कि उन्होंने महसूस किया कि सोशल प्लेटफॉर्म पर महिलाओं को लेकर की जा रही अभद्र टिप्पणी और अपमानजनक कंटेंट का पता लगाने से महिलाओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: देहरादून रेलवे स्टेशन के कुली नंबर 145 की कहानी खुद की जुबानी

इसी क्रम में उन्होंने अपने सहयोगी मो. अब्दुल बशर के साथ मिलकर एक एल्गोरिथ्म विकसित किया है. जो सोशल मीडिया पोस्ट के कंटेंट, कॉन्टेक्स्ट को समझ सके. ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर रिची नायक ने कहा आईआईटी रुड़की के प्रोसेफर प्रो. जीसी नायक, प्रो. सी. मोहन और प्रो. जेएल गैंधर का शुक्रिया अदा करती हूं, जिन्होंने सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए अनुसंधान में अपना करियर बनाने के लिए मुझे प्रेरित किया.

इस दौरान आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि आईआईटीआर की पूर्व छात्रा द्वारा विकसित नई तकनीक का उपयोग सोशल मीडिया पर महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न को रोकने में मददगार साबित होगा. नए एल्गोरिथ्म से मुझे आशा है कि संदिग्ध पोस्ट का पता लगाने से सोशल मीडिया और ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं के प्रति जिस तरह से व्यवहार किया जा रहा है, उसमें सुधारात्मक बदलाव आएगा.

वर्ष 2017 के प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वे के अनुसार 39% महिलाएं किसी न किसी रूप में ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार हुई हैं. भारत में सिमेंटेक द्वारा कराए गए नॉर्टन सर्वे के अनुसार 10 में से 8 भारतीय किसी न किसी रूप में उत्पीड़न का शिकार हुए हैं. वहीं, 41% महिलाओं ने माना कि उन्हें ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

रुड़की: ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर विज्ञान की प्रोफेसर और मशीन लर्निंग एक्सपर्ट रिची नायक ने एक नया एल्गोरिथ्म (कंप्यूटर प्रोग्राम) विकसित किया है, जो स्वचालित रूप से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर गलत पोस्टों की पहचान और रिपोर्ट करता है. सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए किए गए इस शोध में साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) का उपयोग किया गया है. जो सोशल मीडिया में महिलाओं को सुरक्षित रखने में मददगार साबित हो सकता है.

रिची नायक का कहना है कि मुझे हमेशा से कम उम्र में गणित में दिलचस्पी रही है. मैं अपने अनुभव का इस्तेमाल किसी सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए करना चाहती थीं. रिची का कहना है कि उन्होंने महसूस किया कि सोशल प्लेटफॉर्म पर महिलाओं को लेकर की जा रही अभद्र टिप्पणी और अपमानजनक कंटेंट का पता लगाने से महिलाओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है.

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इसी क्रम में उन्होंने अपने सहयोगी मो. अब्दुल बशर के साथ मिलकर एक एल्गोरिथ्म विकसित किया है. जो सोशल मीडिया पोस्ट के कंटेंट, कॉन्टेक्स्ट को समझ सके. ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर रिची नायक ने कहा आईआईटी रुड़की के प्रोसेफर प्रो. जीसी नायक, प्रो. सी. मोहन और प्रो. जेएल गैंधर का शुक्रिया अदा करती हूं, जिन्होंने सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए अनुसंधान में अपना करियर बनाने के लिए मुझे प्रेरित किया.

इस दौरान आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि आईआईटीआर की पूर्व छात्रा द्वारा विकसित नई तकनीक का उपयोग सोशल मीडिया पर महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न को रोकने में मददगार साबित होगा. नए एल्गोरिथ्म से मुझे आशा है कि संदिग्ध पोस्ट का पता लगाने से सोशल मीडिया और ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं के प्रति जिस तरह से व्यवहार किया जा रहा है, उसमें सुधारात्मक बदलाव आएगा.

वर्ष 2017 के प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वे के अनुसार 39% महिलाएं किसी न किसी रूप में ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार हुई हैं. भारत में सिमेंटेक द्वारा कराए गए नॉर्टन सर्वे के अनुसार 10 में से 8 भारतीय किसी न किसी रूप में उत्पीड़न का शिकार हुए हैं. वहीं, 41% महिलाओं ने माना कि उन्हें ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

Last Updated : Sep 18, 2020, 8:44 PM IST
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