हरिद्वार: उत्तराखंड सरकार की ओर से पूर्व सिविल जज दीपाली शर्मा के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने के प्रार्थना पत्र को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया है. वहीं, मामले की पैरवी सामाजिक कार्यकर्ता जेपी बडोनी कर रहे थे, क्योंकि कोई भी वकील मामले की पैरवी करने के लिए तैयार नहीं था. ऐसे में इस प्रार्थना पत्र के खारिज होने से उत्तराखंड सरकार को बड़ा झटका लगा है.
बता दें कि साल 2018 में हाईकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन सिविल जज दीपाली शर्मा के खिलाफ नाबालिग किशोरी के साथ मारपीट और उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज किया गया था. किशोरी के मेडिकल टेस्ट में चोट के निशान सामने आए थे, जिसके तुरंत बाद ही हाई कोर्ट द्वारा दीपाली शर्मा का निलंबन कर दिया गया था. अभी हालही में राज्य सरकार की तरफ से सहायक अभियोजन अधिकारी द्वारा सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था, जिसकी भनक लगते ही समाजसेवी जेपी बडोनी ने इस प्रार्थना पत्र के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में आपत्ति दाखिल कर दी.
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वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता जेपी बडोनी का कहना है कि, ये मामला एक जज से जुड़ा होने के कारण, उनकी पैरवी करने के लिए कोई भी वकील तैयार नहीं हुआ. ऐसे में उन्होंने खुद ही प्रार्थना पत्र सीजेएम कोर्ट में दाखिल किया और कोर्ट को अवगत कराया कि, सरकार इस मुकदमे को जनहित का बताकर वापस करवाना चाहती है, जो कि एक बड़ा अपराध है. वहीं, मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया.