हरिद्वार: धर्म संसद के बाद हरिद्वार भूपतवाला में आज शाम्भवी आश्रम में धर्म संसद की कोर कमेटी के 21 सदस्यों की एक आवश्यक बैठक हुई है. वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने बैठक में ये प्रस्ताव रखा कि कुरान, पैगंबर मोहम्मद साहब और जिहादियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे. बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हो गया. प्रस्ताव में मौलवियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराने की बात कही गई है.
संतों ने हरिद्वार कोतवाली इंचार्ज इंस्पेक्टर राकेन्द्र कठैत को तहरीर भी सौंप दी है. दरअसल धर्म संसद के बाद हरिद्वार में वसीम रिजवी और दो संतों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया था. इसी के जवाब में साधु-संतों ने क्रॉस FIR दर्ज कराने का फैसला लिया है.
फिर धर्म संसद का होगा आयोजनः बैठक में धर्म संसद के मुद्दे पर सभी ने एक स्वर में कहा कि आत्मरक्षा, धर्म रक्षा के लिए ऐसे ही कड़े शब्दों का प्रयोग किया जाएगा. आगामी 22 व 23 जनवरी को अलीगढ़ में अगली धर्म संसद आयोजित की जा रही है. इसके बाद 12 फरवरी को कुरुक्षेत्र में धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा. एक धर्म संसद का आयोजन हिमाचल प्रदेश में भी आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. आगे जो भी फैसला होगा, 21 सदस्य कोर कमेटी ही निर्णय लेगी.
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बैठक में पास चार प्रस्तावः धर्म संसद की कोर कमेटी की बैठक में चार प्रस्ताव पास किए गए.
पहला प्रस्तावः हम जिहादियों के खिलाफ ही केंद्रित रहेंगे और यह पूरा अभियान संपूर्ण विश्व के जिहाद मुक्ति तक चलता रहेगा.
दूसरा प्रस्तावः जो संत बिना समझ के हम लोगों के खिलाफ यानी इस धर्म संसद के खिलाफ बयान दे रहे हैं, उनसे मिलकर हम अपने आंदोलन और कार्यक्रमों की स्पष्टता बताएंगे.
तीसरा प्रस्तावः इस पूरे आंदोलन का मुख्यालय हरिद्वार रहेगा.
चौथा प्रस्तावः कोर कमेटी के समस्त 21 सदस्यों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार उठाएगी. प्रस्ताव संसद का एक विधिक पैनल होगा जो लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हमारी लड़ाई लड़ेगा.
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ये है पूरा मामलाः सनातन धर्म की रक्षा और संवर्धन के लिए धर्मनगरी हरिद्वार के वेद निकेतन धाम में 17 से 19 दिसंबर तक तीन दिवसीय धर्म संसद हुई थी. हरिद्वार धर्म संसद (Haridwar dharma sansad) के 4 दिन बाद सोशल मीडिया पर साधु-संतों द्वारा दिए गए बयानों से बवाल मचा था. सोशल मीडिया पर इन बयानों की निंदा की गई. धर्म संसद में वक्ताओं ने कथित तौर पर एक विशेष समुदाय के खिलाफ हिंसा की पैरवी की और 'हिंदू राष्ट्र' के लिए संघर्ष का आह्वान किया था.
धर्म संसद में 500 के आसपास महामंडलेश्वर महंत थे और 700-800 अन्य संत थे. धर्म संसद में जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि, रुड़की के सागर सिंधुराज महाराज, संभवी धाम के आनंद स्वरूप महाराज, जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी, निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा मां, पटना के धर्मदास महाराज शामिल थे. इन सभी ने धर्म संसद में अपने विचारों को रखा.
संतों ने रखा पक्षः स्वामी आनंदस्वरूप अध्यक्ष शंकराचार्य परिषद ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि धर्म संसद में कई बातें की गई हैं. जिनमें से कई बातों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. जो बातें धर्म संसद में हुई हैं वह हिंदुओं की रक्षा और हिंदुत्व को बचाने के लिए कही गई हैं. संत समाज उन बातों पर डटा हुआ है. अगर धर्म संसद में अपने को मजबूत रखने के लिए घरों में हथियार रखने को कहा गया है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है.
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पुलिस ने दर्ज की FIR: धर्म संसद में विवादित बयान के बढ़ते वबाल को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस एक्शन में आई. पुलिस ने सोशल मीडिया पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर नफरत फैलाने संबंधी वायरल हो रहे वीडियो का संज्ञान लेते हुए वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी एवं अन्य के विरुद्ध कोतवाली हरिद्वार में धारा 153A IPC के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया.
गुलबहार खान ने कराई FIR: हरिद्वार कोतवाली इंचार्ज राजेंद्र कठैत ने बताया ज्वालापुर के स्थानीय निवासी गुलबहार खान ने धर्मनगरी हरिद्वार में हुई धर्म संसद को लेकर तहरीर हरिद्वार कोतवाली में दी है.
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25 दिसंबर को दो और संतों पर FIR: 25 दिसंबर को शामिल किए गए दो नामों में महामंडलेश्वर धरमदास (Mahamandaleshwar Dharamdas) और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती (Mahamandaleshwar Annapurna Bharti) के नाम भी शामिल किए गए. पुलिस ने इन संतों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत मुकदमा दर्ज किया.
जेल जाने को तैयार: एफआईआर में दो संतों के नाम बढ़ाए जाने से संत समाज में रोष बढ़ता जा रहा है. संतों का कहना है कि वो इससे बिल्कुल भयभीत नहीं है. संत समाज तो इस बात के लिए भी तैयार है कि अगर उनको जेल में डाला जाएगा, तो जेल जाने के लिए भी तैयार हैं.
क्या कहती है IPC की धारा 153ए : आईपीसी की धारा 153 ए उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं. 153 (ए) के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है.