हरिद्वार: कुंभ मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं. श्रद्धालु हरकी पौड़ी और आसपास के तमाम घाटों में सिर्फ तीन ही डुबकी लगा सकेंगे. इसको लेकर कुंभ मेला पुलिस द्वारा व्यवस्थाएं की जा रही हैं. ऐसा निर्णय श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को लेकर लिया गया है. क्योंकि कुंभ के दौरान देश -विदेश से लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचे हैं और गंगा घाटों में भीड़ लग जाती है. इसी को देखते हुए मेला पुलिस द्वारा इस तरह की तैयारी की जा रही है.
धर्मनगरी हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु हरकी पौड़ी और उसके आसपास के घाटों पर ही स्नान करना चाहते हैं. लेकिन कुंभ के स्नान पर्व पर भारी भीड़ होने के कारण काफी श्रद्धालु इन घाटों पर स्नान नहीं कर पाते हैं. इसी को देखते हुए कुंभ मेला पुलिस द्वारा व्यवस्था की जा रही है कि कोई भी श्रद्धालु तीन डुबकी से ऊपर न लगाएं.इसके लिए मेला पुलिस द्वारा कुंभ मेले में सभी घाटों पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी. पुलिस के जवान श्रद्धालुओं को तीन डुबकी के बाद बाहर आने का आग्रह करेंगे.
कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल का कहना है कि सनातन धर्म के अनुसार स्नान के बाद ध्यान जप का महत्व है और शाही स्नान के वक्त जब भारी संख्या में भीड़ आती है, उस वक्त कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगों को स्नान कराने की जिम्मेदारी पुलिस पर होती है. ऐसे में वे एक मंत्र देते हैं की तीन डुबकी एक स्नान इसके पीछे उद्देश्य रहता है कम से कम समय में अधिक से अधिक लोग स्नान करके चले जाएं. इस व्यवस्था को बनाने के लिए जल पुलिस और अलग से पुलिसकर्मी मुख्य स्नान में गंगा घाट पर और गंगा के बीच में लगाए जाते हैं. जो लोगों को बताते रहते हैं की तीन डुबकी से ज्यादा न लगाएं और हरकी पौड़ी पर घाट सीमित हैं.
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शास्त्रों में भी गंगा और पवित्र नदियों में तीन डुबकी का वर्णन आता है. कहा जाता है कि गंगा और पवित्र नदियों में तीन डुबकी लगाने से ब्रह्मा विष्णु महेश की प्राप्ति होती है. ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि गंगा की उत्पत्ति ब्रह्मा के कमंडल से होती हुई भगवान विष्णु के चरणों को धोती हुई भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान हुई है. इससे तीनों ही भगवान के फल की प्राप्ति गंगा से होती है. ब्रह्मा विष्णु महेश को साक्षी मानकर तीन डुबकी गंगा में लगाते हैं तो सप्त, रस, क्रम तीनों गुणों की प्राप्ति होती है और दोषों से मुक्ति मिलती है. कहा गया है कि पूर्व दिशा की तरफ मुंह रखकर गंगा में तीन डुबकियां लगानी चाहिए.