हरिद्वारः धर्मनगरी हरिद्वार के कोतवाली ज्वालापुर क्षेत्र में 1 सप्ताह पूर्व हुई चोरी की घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है. ज्वालापुर की एक दुकान से चोरी हुए लाखों के कैमरे को बरामद करना तो दूर पुलिस ने इस मामले में चोरी की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की है. खास बात ये है कि शिकायतकर्ता ने खुद ही चोर को पकड़ पुलिस के हवाले किया और अपना कैमरा बरामद करवाया. लेकिन अब पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि उसने इतने दिन बीतने के बाद भी चोरी की रिपोर्ट क्यों दर्ज नहीं की. वो भी तब जब चोर की पूरी करतूत सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी.
ये है पूरा मामलाः प्रेम नगर आश्रम के सामने स्थित केनवुड कलर लैब पर काम करने वाले कैमरा मैन विक्रांत वर्मा 6 जुलाई की रात एक समारोह शूट कर वापस आया था. लैब के बराबर में ही स्थित एक रेस्टोरेंट पर उसने अपने कैमरे का बैग रख दिया और घर के लिए खाने का ऑर्डर दिया. इस दौरान जल्दबाजी में वह अपने कैमरे का बैग वहीं भूलकर घर चला गया, लेकिन जब उसे पता चला कि वह बैग रेस्टोरेंट में ही भूल गया तो वापस आया. लेकिन तब तक रेस्टोरेंट बंद हो चुका था. इसके बाद विक्रांत घर चला गया और सुबह वापस रेस्टोरेंट मालिक से बैग के बारे में पूछा. लेकिन रेस्टोरेंट मालिक ने किसी भी बैग की जानकारी से इनकार किया.
इसके बाद विक्रांत ने आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए, तो 1 बैग में कैमरे को ले जाता एक युवक पकड़ा गया. इसके बाद विक्रांत सीसीटीवी फुटेज के साथ रेल पुलिस चौकी पहुंचे आरोपी के खिलाफ तहरीर दी. इस मामले में बड़ी बात यह रही कि 8 जुलाई को तहरीर मिलने के बावजूद 14 जुलाई की रात तक पुलिस ने चोरी का कोई मुकदमा भी दर्ज नहीं किया. 14 जुलाई की रात कैनवुड कलर लैब के मालिक ने उस आरोपी को उसी रेस्टोरेंट पर धर दबोचा, जहां से उसने कैमरे का बैग चुराया था.
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इसके बाद लैब के मालिक ने इस बात की जानकारी रेल चौकी पुलिस को दी तो पुलिस भी तत्काल मौके पर पहुंच गई. पूछताछ में पता चला कि पकड़े गए आरोपी ने पकड़े जाने के डर से कैमरे के बैग को कनखल थाने में यह बताकर जमा करा दिया था कि उसे यह बैग सड़क पर पड़ा मिला है. इसके बाद रेल चौकी पुलिस ने कैमरे के मालिक के साथ कनखल थाने से बैग बरामद किया. इस पूरे मामले में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने के बजाय रेल चौकी पुलिस ने मामले को बाहर ही निपटा दिया.
लिहाजा, पुलिस की इस कार्यशैली से चोरों के हौसले तो बुलंद होने लाजिमी हैं. यदि पुलिस चोरी का मुकदमा दर्ज कर लेती तो उसके खाते में एक गुड वर्क और जुड़ जाता. लेकिन चौकी में मुकदमों की संख्या कम करने के चक्कर में पुलिस ने अपने ऊपर ही सवालिया निशान लगा लिया है.