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चीनी मिलों की लेटलतीफी से बिगड़ सकता है किसानों का गणित, औने-पौने दामों पर बेच रहे गन्ना

शुगर मिलों की लेटलतीफी के कारण किसानों को अपना गन्ना कोल्हू पर देना पड़ रहा है. जिसका कोल्हू मालिक फायदा उठा रहे हैं. जिस वजह से किसानों को गन्ने का सही दाम नहीं मिल पा रहा है.

गन्ना किसान
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Published : Oct 7, 2019, 9:55 PM IST

लक्सर: चीनी मिलें इस बार गन्ना किसानों का गणित बिगाड़ सकती हैं. माना जा रहा है कि इस बार मिलों में पेराई सत्र देरी से शुरू होगा. वहीं खेतों में गन्ना तैयार खड़ा है. इसके अलावा कोल्हू मालिकों की मनमानी से भी क्षेत्र के किसान परेशान हैं.

लक्सर शुगर मिल का पेराई सत्र यदि देरी से शुरू होता है तो इस हालत में किसानों को अपना गन्ना कोल्हू में देना पड़ता है, जहां कोल्हू मालिक उनकी मजबूरी का फायदा उठाते है. यहां उन्हें औने-पौने दामों पर किसानों को गन्ना बेचना पड़ता है. कोल्हू मालिक 200 से 230 रुपए प्रति कुंटल के हिसाब से गन्ना लेते हैं, जबकि पिछले पेराई सत्र में किसानों ने कोल्हू में अपना गन्ना 300 रुपए प्रति कुंटल के हिसाब से बेचा था.

किसानों का दर्द

पढ़ें- सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वालों के लिए अच्छी खबर, अब नहीं होगी दवाइयों की कमी

किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि गन्ने की कटाई के बाद गेहूं की बुआई होती है और गेहूं कटने के बाद गन्ने की पछेती प्रजाति भी काफी मात्रा में बोई जाती है. ऐसे में मिल लेट चलने के कारण गन्ने के खेत खाली नहीं हो पाएंगे, ऐसे में किसान गेहूं की अगेती प्रजाति नहीं बो पाएंगे.

सबसे बड़ी बात ये है कि उत्तराखंड में चीनी मिलों के चलने की तारीख अभी तय नहीं हुई है. जिसका फायदा कोल्हू संचालक उठा रहे हैं. वहीं किसानों का कहना है कि सरकार की बेरुखी के कारण किसान की हालत दयनीय हो चुकी है.

पढ़ें- पंचायत चुनाव के बीच पुलिस को बड़ी सफलता, 18 लाख की शराब बरामद

वहीं इस बारे में सहायक गन्ना आयुक्त शैलेंद्र सिंह ने बताया कि अभीतक शुगर मिलो के पेराई सत्र शुरू करने की तारिख निश्चित नहीं की गई है.

लक्सर: चीनी मिलें इस बार गन्ना किसानों का गणित बिगाड़ सकती हैं. माना जा रहा है कि इस बार मिलों में पेराई सत्र देरी से शुरू होगा. वहीं खेतों में गन्ना तैयार खड़ा है. इसके अलावा कोल्हू मालिकों की मनमानी से भी क्षेत्र के किसान परेशान हैं.

लक्सर शुगर मिल का पेराई सत्र यदि देरी से शुरू होता है तो इस हालत में किसानों को अपना गन्ना कोल्हू में देना पड़ता है, जहां कोल्हू मालिक उनकी मजबूरी का फायदा उठाते है. यहां उन्हें औने-पौने दामों पर किसानों को गन्ना बेचना पड़ता है. कोल्हू मालिक 200 से 230 रुपए प्रति कुंटल के हिसाब से गन्ना लेते हैं, जबकि पिछले पेराई सत्र में किसानों ने कोल्हू में अपना गन्ना 300 रुपए प्रति कुंटल के हिसाब से बेचा था.

किसानों का दर्द

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किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि गन्ने की कटाई के बाद गेहूं की बुआई होती है और गेहूं कटने के बाद गन्ने की पछेती प्रजाति भी काफी मात्रा में बोई जाती है. ऐसे में मिल लेट चलने के कारण गन्ने के खेत खाली नहीं हो पाएंगे, ऐसे में किसान गेहूं की अगेती प्रजाति नहीं बो पाएंगे.

सबसे बड़ी बात ये है कि उत्तराखंड में चीनी मिलों के चलने की तारीख अभी तय नहीं हुई है. जिसका फायदा कोल्हू संचालक उठा रहे हैं. वहीं किसानों का कहना है कि सरकार की बेरुखी के कारण किसान की हालत दयनीय हो चुकी है.

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वहीं इस बारे में सहायक गन्ना आयुक्त शैलेंद्र सिंह ने बताया कि अभीतक शुगर मिलो के पेराई सत्र शुरू करने की तारिख निश्चित नहीं की गई है.

Intro:लोकेशन--- लक्सर उत्तराखंड
संवाददाता-- कृष्णकांत शर्मा लकसर
सलग --लक्सर कोल्हू में पिस रहा किसान
लक्सर शुगर मिलों में पैराइ सत्र की लेटलतीफी व गन्ना कोल्हू मालिकों की मनमानी से क्षेत्र के किसान परेशान है शुगर मिलों में पेराई शुरू नहीं होने के कारण उन्हें अपना गन्ना औने पौने दाम में गन्ना कोल्हू पर बेचना पड़ रहा है Body: एक और जहां शुगर मिलो के चलने में अभी करीब 1 महीने का समय लगने का अनुमान है तो वहीं दूसरी और कोल्हू का संचालन शुरू हो गया है यहां गन्ना रुपये 200 से 230रुपये प्रति कुंटल खरीदा जा रहा है जबकि पिछले सत्र में गन्ने का भाव इससे करीब 80 रुपए अधिक था आर्थिक जरूरतों को पूरा करने और अगेती प्रजाति की गेहूं बुवाई के चक्कर में गन्ना किसान नुकसान उठाकर कोल्हूओ पर अपनी फसल औने पौने दाम में बेच रहे हैं गन्ना कोल्हूओ पर इस समय गन्ने की आवक शुरू हो चुकी है दूसरी और चीनी मिलों के चलने की तारीख अभी तय नहीं हुई है माना जा रहा है कि नवंबर के पहले सप्ताह में जिले की तीनों शुगर मिलों में पेराई सत्र शुरू होगा और इसका फायदा कोहलू संचालक उठा रहे हैं क्षेत्र में एक दर्जन से ज्यादा कोहलू संचालित हो रहे हैं यह किसानों का गन्ना 200 से 230 प्रति कुंटल में खरीद रहे हैं जबकि पिछले साल गन्ने का भाव 316 और 326 रुपए प्रति कुंतल था Conclusion: वही किसान का कहना है कि सरकार की बेरुखी के कारण किसान की हालत दयनीय हो चुकी है किसान का कहना है कि हमारी मेहनत की फसल को औने पौने दाम में हमें बेचना पढ़ रहा है
वही इस बाबत सहायक गन्ना आयुक्त शैलेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि शुगर मिलो के पराई सत्र की शुरुआत करने की डेट निश्चित नहीं हो नहीं की गई है
बाइट1--2-- पीड़ित किसान
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