लक्सर: चीनी मिलें इस बार गन्ना किसानों का गणित बिगाड़ सकती हैं. माना जा रहा है कि इस बार मिलों में पेराई सत्र देरी से शुरू होगा. वहीं खेतों में गन्ना तैयार खड़ा है. इसके अलावा कोल्हू मालिकों की मनमानी से भी क्षेत्र के किसान परेशान हैं.
लक्सर शुगर मिल का पेराई सत्र यदि देरी से शुरू होता है तो इस हालत में किसानों को अपना गन्ना कोल्हू में देना पड़ता है, जहां कोल्हू मालिक उनकी मजबूरी का फायदा उठाते है. यहां उन्हें औने-पौने दामों पर किसानों को गन्ना बेचना पड़ता है. कोल्हू मालिक 200 से 230 रुपए प्रति कुंटल के हिसाब से गन्ना लेते हैं, जबकि पिछले पेराई सत्र में किसानों ने कोल्हू में अपना गन्ना 300 रुपए प्रति कुंटल के हिसाब से बेचा था.
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किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि गन्ने की कटाई के बाद गेहूं की बुआई होती है और गेहूं कटने के बाद गन्ने की पछेती प्रजाति भी काफी मात्रा में बोई जाती है. ऐसे में मिल लेट चलने के कारण गन्ने के खेत खाली नहीं हो पाएंगे, ऐसे में किसान गेहूं की अगेती प्रजाति नहीं बो पाएंगे.
सबसे बड़ी बात ये है कि उत्तराखंड में चीनी मिलों के चलने की तारीख अभी तय नहीं हुई है. जिसका फायदा कोल्हू संचालक उठा रहे हैं. वहीं किसानों का कहना है कि सरकार की बेरुखी के कारण किसान की हालत दयनीय हो चुकी है.
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वहीं इस बारे में सहायक गन्ना आयुक्त शैलेंद्र सिंह ने बताया कि अभीतक शुगर मिलो के पेराई सत्र शुरू करने की तारिख निश्चित नहीं की गई है.