हरिद्वार: कुंभ नाम ही विविधताओं से भरा है. जहां नित नए कीर्तिमान रचे जाते है. साथ ही पौराणिक मान्यताओं के साक्षी बनने का मौका भी मिलता है. ऐसी एक मान्यता है पर्व धर्मध्वजा है. कुंभ के दौरान धर्मध्वजा का तो महत्व है ही. साथ कुंभ में शाही स्नान से पूर्व पर्व धर्मध्वजा अपने आप मे एक विशेष महत्व रखती है. संन्यासी अखाड़ों के प्रमुख महानिर्वाणी अखाड़ा धर्मध्वजा की स्थापना के बाद ही महाशिवरात्रि का स्नान करेगा.
अखाड़ों की स्थापना ही सनातन धर्म की रक्षा के लिए की गई थी. यह कहना है महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी का. पर्व धर्मध्वजा के विषय पर बताते हुए रविंद्र पुरी ने कहा कि मुगल शासक औरंगजेब के समय कुंभ स्नान और पेशवाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उस वक्त अखाड़े के नागा संन्यासी इस शाही फरमान के खिलाफ उठ खड़े हुए. मुगल सेना को अपने पराक्रम से परास्त करते हुए अपनी धर्मध्वजा फहराई. उस वक्त पूरे वैभव के साथ पेशवाई निकालकर महाशिवरात्रि पर्व पर कुंभ स्नान किया गया था.
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इसके बाद से ही अखाड़े में धर्मध्वजा के साथ ही महाशिवरात्रि स्नान से पहले पर्व धर्मध्वजा की स्थापना की परंपरा चली आ रही है. महंत ने बताया कि महानिर्वाणी अखाड़ा में इस परंपरा के निर्वहन की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं. महाशिवरात्रि के दिन पूजन के बाद विधि-विधान और कर्मकांड के साथ अखाड़े के नागा संन्यासी पर्व धर्मध्वजा की स्थापना करेंगे, जिसके बाद अखाड़े की छावनी से पूरे वैभव के साथ महाशिवरात्रि स्नान को जुलूस हरकी पैड़ी को रवाना होगा.