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दीपावली में घट रही कुम्हारों के चाक की रफ्तार, आखिर कब आएंगे अच्छे दिन?

अतीत से ही लोग दीपावली में घरों की सजावट करते हैं. जिसमें हाथ ही बनी वस्तुओं का ज्यादा उपयोग किया जाता रहा है. लेकिन आधुनिक दौर में इन वस्तुओं का क्रेज घटता जा रहा है. वहीं बाजार न मिलने से हस्तशिल्पकार (कुम्हार) अपने पैतृक कारोबार से दूर होते जा रहे हैं.

दीपावली में घट रही कुम्हारों के चाक की रफ्तार
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Published : Oct 22, 2019, 11:55 AM IST

Updated : Oct 22, 2019, 1:43 PM IST

लक्सर: दीपावली यानी दीपों का पर्व, जिस त्योहार पर हर घर रोशनी की चकाचौंध से जगमगाता है. जिसका लोगों को पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है. इस दिन हर कोई अपने घरों में अनेक प्रकार की सजावट कर मां लक्ष्मी की स्वागत की तैयारी करता है. अतीत से ही लोग दीपावली में घरों की सजावट करते हैं. जिसमें हाथ की बनी वस्तुओं का ज्यादा उपयोग किया जाता रहा है. लेकिन आधुनिक दौर में इन वस्तुओं का क्रेज घटता जा रहा है. वहीं बाजार न मिलने से हस्तशिल्पकार ( कुम्हार) अपने पैतृक कारोबार से दूर होते जा रहे हैं.

पढ़ें; रिकाउंटिंग के बाद लक्की ड्रा में भी चमकी लक्ष्मी की किस्मत, बनीं प्रधान

आज के पंरम्परा के मुताबिक मिट्टी के दीये का इस्तेमाल आज भी होता है. मगर मिट्टी के दीये व बर्तन बनाने वाले जो हस्तशिल्पकार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. आज उनके आगे दो जून की रोटी के लाले पडने लगे है. कुछ लोगों ने तो इस काम को छोड़कर दूसरे कामों की तरफ रुख कर लिया है. साथ ही लोगों का रुझान कुछ वर्षो में चाइना की बनी लाइट्स की ओर ज्यादा बढ़ा है. जिससे हस्तशिल्पकारों के आगे रोजी-रोटी का संकट गहराता जा रहा है. वहीं हस्तशिल्पियों का कहना है कि उनके अच्छे दिन कब आएंगे?

वहीं, हस्तशिल्पकार राजू ने बताया कि जैसे-जैसे चाइना से बिजली का सामान आ है, वैसे-वैसे उनके मिट्टी के बर्तन और दीये बनाने का काम खत्म होता जा रहा हैं. उनका कहना है कि पीएम मोदी के प्रयास से स्वदेशी अपनाओं का नारा दिये जाने पर लोगों में काफी जागरूकता आई हैं. हर जगह दीपावली में चाइना में बने सामान का विरोध होने लगा है.

राजू का कहना है कि इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने हम कुम्हारों का रोजगार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा खादी ग्राम उद्योग के माध्यम से विद्युत चलित चाक के वितरण से लोगों को काफी फायदा हुआ है. जहां पहले वे 1000 दीये मुश्किल से बनाते वहीं अब 2500 से 3000 दीये एक समय में बनाते हैं. इससे भी हमारे काम में वृद्धि हुई है. इस बार उन्हें अच्छा व्यापार होने की उम्मीद हैं. वहीं युवा पीढ़ी चाक चलाने व बर्तन बनाने की कला से मुंह मोड़ती जा रही है.

लक्सर: दीपावली यानी दीपों का पर्व, जिस त्योहार पर हर घर रोशनी की चकाचौंध से जगमगाता है. जिसका लोगों को पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है. इस दिन हर कोई अपने घरों में अनेक प्रकार की सजावट कर मां लक्ष्मी की स्वागत की तैयारी करता है. अतीत से ही लोग दीपावली में घरों की सजावट करते हैं. जिसमें हाथ की बनी वस्तुओं का ज्यादा उपयोग किया जाता रहा है. लेकिन आधुनिक दौर में इन वस्तुओं का क्रेज घटता जा रहा है. वहीं बाजार न मिलने से हस्तशिल्पकार ( कुम्हार) अपने पैतृक कारोबार से दूर होते जा रहे हैं.

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आज के पंरम्परा के मुताबिक मिट्टी के दीये का इस्तेमाल आज भी होता है. मगर मिट्टी के दीये व बर्तन बनाने वाले जो हस्तशिल्पकार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. आज उनके आगे दो जून की रोटी के लाले पडने लगे है. कुछ लोगों ने तो इस काम को छोड़कर दूसरे कामों की तरफ रुख कर लिया है. साथ ही लोगों का रुझान कुछ वर्षो में चाइना की बनी लाइट्स की ओर ज्यादा बढ़ा है. जिससे हस्तशिल्पकारों के आगे रोजी-रोटी का संकट गहराता जा रहा है. वहीं हस्तशिल्पियों का कहना है कि उनके अच्छे दिन कब आएंगे?

वहीं, हस्तशिल्पकार राजू ने बताया कि जैसे-जैसे चाइना से बिजली का सामान आ है, वैसे-वैसे उनके मिट्टी के बर्तन और दीये बनाने का काम खत्म होता जा रहा हैं. उनका कहना है कि पीएम मोदी के प्रयास से स्वदेशी अपनाओं का नारा दिये जाने पर लोगों में काफी जागरूकता आई हैं. हर जगह दीपावली में चाइना में बने सामान का विरोध होने लगा है.

राजू का कहना है कि इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने हम कुम्हारों का रोजगार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा खादी ग्राम उद्योग के माध्यम से विद्युत चलित चाक के वितरण से लोगों को काफी फायदा हुआ है. जहां पहले वे 1000 दीये मुश्किल से बनाते वहीं अब 2500 से 3000 दीये एक समय में बनाते हैं. इससे भी हमारे काम में वृद्धि हुई है. इस बार उन्हें अच्छा व्यापार होने की उम्मीद हैं. वहीं युवा पीढ़ी चाक चलाने व बर्तन बनाने की कला से मुंह मोड़ती जा रही है.

Intro:  लोकेशन ---लक्सर उत्तराखंड
संवाददाता--- कृष्णकांत शर्मा लकसर
सलग - दीपावली पर हस्तशिल्पकारों की होगी चाँदी 
ऐकर - लकसर हस्तशिल्प कारों की रहेगी खास दीपावली विदेशी मार्लों का बहिष्कार व स्वदेशी उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हस्तशिल्प कार तैयार कर रहे मिट्टी के दिए
Body:
आप को बता दे दीपावली रोशनी का त्योहार है जिसमें हर कोई अपने घरों को रोशनी से जगमगा देता है पुराने समय में लोग तेल के दीपकों से अपने घरों में रोशनी करते थे मगर जैसे जैसे समय बीतता गया बिजली का अविष्कार हुआ तो इन दीपकों की जगह बिजली के दीपकों ने ओर बिजली की लडीयो ने लेली है मगर आज भी प्रमपरा के मुताबिक मिट्टी के दीपक का इस्तेमाल आज भी होता है मगर मिट्टी के दीपक व बर्तन बनाने वाले जो हस्तशिल्पकार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं आज उनके आगे दो जून की रोटी के लाले पडने लगे कुछ लोगों ने तो इस काम को छोड़कर दूसरे कामों में लग गए हैं साथ ही साथ चाईना से बिजली के दिये ओर दीपावली में जगमगाते बलबो की वजह से भी काफी फर्क पड गया है Conclusion: वहीं जब हमने दीपक बनाने वाले हस्तशिल्पकार राजू से बात की तो उनका कहना था कि जैसे जैसे चाईना से बिजली का सामान आ रहा था वैसे वैसे हमारा मिट्टी के बर्तन व दीपक बनाने का काम खत्म होता जा रहा था मगर हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के प्रयास से स्वदेशी अपनाओ का नारा दिया है तब से लोग काफी जागरूक हुए हैं ओर हर जगह चायनीज सामान का विरोध होने लगा है वही राजू ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी को धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने हम कुम्हारों का रोजगार बढ़ाने के केंद्र सरकार द्वारा खादी ग्राम उद्योग के माध्यम से विद्युत चलित चाक के वितरण से हम लोगों को काफी फायदा हुआ है जहां पहले हम 1000 दीपक मुश्किल से बनाते थे मगर अब 2500 से 3000 दीपक एक समय में बना पाते हैं इससे भी हमारे काम में वृद्धि हुई है और लगता है इस बार हमारे बर्तन व दीपकों का कारोबार अच्छा रहेगा ओर जिससे इस बार दीपावली पर मा लक्ष्मी जी की पूरी कृपा बरसेगी ओर हमारे एक बार फिर हमारे अचछे दिन आने वाले हैं 
बाईट -राजू प्रजापति हस्तशिल्पकार

बाईट -जयकुमार हस्तशिल्पकार
Last Updated : Oct 22, 2019, 1:43 PM IST
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