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आज है देवशयनी एकादशी, आज से 4 महीने के लिए योग निद्रा में जाएंगे भगवान विष्णु

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं. पुराणों के अनुसार इस दिन से 4 माह के लिए भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करते हैं. मान्यता है कि असुर राजा बलि के अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था.

haridwar
भगवान विष्णु
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Published : Jul 1, 2020, 8:24 AM IST

Updated : Jul 6, 2020, 5:06 PM IST

हरिद्वार: आज अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी है. इसे देवशयनी एकादशी भी कहते हैं. हिंदू धर्म में इस एकादशी व्रत को बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जाता है. वहीं, इसी दिन चातुर्मास भी प्रारंभ हो जाता है. पुराणों की मान्यता अनुसार इस एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का विश्राम काल प्रारंभ हो जाता है. इस दिन से भगवान विष्णु 4 माह तक के लिए निंद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान विवाह सहित अन्य शुभ करना वर्जित माना जाता है.

आज है देवशयनी एकादशी

देवशयनी एकादशी से जुड़ी धार्मिक मान्यता

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं. पुराणों के अनुसार इस दिन से 4 माह के लिए भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करते हैं. मान्यता है कि असुर राजा बलि के अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. भगवान ने बलि से तीन पग भूमि की मांग कर दो पग से पृथ्वी तथा ब्रह्मांड नाप लिया. वहीं, जब भगवान को तीसरा पग रखने को जगह नहीं मिली तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया था.

ये भी पढ़ें: चारधाम यात्रा की आज से शुरुआत, बदरीनाथ धाम में सभी तैयारियां पूरी

दानवीर राजा बलि को प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने दिया वरदान

राजा बलि की दान भावना को देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हुए. तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को कहा कि आप मेरे महल में निवास करें. तब भगवान विष्णु ने बलि से कहा कि हर वर्ष 4 माह के लिए मैं आपके पाताल लोक में वास करूंगा. तब से यह मान्यता है कि चार माह पर्यंत भगवान पाताल लोक में रहकर पुनः कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को लौटते हैं. इन्हीं चार माह को चातुर्मास भी कहते हैं. मान्यता यह भी है कि इस काल में साधु, तपस्वी भगवान विष्णु की तपस्या करने के लिए गुप्त स्थान पर चले जाते हैं.

इस दौरान भगवान विष्णु की विशेष पूजा का महत्व है

मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान 4 महीने के लिए योग निंद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान साधु, तपस्वी और श्रद्धालु भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान का अभिषेक करके पूजा करते हैं. वहीं इस दिन दान देने का विशेष महत्व है. इसके 4 महीने बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. इसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन भगवान 4 महीने के बाद निद्रा से जागते हैं. वहीं, इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है.

हरिद्वार: आज अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी है. इसे देवशयनी एकादशी भी कहते हैं. हिंदू धर्म में इस एकादशी व्रत को बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जाता है. वहीं, इसी दिन चातुर्मास भी प्रारंभ हो जाता है. पुराणों की मान्यता अनुसार इस एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का विश्राम काल प्रारंभ हो जाता है. इस दिन से भगवान विष्णु 4 माह तक के लिए निंद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान विवाह सहित अन्य शुभ करना वर्जित माना जाता है.

आज है देवशयनी एकादशी

देवशयनी एकादशी से जुड़ी धार्मिक मान्यता

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं. पुराणों के अनुसार इस दिन से 4 माह के लिए भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करते हैं. मान्यता है कि असुर राजा बलि के अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. भगवान ने बलि से तीन पग भूमि की मांग कर दो पग से पृथ्वी तथा ब्रह्मांड नाप लिया. वहीं, जब भगवान को तीसरा पग रखने को जगह नहीं मिली तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया था.

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दानवीर राजा बलि को प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने दिया वरदान

राजा बलि की दान भावना को देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हुए. तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को कहा कि आप मेरे महल में निवास करें. तब भगवान विष्णु ने बलि से कहा कि हर वर्ष 4 माह के लिए मैं आपके पाताल लोक में वास करूंगा. तब से यह मान्यता है कि चार माह पर्यंत भगवान पाताल लोक में रहकर पुनः कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को लौटते हैं. इन्हीं चार माह को चातुर्मास भी कहते हैं. मान्यता यह भी है कि इस काल में साधु, तपस्वी भगवान विष्णु की तपस्या करने के लिए गुप्त स्थान पर चले जाते हैं.

इस दौरान भगवान विष्णु की विशेष पूजा का महत्व है

मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान 4 महीने के लिए योग निंद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान साधु, तपस्वी और श्रद्धालु भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान का अभिषेक करके पूजा करते हैं. वहीं इस दिन दान देने का विशेष महत्व है. इसके 4 महीने बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. इसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन भगवान 4 महीने के बाद निद्रा से जागते हैं. वहीं, इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है.

Last Updated : Jul 6, 2020, 5:06 PM IST
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