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हरिद्वार: लता मंगेशकर के निधन से संतों में शोक की लहर, दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है. हरिद्वार में साधु संतों ने भी लता मंगेशकर के निधन को देश के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है. संतो ने लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित की है. तो वहीं, योगगुरु स्वामी रामदेव ने भी लता दीदी को नमन किया है.

Swami Anand Swaroop
हरिद्वार
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Published : Feb 6, 2022, 12:43 PM IST

Updated : Feb 6, 2022, 1:24 PM IST

हरिद्वार: भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar death) का 92 साल की उम्र में निधन हो गया, जिसके बाद पूरे देश में शोक की लहर है. वहीं, हरिद्वार में साधु संतों ने भी लता मंगेशकर के निधन को देश के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है. संतों ने कहा कि लगा दीदी ने अपने संगीत के माध्यम से ना केवल देश बल्कि पूरी दुनिया की सेवा की है. देश को आजादी दिलाने में में भी उनके संगीत द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है.

शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष एवं शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप (Swami Anand Swaroop) ने कहा कि अपने गीतों के माध्यम से लता मंगेशकर हमेशा के लिए अमर हो गईं है. दुःख की इस घड़ी में पूरा संत समाज उनके परिवार के साथ खड़ा है. संतों का कहना था कि लता मंगेशकर ने अपने जीवन में जिस तरह का मुकाम हासिल किया है. उससे युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए किस समय से सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने के बाद भी सरलता और विनम्रता के साथ रहा जाता है. इसके साथ ही योगगुरु स्वामी रामदेव (Swami Ramdev) ने भी लता मंगेशकर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है.

संतों में शोक की लहर.

बता दें, भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर को 8 जनवरी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टर प्रतीत समदानी और उनकी टीम की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था. मंगेशकर की हालत में सुधार हुआ था और वेंटिलेटर हटा दिया गया था, लेकिन शनिवार को उनका स्वास्थ्य फिर बिगड़ गया था. लता मंगेश्कर 92 साल की थी और उम्र से संबंधी अन्य समस्याएं भी थीं.

पढ़ें- लता मंगेशकर ने इस गढ़वाली गीत को कर दिया अमर, 1990 में रिलीज रैबार फिल्म में गाया था गाना

लता मंगेशकर का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई थी. वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं. पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा था. उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा था. उन्होंने काफी संघर्ष के बाद संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया था. लता दीदी के निधन से आज पूरे देश में शोक की लहर है.

हरिद्वार: भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar death) का 92 साल की उम्र में निधन हो गया, जिसके बाद पूरे देश में शोक की लहर है. वहीं, हरिद्वार में साधु संतों ने भी लता मंगेशकर के निधन को देश के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है. संतों ने कहा कि लगा दीदी ने अपने संगीत के माध्यम से ना केवल देश बल्कि पूरी दुनिया की सेवा की है. देश को आजादी दिलाने में में भी उनके संगीत द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है.

शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष एवं शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप (Swami Anand Swaroop) ने कहा कि अपने गीतों के माध्यम से लता मंगेशकर हमेशा के लिए अमर हो गईं है. दुःख की इस घड़ी में पूरा संत समाज उनके परिवार के साथ खड़ा है. संतों का कहना था कि लता मंगेशकर ने अपने जीवन में जिस तरह का मुकाम हासिल किया है. उससे युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए किस समय से सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने के बाद भी सरलता और विनम्रता के साथ रहा जाता है. इसके साथ ही योगगुरु स्वामी रामदेव (Swami Ramdev) ने भी लता मंगेशकर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है.

संतों में शोक की लहर.

बता दें, भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर को 8 जनवरी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टर प्रतीत समदानी और उनकी टीम की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था. मंगेशकर की हालत में सुधार हुआ था और वेंटिलेटर हटा दिया गया था, लेकिन शनिवार को उनका स्वास्थ्य फिर बिगड़ गया था. लता मंगेश्कर 92 साल की थी और उम्र से संबंधी अन्य समस्याएं भी थीं.

पढ़ें- लता मंगेशकर ने इस गढ़वाली गीत को कर दिया अमर, 1990 में रिलीज रैबार फिल्म में गाया था गाना

लता मंगेशकर का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई थी. वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं. पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा था. उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा था. उन्होंने काफी संघर्ष के बाद संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया था. लता दीदी के निधन से आज पूरे देश में शोक की लहर है.

Last Updated : Feb 6, 2022, 1:24 PM IST
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