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बाबा रामदेव के सबसे पुराने सहयोगी स्वामी मुक्तानंद का निधन, पतंजलि आयुर्वेद कंपनी में था अहम योगदान

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Published : May 14, 2022, 7:12 AM IST

Updated : May 14, 2022, 1:09 PM IST

हरिद्वार में स्वामी मुक्तानंद का देहांत हो गया है. स्वामी मुक्तानंद योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के शुरुआती समय से सहयोगी रहे. वे दिव्य योग फार्मेसी के फाउंडर ट्रस्टी और जड़ी बूटियों के जानकार थे. स्वामी मुक्तानंद च्यवनप्राश और अमृत रसायन तैयार करने में स्पेशलिस्ट थे. दवाओं को तैयार करने और जड़ी-बूटियों की पहचान करने का उनका 35 साल से भी ज्यादा पुराना अनुभव था.

Swami Muktananda died
स्वामी मुक्तानंद की मौत

हरिद्वार: योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के शुरुआती समय से सहयोगी रहे स्वामी मुक्तानंद का शुक्रवार रात देहांत हो गया. जिसके बाद पूरे पतंजलि परिवार में शोक की लहर दौड़ गई. अस्पताल से स्वामी मुक्तानंद का शव सीधे कृपालु बाग आश्रम लाया गया. जिसने भी इस घटना के बारे में सुना, वो आश्रम की ओर दौड़ पड़ा. पतंजलि से जुड़े लोग भी रात को ही कनखल स्थित आश्रम पर एकत्र होना शुरू हो गए. हालांकि, स्वामी मुक्तानंद की मौत का कारण नहीं पता चल सका है, लेकिन बताया जा रहा है कि उनकी मौत हृदय गति रुकने से हुई है.

जानकारी के अनुसार, स्वामी मुक्तानंद की तबीयत शुक्रवार रात करीब साढ़े दस बजे उस समय बिगड़ी, जब वे कनखल स्थित कृपालु बाग आश्रम स्थित अपने आवास में थे. इस समय सबसे पहले आचार्य बालकृष्ण और आश्रम के लोग इन्हें तत्काल लेकर सिडकुल स्थित मेट्रो अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस समय तक योगगुरु बाबा रामदेव और अन्य लोग भी अस्पताल पहुंच चुके थे. जिसके बाद स्वामी के शव को कनखल स्थित कृपालु बाग आश्रम ले जाया गया.

बता दें कि स्वामी मुक्तानंद उन चंद लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने पतंजलि को फर्श से अर्श तक का सफर न केवल तय करते हुए देखा था बल्कि, उसमें एक अहम भूमिका भी निभाई थी. संस्कृत के विद्वान स्वामी मुक्तानंद बीते कई सालों से ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर छात्रों को संस्कृत पढ़ा रहे थे. वे तमाम संन्यासियों और अन्य स्कॉलर्स को वेदों, संस्कृत ग्रंथों और व्याकरण की शिक्षा देते थे. अध्यात्म में गहरी रुचि रखने वाले स्वामी मुक्तानंद को बाबा रामदेव के पुराने सहयोगियों में से एक माना जाता है.

ये भी पढ़ेंः आयुष मंत्रालय ने तय किए 'आयुर्वेद आहार' उत्पादों के गुणवत्ता मानक

दिव्य योग फार्मेसी के थे फाउंडर ट्रस्टी: योग गुरु बाबा रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved established) की साल 2006 में स्थापना की थी, लेकिन उससे 11 साल पहले ही उन्होंने दिव्य योग फार्मेसी (Divya Yoga Pharmacy) की स्थापना कर दी थी. इस कंपनी की स्थापना उन्होंने आयुर्वेदिक दवाएं और हर्बल प्रोडक्ट्स को तैयार करने के लिए की थी. इस कंपनी का संचालन उनका दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट करता है, जिसके फाउंडर ट्रस्टी के तौर पर स्वामी मुक्तानंद काम करते थे. इसके अलावा वे इसके कोषाध्यक्ष भी थे.

जड़ी बूटियों के जानकार थे स्वामी मुक्तानंदः पतंजलि समूह की वेबसाइट दिव्य योग डॉट कॉम के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में साल 1956 में जन्मे स्वामी मुक्तानंद का दिव्य योग फार्मेसी (Divya Yoga Pharmacy) के कामकाज में अहम योगदान था. साइंस ग्रेजुएट और संस्कृत में पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले स्वामी मुक्तानंद दवाओं को तैयार करने में अहम भूमिका अदा करते आए थे.

कहा जाता है कि उन्हें जड़ी-बूटियों के बारे में अच्छी जानकारी थी. अक्सर वो उत्तराखंड और हिमाचल के पर्वतों की यात्रा करते रहते थे. ताकि दवाओं के लिए बेहतर से बेहतर जड़ी-बूटियों की पहचान की जा सके. स्वामी मुक्तानंद च्यवनप्राश और अमृत रसायन तैयार करने में स्पेशलिस्ट थे. दवाओं को तैयार करने और जड़ी-बूटियों की पहचान करने का उनका 15 साल से भी ज्यादा पुराना अनुभव था.

गुरु के समय से हैं तीनों साथ: बता दें कि दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की शुरुआत बाबा रामदेव के गुरु रहे स्वामी शंकरदेव ने की थी. जिसमें बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और स्वामी मुक्तानंद संस्थापक सदस्य के तौर पर शामिल थे. इस ट्रस्ट की तहत ही दिव्य फार्मेसी का संचालन होता है. बाबा रामदेव के लिए यह पहला मौका था, जब उन्होंने कारोबारी दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद साल 2006 में पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत हुई थी, जो आज ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी है. ऐसे में कह सकते हैं कि शुरुआती दौड़ से स्वामी मुक्तानंद का योग गुरु बाबा रामदेव (Yog Guru Swami Ramdev) और आचार्य बालकृष्ण (Balkrishna) से करीबी संबंध रहा है.

ये भी पढ़ेंः कोविड काल में बाबा रामदेव मालामाल, हासिल किया ₹30 हजार करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर

छूट गया दशकों पुराना साथ: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के बेहद करीबियों में गिने जाने वाले स्वामी मुक्तानंद (Swami Muktananda died) की अचानक हुई मौत के बाद दशकों पुराना इनका साथ अब छूट गया है. अपने शुरुआती दौर से साथी रहे स्वामी मुक्तानंद की मौत से सबसे ज्यादा किसी को अगर धक्का लगा है तो वह योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ही हैं.

हरिद्वार: योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के शुरुआती समय से सहयोगी रहे स्वामी मुक्तानंद का शुक्रवार रात देहांत हो गया. जिसके बाद पूरे पतंजलि परिवार में शोक की लहर दौड़ गई. अस्पताल से स्वामी मुक्तानंद का शव सीधे कृपालु बाग आश्रम लाया गया. जिसने भी इस घटना के बारे में सुना, वो आश्रम की ओर दौड़ पड़ा. पतंजलि से जुड़े लोग भी रात को ही कनखल स्थित आश्रम पर एकत्र होना शुरू हो गए. हालांकि, स्वामी मुक्तानंद की मौत का कारण नहीं पता चल सका है, लेकिन बताया जा रहा है कि उनकी मौत हृदय गति रुकने से हुई है.

जानकारी के अनुसार, स्वामी मुक्तानंद की तबीयत शुक्रवार रात करीब साढ़े दस बजे उस समय बिगड़ी, जब वे कनखल स्थित कृपालु बाग आश्रम स्थित अपने आवास में थे. इस समय सबसे पहले आचार्य बालकृष्ण और आश्रम के लोग इन्हें तत्काल लेकर सिडकुल स्थित मेट्रो अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस समय तक योगगुरु बाबा रामदेव और अन्य लोग भी अस्पताल पहुंच चुके थे. जिसके बाद स्वामी के शव को कनखल स्थित कृपालु बाग आश्रम ले जाया गया.

बता दें कि स्वामी मुक्तानंद उन चंद लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने पतंजलि को फर्श से अर्श तक का सफर न केवल तय करते हुए देखा था बल्कि, उसमें एक अहम भूमिका भी निभाई थी. संस्कृत के विद्वान स्वामी मुक्तानंद बीते कई सालों से ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर छात्रों को संस्कृत पढ़ा रहे थे. वे तमाम संन्यासियों और अन्य स्कॉलर्स को वेदों, संस्कृत ग्रंथों और व्याकरण की शिक्षा देते थे. अध्यात्म में गहरी रुचि रखने वाले स्वामी मुक्तानंद को बाबा रामदेव के पुराने सहयोगियों में से एक माना जाता है.

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दिव्य योग फार्मेसी के थे फाउंडर ट्रस्टी: योग गुरु बाबा रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved established) की साल 2006 में स्थापना की थी, लेकिन उससे 11 साल पहले ही उन्होंने दिव्य योग फार्मेसी (Divya Yoga Pharmacy) की स्थापना कर दी थी. इस कंपनी की स्थापना उन्होंने आयुर्वेदिक दवाएं और हर्बल प्रोडक्ट्स को तैयार करने के लिए की थी. इस कंपनी का संचालन उनका दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट करता है, जिसके फाउंडर ट्रस्टी के तौर पर स्वामी मुक्तानंद काम करते थे. इसके अलावा वे इसके कोषाध्यक्ष भी थे.

जड़ी बूटियों के जानकार थे स्वामी मुक्तानंदः पतंजलि समूह की वेबसाइट दिव्य योग डॉट कॉम के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में साल 1956 में जन्मे स्वामी मुक्तानंद का दिव्य योग फार्मेसी (Divya Yoga Pharmacy) के कामकाज में अहम योगदान था. साइंस ग्रेजुएट और संस्कृत में पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले स्वामी मुक्तानंद दवाओं को तैयार करने में अहम भूमिका अदा करते आए थे.

कहा जाता है कि उन्हें जड़ी-बूटियों के बारे में अच्छी जानकारी थी. अक्सर वो उत्तराखंड और हिमाचल के पर्वतों की यात्रा करते रहते थे. ताकि दवाओं के लिए बेहतर से बेहतर जड़ी-बूटियों की पहचान की जा सके. स्वामी मुक्तानंद च्यवनप्राश और अमृत रसायन तैयार करने में स्पेशलिस्ट थे. दवाओं को तैयार करने और जड़ी-बूटियों की पहचान करने का उनका 15 साल से भी ज्यादा पुराना अनुभव था.

गुरु के समय से हैं तीनों साथ: बता दें कि दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की शुरुआत बाबा रामदेव के गुरु रहे स्वामी शंकरदेव ने की थी. जिसमें बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और स्वामी मुक्तानंद संस्थापक सदस्य के तौर पर शामिल थे. इस ट्रस्ट की तहत ही दिव्य फार्मेसी का संचालन होता है. बाबा रामदेव के लिए यह पहला मौका था, जब उन्होंने कारोबारी दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद साल 2006 में पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत हुई थी, जो आज ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी है. ऐसे में कह सकते हैं कि शुरुआती दौड़ से स्वामी मुक्तानंद का योग गुरु बाबा रामदेव (Yog Guru Swami Ramdev) और आचार्य बालकृष्ण (Balkrishna) से करीबी संबंध रहा है.

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छूट गया दशकों पुराना साथ: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के बेहद करीबियों में गिने जाने वाले स्वामी मुक्तानंद (Swami Muktananda died) की अचानक हुई मौत के बाद दशकों पुराना इनका साथ अब छूट गया है. अपने शुरुआती दौर से साथी रहे स्वामी मुक्तानंद की मौत से सबसे ज्यादा किसी को अगर धक्का लगा है तो वह योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ही हैं.

Last Updated : May 14, 2022, 1:09 PM IST
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