हरिद्वारः साल का पहला सूर्य ग्रहण शुरू हो गया है. इस बार यह भारत में केवल अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ हिस्सों में ही सूर्यास्त से कुछ समय पहले दिखाई देगा. यह सूर्य ग्रहण वलयाकार 'रिंग ऑफ फायर' होगा और यह खगोलीय घटना तब होती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं. वहीं, हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण का काफी महत्व माना जाता है. इस मौके पर ज्योतिषाचार्यों ने इस दुर्लभ सूर्य ग्रहण पर जानकारी दी है.
हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि यह बड़ा सूर्य ग्रहण होगा, लेकिन यह सूर्य ग्रहण भारत में दृष्टि मान नहीं होगा. केवल अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर के कुछ भाग में दिखाई देगा. जबकि, पूरे यूरोप, अमेरिका इन देशों में ग्रहण का प्रभाव पूर्ण रूप से देखने को मिलेगा. भारत में ग्रहण की बहुत अल्प अवधि होने के कारण किसी राशि, किसी भी जातक के ऊपर या कोई सूतक आदि का नहीं होगा. ऐसे में घबराने की आवश्यकता नहीं है. मंदिर के लिए भी कोई सूतक नहीं हैं. ऐसे में पूजा पाठ इत्यादि कर सकते हैं.
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वहीं, ज्योतिषाचार्य उज्जवल पंडित का कहना है कि आज कंकण सूर्य ग्रहण है. इसे हम खुली आंखों से नहीं देख सकते हैं. शास्त्रों की मानें तो जिस ग्रहण का जो अंश होता है, वह अगर एक अंगुल से भी कम यानी 10% से भी नीचे हो तो उसकी चर्चा करने की जरूरत नहीं है. यानि किस राशि पर ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा? किन व्यक्तियों पर प्रभाव पड़ेगा, प्रकृति पर कैसा प्रभाव पड़ेगा? इन सबका विश्लेषण और प्रभाव की चर्चा जरूरी नहीं है, लेकिन भगवान पर किसी तरह का कष्ट मानते हैं तो 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप कर सकते हैं.
रिंग ऑफ फायर
भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न 11:42 बजे आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. यह अपराह्न 3:30 बजे से वलयाकार रूप लेना शुरू करेगा. फिर शाम 4:52 बजे तक आकाश में सूर्य अग्नि वलय (आग की अंगूठी) की तरह दिखाई देगा. एमपी बिरला तारामंडल के निदेशक देबी प्रसाद दुरई की मानें तो सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार शाम करीब 6:41 बजे समाप्त होगा. विश्व में कई संगठन सूर्य ग्रहण की घटना के सीधे प्रसारण की व्यवस्था कर रहे हैं.