हरिद्वार: समय सीमा को लेकर बड़ा उदासीन अखाड़ा नाराज होकर हरिद्वार के हाईवे पर धरने पर बैठ गया. अखाड़े का आरोप था कि उन्हें समय रहते गंगा में स्नान नहीं करवाया गया है. दरअसल, जब बड़ा उदासीन अखाड़ा अपनी छावनी से निकलकर हरकी पैड़ी की तरफ आ रहा था तो प्रशासन ने उन्हें एहतियात के तौर पर इसलिए रोक दिया. क्योंकि उस वक्त दूसरा अखाड़ा हरकी पैड़ी पर स्नान कर रहा था. इसी से नाराज होकर बड़ा उदासीन अखाड़ा धरने पर बैठ गया. आईपीएस मंजूनाथ टीसी और उप जिलाधिकारी हरबीर सिंह द्वारा एक घंटे के मान-मनौव्वल के बाद ही गंगा स्नान के लिए संत राजी हुए.
दरअसल, जब एक अखाड़ा गंगा स्नान कर रहा होता है तो टकराव की स्थिति से बचने के लिए दूसरे अखाड़े को उस वक्त घाट पर नहीं भेजा जाता. ऐसा ही आज भी हुआ. इसी से नाराज होकर बड़ा उदासीन अखाड़ा धरने पर बैठ गया. अखाड़े के संतों का आरोप था कि प्रशासन को पता है कि समय सीमा के अंदर अखाड़ों को स्नान करना होता है तो फिर एक घंटे की देरी क्यों की गई.
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मेला प्रशासन ने संतों को मनाने की जिम्मेदारी आईपीएस मंजूनाथ टीसी और उप जिलाधिकारी हरबीर सिंह को दी. दोनों अधिकारी आनन-फानन में चंडी घाट स्थित हाईवे के उस स्थान पर पहुंचे जहां पर आगबबूला हुए बड़ा उदासीन अखाड़े के संत धरने पर बैठे हुए थे. तपती धूप और गर्म जमीन पर संतों का गुस्सा सातवें आसमान पर था. संतों ने साफ कह दिया था कि प्रशासन की लापरवाही और नजरअंदाजी से ही अखाड़ा अपने समय पर स्नान नहीं कर पाया है. ऐसे में उन्होंने शाही स्नान का बहिष्कार कर दिया था.
संतों के गुस्से को समझते हुए उप जिलाधिकारी हरबीर सिंह और आईपीएस मंजूनाथ टीसी ने उन्हें शांति से समझाया. दोनों अधिकारियों ने करीब एक घंटे तक समझाने के प्रयास के बाद अखाड़े के संत गंगा स्नान के लिए राजी हो गये. प्रशासन को पता है कि अगर ऐसे में संत बिगड़े तो हालात बिगड़ सकते हैं, लिहाजा दोनों अधिकारियों ने समझदारी का परिचय देते हुए संतों को समय रहते मना लिया.