देहरादून: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में शनिवार को जहरीली शराब पीने (spurious liquor) की वजह से चार लोगों की मौत हो गई. वहीं कई लोगों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है, जिनका हॉस्पिटल में इलाज चल रही है. उत्तराखंड के जहरीली शराब (spurious liquor case haridwar) पीकर दम तोड़ने का ये कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले हरिद्वार और देहरादून जिले में ऐसे कांड हो चुके हैं. लेकिन सरकार, पुलिस-प्रशासन और आबकारी विभाग के सुस्त रवैये के कारण इस तरह के मामले रुकने की बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं.
2019 में एक के बाद उठी थी 39 अर्थियां: हरिद्वार जिले के पथरी थाना क्षेत्र के फूलगढ़ में जिस तरह से आज चार मौत के बाद मातम पसरा (people died due to spurious liquor) है, इसी तरह के तीन साल पहले हरिद्वार जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र और उससे लगे यूपी सीमा के गांव में भी ऐसा ही मंजर देखने को मिला था. 2019 में जहरीली शराब पीने की वजह से हरिद्वार जिले में 39 लोगों की जान गई (39 people died due to spurious liquor) थी. वहीं यूपी के सहारनपुर जिले की बात करें तो यहां पर भी 50 से ज्यादा लोगों की मौत का कारण जहरीली शराब ही बनी थी.
यूपी और उत्तराखंड सरकार भी हिल गई थी: इस जहरीली शराब कांड के बाद यूपी और उत्तराखंड की सरकार हिल गई थी. हर तरफ छापेमारी का दौर शुरू हो गया था. पुलिस के एक बाद एक खुलासे करने में लगी हुई थी. तत्कालीन बीजेपी की त्रिवेंद्र सरकार में आबकारी मंत्री स्वर्गीय प्रकाश पंत ने खुद मोर्चा संभाला था. 2019 के जहरीली शराब कांड में कई लोगों के आंखों की रोशनी चली गई थी. कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. लंबे समय तक कच्ची शराब के खिलाफ अभियान भी चलाया गया था. लेकिन उसका क्या नतीजा है, वो आज आप सबके सामने है.
हरिद्वार में कच्ची शराब का काला कारोबार कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. हरिद्वार में इन दिनों पंचायत चुनाव की सरगर्मियां भी तेज है. ऐसे में वोटरों को लुभाने के लिए गांव-गांव में कच्ची शराब परोसी जा रही है और उसी कच्ची शराब की भेंट आज चार लोग चढ़ गए हैं. स्थानीय लोगों की माने तो ये आंकड़ा अभी बढ़ सकता है, क्योंकि कच्ची शराब पीने के बाद कई अभी हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं.
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2019 से भी नहीं लिया सबक: 2019 के जहरीली शराब कांड से अपना दामन बचाने के लिए तत्कालीन सरकार ने 7 अधिकारियों पर कार्रवाई तो की थी. सरकार की तरफ से इन अधिकारियों को नोटिस भी भेजा गया था, जिसका जवाब वो नहीं दे पाए थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर जांच टीम गठित की गई थी. कई आरोपियों को जेल भी भेजा गया है. हरिद्वार के तत्कालीन एसएसपी जन्मेजय खंडूड़ी ने इस मामले में सुखविंदर और उसके बेटे हरदीप सिंह को गिरफ्तार किया था. लेकिन कानूनी दावपेंच का सहारा लेकर आज दोनों जेल से बाहर है. यदि सरकार जहरीली शराब कांड से सबक लेकर कोई बड़ी कार्रवाई करती तो शायद अधिकारियों और शराब तस्करों में डर बैठता और वे इस तरह की हरकत करने की दोबारा हिमाकत नहीं करते.
देहरादून में गई थी 9 लोगों की जान: साल 2019 में हरिद्वार जहरीली शराब कांड के बाद राजधानी देहरादून में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था. देहरादून के पथरिया पीर इलाके में साल 2019 में जहरीली शराब पीने की वजह से 9 लोगों की मौत हुई थी. तभी खूब हो-हल्ला हुआ था. सरकार ने कार्रवाई के नाम पर कई अधिकारियों पर कार्रवाई की थी. मृतकों के बॉडी में मिथाइल अल्कोहल मिला था, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हुई थी. इस मामले में पुलिस ने अजय सोनकर उर्फ घोंचू, सुरेंद्र सिंह नेगी उर्फ राजा, गौरव महेश उर्फ मच्छर के खिलाफ पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का मुकदमा भी दर्ज किया था.
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सीएम धामी लेंगे कोई बड़ा एक्शन?: हरिद्वार और देहरादून के जहरीली शराब कांड के मामले में सरकार और पुलिस ने ऐसी कोई नजीर पेश नहीं की, जिससे इस तरह का अपराध करने वाले लोगों के मन में डर बैठे. अब सवाल यही है कि क्या धामी सरकार भी हरिद्वार जहरीली शराब कांड में कोई बड़ा एक्शन लेकर मिसाल पेश करेंगे या फिर वो भी पूर्व की सरकारों की तरह कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर इस मामले के दबाने की कोशिश करेंगे. बता दें कि आबकारी विभाग खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी के पास ही है.