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मेघालय की तर्ज उत्तराखंड में भी युवाओं के लिए बनेगी युवा कल्याण नीति

मेघालय की तर्ज पर उत्तराखंड में भी युवाओं के विकास के लिए युवा कल्याण नीति बनाने की तैयारी की जा रही है. युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है. साथ ही कहा है कि इसके लिए बारीकी से अध्ययन कर युवा कल्याण नीति के लिए एक सशक्त ड्राफ्ट तैयार किया जाए. जिससे उसे प्रदेश में लागू किया जा सके.

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मेघालय की तर्ज उत्तराखंड में भी युवाओं के लिए बनेगी युवा कल्याण नीति
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Published : Apr 4, 2022, 6:19 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में भी अब युवाओं को रोजगार, शिक्षा सहित खेल से जोड़ने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से युवा कल्याण नीति बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है. जिस प्रकार से भाजपा सरकार पर युवाओं ने चुनाव के दौरान भरोसा जताया है तो उससे यह उम्मीद है कि प्रदेश सरकार जल्द ही उत्तराखंड में युवा कल्याण नीति को अस्तित्व में ला सकती है.

युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि हिमालयी राज्यों में अभी मेघालय में युवा कल्याण नीति लागू है. इसके साथ ही दक्षिण भारत के तमिलनाडु में भी यह नीति लागू है. इसलिए प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों और परिवेश को देखते हुए मेघालय की युवा कल्याण नीति का अध्ययन किया जाए. जिससे कि प्रदेश में भी युवा कल्याण नीति लागू हो सके.

पढ़ें- केदारनाथ की ध्यान गुफाओं की बंपर डिमांड, मई-जून के लिए फुल हुई बुकिंग, PM मोदी ने की थी साधना

युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने कहा प्रदेश सरकार युवाओं के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इसलिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि सभी बिंदुओं का बारीकी से अध्ययन कर युवा कल्याण नीति के लिए एक सशक्त ड्राफ्ट तैयार किया जाए. जिससे उसे प्रदेश में लागू किया जा सके.

बता दें कि वर्ष 2011 में युवा नीति बनाई गई, जिसमें स्वास्थ्य सहित खेल, सेवायोजन, शिक्षा विभागों, स्वयंसेवी संस्थाओं का मिश्रण कर समूहिक जिम्मेदारी दी गई थी. साथ ही इसमें युवाओं को दो आयुवर्ग में भी बांटा गया था, लेकिन विभागों के आपसी समन्वय न होने के कारण यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई थी.

पढ़ें- अल्मोड़ा के रवि ने तैयार की आग बुझाने वाली अनोखी मशीन, वनों को बचाने में आएगी काम

इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से 2018 में यूएनडीपी (सयुंक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) की एक टीम ने उत्तराखंड के विभिन्न विभागों और गैर सरकारी संस्थाओं और विभिन्न सोसायटी के साथ मिलकर एक ठोस युवा नीति की रिपोर्ट तैयार की. जिसके लिए शासन के निर्देश पर युवा कल्याण विभाग ने विभिन्न विभागों की राय मांगी, लेकिन उस पर अन्य विभागों को ढुलमुल रवैया रहा.

उसके बाद विभाग ने एक खाका तैयार किया, लेकिन शासन और सरकार की ओर ध्यान न दिए जाने पर यह अधर में लटक गई. अब एक बार फिर युवा कल्याण मंत्री ने इस नीति को तैयार करने के लिए कवायद शुरू की है. अब देखना यह है कि युवाओं के विकास की यह अवधारणा कब तक धरातल पर उतर पाती है.

देहरादून: उत्तराखंड में भी अब युवाओं को रोजगार, शिक्षा सहित खेल से जोड़ने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से युवा कल्याण नीति बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है. जिस प्रकार से भाजपा सरकार पर युवाओं ने चुनाव के दौरान भरोसा जताया है तो उससे यह उम्मीद है कि प्रदेश सरकार जल्द ही उत्तराखंड में युवा कल्याण नीति को अस्तित्व में ला सकती है.

युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि हिमालयी राज्यों में अभी मेघालय में युवा कल्याण नीति लागू है. इसके साथ ही दक्षिण भारत के तमिलनाडु में भी यह नीति लागू है. इसलिए प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों और परिवेश को देखते हुए मेघालय की युवा कल्याण नीति का अध्ययन किया जाए. जिससे कि प्रदेश में भी युवा कल्याण नीति लागू हो सके.

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युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने कहा प्रदेश सरकार युवाओं के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इसलिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि सभी बिंदुओं का बारीकी से अध्ययन कर युवा कल्याण नीति के लिए एक सशक्त ड्राफ्ट तैयार किया जाए. जिससे उसे प्रदेश में लागू किया जा सके.

बता दें कि वर्ष 2011 में युवा नीति बनाई गई, जिसमें स्वास्थ्य सहित खेल, सेवायोजन, शिक्षा विभागों, स्वयंसेवी संस्थाओं का मिश्रण कर समूहिक जिम्मेदारी दी गई थी. साथ ही इसमें युवाओं को दो आयुवर्ग में भी बांटा गया था, लेकिन विभागों के आपसी समन्वय न होने के कारण यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई थी.

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इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से 2018 में यूएनडीपी (सयुंक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) की एक टीम ने उत्तराखंड के विभिन्न विभागों और गैर सरकारी संस्थाओं और विभिन्न सोसायटी के साथ मिलकर एक ठोस युवा नीति की रिपोर्ट तैयार की. जिसके लिए शासन के निर्देश पर युवा कल्याण विभाग ने विभिन्न विभागों की राय मांगी, लेकिन उस पर अन्य विभागों को ढुलमुल रवैया रहा.

उसके बाद विभाग ने एक खाका तैयार किया, लेकिन शासन और सरकार की ओर ध्यान न दिए जाने पर यह अधर में लटक गई. अब एक बार फिर युवा कल्याण मंत्री ने इस नीति को तैयार करने के लिए कवायद शुरू की है. अब देखना यह है कि युवाओं के विकास की यह अवधारणा कब तक धरातल पर उतर पाती है.

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