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महिला सुरक्षा: पैनिक बटन को लेकर महिलाएं अनजान, इसके इस्तेमाल की नहीं है जानकारी - देहरादून की खबर

उत्तराखंड में महिला सुरक्षा को लेकर जो पैनिक बटन 180 महिलाओं और छात्राओं को बांटे गए थे. वह मकसद अब तक पूरा ही नहीं हो पाया है. अधिकतर महिलाओं को इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है.

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पैनिक बटन
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Published : Mar 13, 2020, 6:03 PM IST

Updated : Mar 13, 2020, 6:57 PM IST

देहरादून: महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पिछले साल राष्ट्रीय बालिका दिवस पर सरकार की ओर से प्रदेश की कुल 180 महिलाओं और छात्राओं को पैनिक बटन (इलेक्ट्रॅानिक डिवाइस) बाटें गए थे, लेकिन वर्तमान में यह पैनिक बटन कहां है इसकी कुछ खबर ही नहीं है. एक साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद अब तक कुल 24 बार की महिलाओं ने इन पैनिक बटन का इस्तेमाल किया है. हालांकि, जब सम्बंधित थाने की पुलिस व पैनिक बटन दबाने वाली इन महिलाओं के परिजन हरकत में आए तो पता चला कि उनसे गलती से यह बटन दब गये थे.

वहीं, पैनिक बटन के संबंध में जब ईटीवी भारत ने कुछ स्थानीय महिलाओं से बात की तो हमने पाया कि महिलाओं को पैनिक बटन कैसे काम करता है, कैसा दिखता है और कैसे उन्हें उपलब्ध हो सकता है, इसकी जानकारी तक नहीं है. कहीं न कहीं इससे यह साफ हो जाता है कि जिस मकसद से इन पैनिक बटन को पिछले साल राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर वितरित किया गया था. वह मकसद अब तक पूरा ही नहीं हो पाया है.

पैनिक बटन का इस्तेमाल

बता दें कि पैनिक बटन बेहद छोटे आकार का एक बटन होता है, जिसे लॉकेट या कलाई में बांधा जाता है. इसे किसी भी आपात स्थिति में दबाया जाए तो संदेश पुलिस और परिजनों तक पहुंच जाता है. पीड़ित महिला की लोकेशन भी इससे पता चल जाती है. भले ही पैनिक बटन के जरिए अब तक महिला उत्पीड़न या हिंसा का कोई मामला प्रदेश में सामने न आया हो, लेकिन महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग पैनिक बटन योजना को विस्तार देने जा रही है.

ये भी पढ़े: बाल यौन अपराध पर सख्त सरकार, नए पोक्सो नियम अधिसूचित किए

इस संबंध में प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि इस योजना को महिला सुरक्षा के लिये अहम माना जा रहा है. इसलिए यह बटन सब्सिडी पर महिलाओं को दिये जाएंगे, इसके लिये कई बड़ी कंपनियों से सीएसआर फंड को लेकर बात की जा रही है.

देहरादून: महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पिछले साल राष्ट्रीय बालिका दिवस पर सरकार की ओर से प्रदेश की कुल 180 महिलाओं और छात्राओं को पैनिक बटन (इलेक्ट्रॅानिक डिवाइस) बाटें गए थे, लेकिन वर्तमान में यह पैनिक बटन कहां है इसकी कुछ खबर ही नहीं है. एक साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद अब तक कुल 24 बार की महिलाओं ने इन पैनिक बटन का इस्तेमाल किया है. हालांकि, जब सम्बंधित थाने की पुलिस व पैनिक बटन दबाने वाली इन महिलाओं के परिजन हरकत में आए तो पता चला कि उनसे गलती से यह बटन दब गये थे.

वहीं, पैनिक बटन के संबंध में जब ईटीवी भारत ने कुछ स्थानीय महिलाओं से बात की तो हमने पाया कि महिलाओं को पैनिक बटन कैसे काम करता है, कैसा दिखता है और कैसे उन्हें उपलब्ध हो सकता है, इसकी जानकारी तक नहीं है. कहीं न कहीं इससे यह साफ हो जाता है कि जिस मकसद से इन पैनिक बटन को पिछले साल राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर वितरित किया गया था. वह मकसद अब तक पूरा ही नहीं हो पाया है.

पैनिक बटन का इस्तेमाल

बता दें कि पैनिक बटन बेहद छोटे आकार का एक बटन होता है, जिसे लॉकेट या कलाई में बांधा जाता है. इसे किसी भी आपात स्थिति में दबाया जाए तो संदेश पुलिस और परिजनों तक पहुंच जाता है. पीड़ित महिला की लोकेशन भी इससे पता चल जाती है. भले ही पैनिक बटन के जरिए अब तक महिला उत्पीड़न या हिंसा का कोई मामला प्रदेश में सामने न आया हो, लेकिन महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग पैनिक बटन योजना को विस्तार देने जा रही है.

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इस संबंध में प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि इस योजना को महिला सुरक्षा के लिये अहम माना जा रहा है. इसलिए यह बटन सब्सिडी पर महिलाओं को दिये जाएंगे, इसके लिये कई बड़ी कंपनियों से सीएसआर फंड को लेकर बात की जा रही है.

Last Updated : Mar 13, 2020, 6:57 PM IST
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